महंगाई को वैश्विक परिदृश्य में तुलनात्मक तरीके से देखने की वकालत करते हुए प्रकाश जावडेकर ने कहा कि यह सच है कि पिछले सालों की तुलना में महंगाई बढ़ी है, लेकिन सरकार ने अपने स्तर पर चीजों को संभाला है। रूस-यूक्रेन युद्ध से लेकर जी-20 तक को देखें तो भारत के नेतृत्व की वैश्विक प्रतिष्ठा बढ़ी है। बातचीत का संचालन कार्यकारी संपादक मुकेश भारद्वाज ने किया।

मृणाल वल्लरी: भारत जी-20 की अध्यक्षता कर रहा है, अन्य कारणों से दुनिया की नजरें हम पर हैं। लेकिन, संसद से लेकर सड़क और बाजार तक जो सवाल हैं, इसे आप देश की अंतराराष्ट्रीय छवि के मद्देनजर कैसे देखते हैं?

प्रकाश जावडेकर : आज भारत ग्रेट ब्रिटेन को पछाड़ते हुए दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। दुनिया भर के निवेशक हमारे यहां अपने ढांचागत उद्योगों के लिए आ रहे हैं। यूक्रेन ने मोदी जी से कहा कि कृपया आप दखल दें, आप शांति ला सकते हैं। पिछले साल सभी यूरोपीय नेताओं ने मोदी से इसमें दखल मांगी। मैं सिर्फ तथ्य रख रहा हूं। आप बताएं कि भारत की प्रतिष्ठा कम हो रही है या बढ़ रही है। मोदी एकदम अलग तरह के नेता हैं। वे बड़ा सोचते हैं, उनकी कार्यशैली अलग है। जी-20 हर साल किसी देश में होता है। यहां 200 बैठकें हैं, 40 देशों के नीतिकर्ता भारत आने वाले हैं। अन्य देशों में बैठक खत्म होते ही वापसी होती है। मोदी जी ने कहा कि मेहमानों की दो दिन खातिरदारी करेंगे। मैं विदेश जाता हूं तो वहां के नेता कहते हैं कि प्रकाश आपके नेता हमारे देश में हमारे नेताओं सी इज्जत कैसे पाते हैं? हमारी प्रतिष्ठा हर जगह बढ़ रही है।

पंकज रोहिला : लोकतंत्र का सबसे बड़ा मंच संसद है। वहां अडाणी को लेकर सवाल उठे। लेकिन सरकार ने उस मंच पर जवाब देने से परहेज क्यों किया?
प्रकाश जावडेकर : अनेक कंपनियों के काम घटते हैं, बढ़ते हैं। यहां हिंडनबर्ग जैसी कई रिपोर्ट आती हैं, शार्ट सेलर होते हैं। वे नुकसान करते हैं, उनको फायदा होता है। यह शेयर बाजार का एक आम सा रवैया है। सभी बड़ी कंपनियों के साथ होता है। इसे देखने के लिए नियामक तंत्र है। एलआइसी और स्टेट बैंक ने कहा कि उस खास समूह के साथ उनका निवेश उनके कुल निवेश से एक फीसद से ज्यादा नहीं है। वे संभाल लेंगे। ऐसा नहीं है कि एलआइसी या कोई निवेश करता है तो हर तरफ प्रचंड फायदा ही होगा। कुछ में नहीं भी होगा। मामले में सेबी अपना काम कर रही है। हमें थोड़ा धैर्य और संयम रख कर इंतजार करना चाहिए।

मुकेश भारद्वाज : आपने कहा कि सरकार अस्सी करोड़ लोगों को मुफ्त राशन दे रही है। ऐसा तो नहीं है कि सरकार रोजगार मुहैया नहीं करवा रही है, इसलिए मुफ्त में राशन दे रही है।
प्रकाश जावडेकर : जब मनरेगा शुरू हुआ तब किसी ने यह तर्क क्यों नहीं दिया? बेरोजगारी बढ़ी तभी तो मनरेगा शुरू किया न? अगर पूरा रोजगार है तो मनरेगा की जरूरत क्या थी? आपको दोनों पर बात करनी होगी कि मनरेगा क्यों और मुफ्त राशन क्यों? कोविड काल में जनकल्याणकारी कदम उठाते हुए मुफ्त राशन की व्यवस्था की गई। लोगों को खाना देना असली मदद होती है। जो भी लोग रोजगार मांगते हैं, उनको मिलता ही है। यह भी सच है कि स्वरोजगार भी रोजगार है। सिर्फ सरकारी नौकरी को ही रोजगार नहीं कहते हैं। किसी भी देश में सौ फीसद लोग सरकारी कर्मचारी नहीं हो सकते हैं।

