नई दिल्ली। आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाने की दिशा में अहम फैसले लेते हुए सरकार ने शनिवार को डीजल के दाम नियंत्रणमुक्त कर दिए और प्राकृतिक गैस के दाम में 46 फीसद की वृद्धि कर दी। गैस के दाम बढ़ने से उर्वरक, बिजली, सीएनजी और पीएनजी के दाम पर भी असर पड़ेगा।

डीजल के दाम नियंत्रणमुक्त होने से शनिवार मध्यरात्रि से डीजल के दाम 3.37 रुपए लीटर कम हो जाएंगे। इसके बाद अगले महीने से डीजल के दाम अंतरराष्ट्रीय बाजार की घटबढ़ के अनुरूप तय होंगे। पिछले पांच सालों में डीजल के दाम में यह पहली कटौती है। इससे पहले 29 जनवरी 2009 को डीजल के दाम दो रुपए घटकर 30.86 रुपए लीटर हुए थे। उसके बाद से ये बढ़कर 58.97 रुपए लीटर तक पहुंच गए। ताजा कटौती के बाद रविवार से राजधानी में डीजल का दाम 55.60 रुपए लीटर होगा। डीजल के दाम नियंत्रणमुक्त होने के बाद अब सरकार को इस पर सबसिडी नहीं देनी पड़ेगी। पेट्रोलियम क्षेत्र में लंबे अरसे से प्रतीक्षित यह फैसला शनिवार को यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में किया गया।

सरकार ने इसके साथ ही प्राकृतिक गैस के दाम भी मौजूदा 4.2 डालर प्रति दस लाख ब्रिटिश थर्मल यूनिट (एमएमबीटीयू) से बढ़ाकर 6.17 डालर प्रति एमएमबीटीयू करने का फैसला किया है। पूर्ववती यूपीए सरकार ने रंगराजन समिति के गैस फार्मूले को मंजूरी दी थी। उस फार्मूले के मुताबिक गैस के दाम मौजूदा स्तर से करीब दोगुने होकर 8.4 डालर प्रति एमएमबीटीयू तक बढ़ जाते। इसके बजाए सरकार ने 46 फीसद वृद्धि के साथ एक नवंबर से गैस का दाम 6.17 डालर प्रति एमएमबीटीयू तय किया है।

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पत्रकारों को बताया कि प्राकृतिक गैस के संशोधित दाम जहां एक तरफ तेल व गैस क्षेत्र में खोज कार्यों व निवेश के लिए उपयुक्त प्रोत्साहन देंगे वहीं दूसरी तरफ इससे उपभोक्ताओं पर भी अधिक बोझ नहीं पड़ेगा। प्राकृतिक गैस मूल्य के लिए मंजूर नया फार्मूला सकल कैलोरिफिक मूल्य के आधार पर 5.61 डालर प्रति एमएमबीटीयू बैठता है जबकि निवल कैलोरिफिक आधार पर यह 6.17 डालर प्रति एमएमबीटीयू होता है। इसी निवल कैलोरिफिक मूल्य फार्मूले के आधार पर गैस के मौजूदा 4.2 डालर प्रति एमएमबीटीयू की गणना होती है।

सरकार के नया मूल्य फार्मूला मंजूर किए जाने के बाद मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज की निकाली जाने वाली गैस और सार्वजनिक क्षेत्र की ओएनजीसी की गैस का मूल्य अब हर छह महीने में संशोधित होगा और इसकी अगली समीक्षा एक अप्रैल 2015 को होगी। प्राकृतिक गैस के दाम बढ़ने से सीएनजी के दाम 4.25 रुपए किलो और पाइप के जरिये घरों में पहुंचनी वाली गैस का दाम 2.60 रुपए बढ़ जाएंगे। हालांकि पेट्रोलियम मंत्री धमेंद्र प्रधान ने राज्यों को ग्राहकों का बोझ कम करने के लिए करों में कटौती के लिए कहा है।

इसके साथ ही गैस से चलने वाले बिजली संयंत्रों की लागत 90 पैसे प्रति यूनिट और उर्वरक संयंत्रों की लागत 2,720 रुपए प्रति टन बढ़ जाएगी। बहरहाल, रिलायंस को उसकी केजी डी6 के धीरुभाई एक और तीन से निकलने वाली गैस के लिए बढ़ा हुआ दाम नहीं मिलेगा। क्षेत्र से गैस उत्पादन में कमी की भरपाई होने तक कंपनी को बढ़ा दाम नहीं दिया जाएगा। हालांकि, ग्राहकों से इस गैस के लिए बढ़ा हुआ दाम लिया जाएगा। लेकिन रिलायंस को इसमें से 4.2 डालर प्रति एमएमबीटीयू ही दिया जाएगा। शेष राशि को अलग एस्क्रो खाते में रखा जाएगा।

गैस मूल्य पर पिछली यूपीए सरकार ने डाक्टर रंगराजन समिति के फार्मूले को मंजूरी दे दी थी। यह फार्मूला एक अप्रैल 2014 से लागू होना था। इस तिथि से ही गैस के पुराने 4.205 डालर प्रति एमएमबीटीयू की व्यवस्था समाप्त हो रही थी। लेकिन इससे पहले कि दाम बढ़ाना अधिसूचित किया जाता आम चुनाव की घोषणा हो गई और चुनाव आयोग ने तत्कालीन सरकार से चुनाव खत्म होने तक फैसले पर अमल को रोकने के लिए कहा।
भाजपा के नेतृत्व वाली नई सरकार ने सत्ता संभालने के बाद 25 जून को गैस मूल्य का मामला तीन महीने के लिए और टाल दिया। उसने कहा कि इस पर व्यापक विचार-विमर्श की जरूरत है। चौबीस सितंबर को एक बार फिर इस मुद्दे को 45 दिन के लिए टाल दिया गया। सरकार महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों से पहले इस तरह का फैसला लेने में हिचकिचा रही थी। गैस मूल्य बढ़ाने में देरी का सबसे ज्यादा नुकसान रिलायंस इंडस्ट्रीज और सार्वजनिक क्षेत्र की ओएनजीसी को हुआ।