पिछले तीन दिन की सबसे बड़ी चैनल चिंता यह रही कि इकतीस मई के बाद क्या होगा? यानी ‘लॉकडाउन’ हटेगा…
पिछले तीन दिन की सबसे बड़ी चैनल चिंता यह रही कि इकतीस मई के बाद क्या होगा? यानी ‘लॉकडाउन’ हटेगा…
हजार बस लगा कर कांगे्रस योगी जी की ‘मजदूर सेवा’ मे सेंध लगाना चाहती थी, लेकिन यारों ने उसकी सेंध…
कुछ ‘श्रमिक स्पेशल’ चलाने के बावजूद राष्ट्र सारा देखता है कि वे लौट रहे हैं, कभी न आने के लिए…
लगता है, ‘तालाबंदी’ करना आसान था, उठाना मुश्किल है! ‘तालाबंदी’ उठाएं तो किस तरह कि संक्रमण काबू में रहे और…
सप्ताह की दूसरी बड़ी कहानी बंदी से बेघर और बेरोजगार हुए लाखों प्रवासी मजदूरों के घर जाने की आकुलता की…
इन दिनों देशी-विदेशी विषाणु विशेषज्ञों की बन आई है। कोरोना ने उनके लिए भारत को एक बड़े बाजार में जो…
एक चैनल के एक एंकर को भी ‘घर जाने’ की ‘फेक न्यूज’ फैलाने के लिए धरा गया और अगले रोज…
बंदी कब तक? इस सवाल पर चैनल विभाजित दिखे! कुछ विशेषज्ञों के जरिए सुझाते कि बंदी को चरणबद्ध तरीके से…
चैनलों में कई दिनों तक तबलीगी जमात और मरकज की हरकत से संबंधित नए सवाल छाए रहे। रिपोर्टर आंकड़े दे-देकर…
सबसे जोखिम भरे दृश्य पूर्ण बंदी के ऐन बाद दिखे। भयातुर खरीदारों की भीड़ों ने जरूरी ‘डिस्टेंसिंग’ की परवाह नहीं…
अंत में आए प्रधानमंत्री! देश को समझाया कि कोरोना से जीतने के लिए उनको जनता से दो-तीन चीजें चाहिए :…
कोरोना का कहर इस कदर रहा कि दिल्ली के दंगों और सीएए पर राज्यसभा में हुई बहस तक अगले दिन…