सूर्यनाथ सिंह : सरकार जो संसद में महंगाई और बेरोजगारी के आंकड़े देती है वो संसद के बाहर दावे से बहुत अलग होते हैं। प्रेस स्वतंत्रता के आंकड़ों में भी हम नीचे हैं? ये अंतर क्यों?
प्रकाश जावडेकर : मैंने 1975 में प्रत्यक्ष सेंसरशिप देखी थी। आज क्या उस तरह का कुछ है? अपने देश में कोई भी अपनी राय प्रकट कर सकता है, कुछ भी प्रकाशित कर सकता है। गलत हुआ तो वह अदालत में जाएगा। हमारे यहां प्रेस काउंसिल की व्यवस्था है। प्रेस को पूरी आजादी है। अंतरराष्ट्रीय साजिश के तहत भारत की श्रेणी को नीचा किया जाता है। जहां तक महंगाई की बात है तो महंगाई की दर 2014 से 2020 तक चार से पांच फीसद थी, आज सात फीसद है। लेकिन, यह दुनिया में कितनी बढ़ी? ब्रिटेन में नौ से दस फीसद हो गई। बाकी जगह ज्यादा बढ़ गई। पाकिस्तान में त्राहि-त्राहि हो गई। आपको अपनी स्थिति को दूसरे के साथ तुलनात्मक रूप में देखना होगा। रूस और यूक्रेन के युद्ध को एक साल हो गए हैं। यह कोई आम युद्ध नहीं है। इससे आपूर्ति कड़ी पूरी तरह बंद है। कारों की खरीद और उत्पादन कम हुआ क्योंकि चिप्स नहीं मिल रहे हैं। लिथियम, मक्का, गेहूं सब प्रभावित हुआ। अब ब्रिटेन में दोपहर का भोजन शुरू किया जा रहा है क्योंकि सबको खाना ठीक नहीं मिल रहा। हमारा रुपया केवल डालर के मुकाबले कम हुआ क्योंकि दुनिया की सारी मुद्रा कमजोर हुई। बाकी मुद्रा की तुलना में हमारी स्थिति मजबूत है।

महेश केजरीवाल : रायपुर में अधिवेशन के पहले विमान से पवन खेड़ा को हिरासत में लिया गया। क्या वह समय गलत नहीं था?

प्रकाश जावडेकर : कानून कैसे चलेगा? आपकी कोई शिकायत हो, और पुलिस कहे कि आपकी शिकायत पर हम कुछ नहीं करेंगे क्योंकि उनके घर में शादी है। आपके घर में डाका पड़ा है लेकिन उनके घर में शादी है तो क्या कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी? ऐसा नहीं होता। कानून अपना काम करता है, उससे सरकार का क्या संबंध है?

सुशील राघव : बिहार के मुख्यंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि अगर विपक्ष कांग्रेस के छाते के नीचे आ जाए तो 2024 के चुनाव में भाजपा को सौ सीटों पर समेटा जा सकता है।

प्रकाश जावडेकर : (हंसते हुए) अरे सौ भी क्यों दे रहे हैं? दो सीटों पर समेटना चाहिए न। यह अच्छा हुआ हमारे लिए कि 2024 की लड़ाई उन्होंने अभी से शुरू की दोनों तरफ से। अभी बीबीसी डाक्युमेंटरी, उसके पहले शाहीन बाग, नागरिकता कानून विरोधी आंदोलन, किसान आंदोलन, भारत जोड़ो यात्रा में ऐसे तत्त्व का शामिल होना, सोरोस से जुड़े संगठन का उपाध्यक्ष भी उनके साथ चल रहा था, मेधा पाटकर भी थी। योगेंद्र यादव तो उसके कल्पनाकर्ता भी और चलने वाले भी थे। आज कांग्रेस अर्बन नक्सल की भाषा बोल रही है। उसमें हम क्या करें वह उसकी पसंद है। ये और सोरोस, जो लगातार हो रहा है ये सारा टूलकिट का हिस्सा है जो गणतंत्र दिवस पर ग्रेटा थुनबर्ग के ईमेल से पता चला था। हारने के बाद ईवीएम पर सवाल उठाते हैं कि सिर्फ भाजपा को वोट जाता है। अन्य राज्यों में बाकी दलों की सरकार कैसे आई? ईवीएम हारने के बाद है तो जीतने के बाद ईवीएम की बात क्यों नहीं? इससे पहले कई बार विपक्षी एकता का प्रयास हुआ। हमेशा की तरह इस बार भी टूटने वाला है। उनका साझा कार्यक्रम क्या होगा? भ्रष्टाचार वापस लाओ, परिवारवाद वापस लाओ। और हम पर दर्ज मामले वापस लो। इस कार्यक्रम पर तो जनता वोट नहीं देगी। हम कहेंगे कि देश को आगे ले जाएंगे, आम आदमी को आगे ले जाएंगे, क्रयशक्ति मजबूत होगी, भारत को पांचवीं अर्थव्यवस्था से तीसरी अर्थव्यवस्था बनाएंगे। विकसित भारत का सपना देकर 25 साल मिलकर काम करेंगे।

Jansatta Baradari | Prakash Javdekar

मृणाल वल्लरी : भाजपा पर आरोप है कि उसने देश के सामाजिक ताने-बाने को बिगाड़ दिया है। मुसलिमों को डर है कि सरकार उनके साथ नहीं है।
प्रकाश जावडेकर : मोदी जी के बड़े फायदे की योजनाएं चाहे अस्सी करोड़ लोगों के मुफ्त राशन का हो, सौ फीसद टीकाकरण हो या बारह करोड़ शौचालय हो या बारह करोड़ किसानों को चौबीस-चौबीस हजार मिले हों, इनमें तुलनात्मक रूप से मुसलिम की आबादी ज्यादा है। सबको मिला है। किसी योजना के अमल में जाति, मजहब, प्रदेश में कोई भेदभाव नहीं है। मोदी किसी तरह का भेदभाव नहीं करते, यह इस देश की सबसे बड़ी संपत्ति है।

दीपक रस्तोगी : अडाणी मामले में एसबीआइ, एलआइसी को जबर्दस्त नुकसान हुआ। आरबीआइ का कहना है कि हमारे लिए मुद्रास्फीति को नियंत्रण करना मुश्किल है। मुफ्त अनाज और कर्ज से अर्थव्यवस्था पर असर पड़ रहा है। दुनिया से तुलना एक अलग बात है। लेकिन, घर के अंदर इन मोर्चों पर हमारी हालत गड़बड़ है।
प्रकाश जावडेकर : अनेक कंपनियां डूबती हैं। यह शेयर बाजार है। जेट एअरवेज खत्म हो गया। उसमें भी किसी बैंक के पैसे लगें होंगे। तो उसका क्या हुआ? चिदंबरम के समय क्या हुआ था? हमने सात लाख करोड़ की बात करनी छोड़ दी। हमें सब पर विचार करना चाहिए कि सात लाख करोड़ गए। और, क्या यह सब सिर्फ एक मामले में हो रहा है? बाकी हजार मामलों में कुछ नुकसान नहीं हो रहा है? इसलिए हमें वास्तवकिता से देख कर समझना चाहिए। दूसरी बात है महंगाई की। महंगाई पर मैं फिर कहना चाहता हूं कि आज भी हमारी महंगाई दर 6.5 से सात फीसद के दौरान है। ये पहले के चार फीसद से ज्यादा है।

लेकिन, दुनिया भर में इससे बहुत ज्यादा बढ़ा है। लेकिन जो बढ़ा है वो सच है और सरकार उसके लिए कदम उठा रही है। मुफ्त राशन दे रहे हैं, आधारभूत परियोजनाओं को मजबूत कर रहे कि रोजगार बढ़ाना ही महंगाई का उपाय है। हम सही दिशा में जा रहे हैं। पूरी दुनिया ने हमारे कोविड प्रबंधन को सराहा। विपक्ष ने कोवैक्सीन को जाली बताया और आज वह दुनिया की सबसे सुरक्षित वैक्सीन करार हुई है। दूसरी लहर में आक्सीजन के संकट के बाद अस्पतालों को आक्सीजन को लेकर आत्मनिर्भर बनाया। इन्हीं सब सुधार को लोकतंत्र कहते हैं।

मुकेश भारद्वाज : बेरोजगारी और महंगाई के मुद्दे को देखते हुए आम धारणा बन रही है कि 2024 में कमजोर भाजपा आएगी। आपका क्या कहना है?
प्रकाश जावडेकर : 2024 में हम ज्यादा सीटों से जीतेंगे। मोदी ने लोकसभा में कहा कि 130 करोड़ जनता का भरोसा मेरा कवच है। यह विश्वास किस कारण है? ये 24 घंटे काम करते हैं। भ्रष्टाचार नहीं होता। गुजरात और फिर भारत के प्रमुख रहने के इक्कीस साल में एक भी दिन छुट्टी नहीं ली। एक भी दिन बीमार नहीं रहे। कुछ तो है न। बाकी राजनेताओं के ऐश करने की परंपरा काम के अनुशासन में बदल गई है। एक दृष्टि है। अमृत काल तो कोई भी सरकार मनाती पर मोदी जी इस अवसर पर गुमनाम नायकों को सामने लेकर आए। अमृत महोत्सव से शताब्दी 2047 तक अमृत काल की कल्पना करना और विकसित भारत का सपना रखना। वे विकासोन्मुख हैं। उनका जनता से सीधा संवाद है। ‘मन की बात’ हो या परीक्षा पे चर्चा सभी तरह से रोज योजना के लाभार्थियों से बात करते हैं। लोगों का एक अटूट विश्वास है। जितना विपक्षी दल गाली देते हैं तो हमारे वोट बढ़ते हैं। 2024 में भाजपा के वोट बढ़ेंगे क्योंकि मोदी के नेतृत्व की प्रमाणिकता बन चुकी है। जनता से उनका सीधा रिश्ता हमारे विजय का आधार है।

सुशील राघव : आपके मंत्रिमंडल में वापसी की उम्मीद की जा सकती है?
प्रकाश जावडेकर : मैं जब आपातकाल में जेल में गया तो किसने सोचा था कि हमारी पार्टी सत्ता में आएगी? जब हमारी पार्टी सत्ता में नहीं थी तो क्या इतने साल काम नहीं किया? हमारी मानसिकता ऐसी है कि पार्टी जो काम देती है वो मन से करते हैं। जब तक संभव है करेंगे।