मुझे नहीं पता कि लोगों पर सामाजिक खबरों का क्या असर होता है और ऐसी खबरों से लोग समाज के…
‘नया’ शब्द में ही कुछ ऐसा जादू है कि लगता है सब कुछ बेहतर होने वाला है। गजब की ताजगी,…
आज फिर आपसे संवाद करने का शुभ अवसर प्राप्त हो रहा है। सच जानिए, जब-जब आपसे अपनी बात साझा करने…
सन 1893 में शिकागो में आयोजित विश्व धर्म संसद में स्वामी विवेकानंद ने जब अपने श्रोताओं को ‘मेरे अमेरिकी बहनों…
यह समय का कालचक्र है। वक्त किस तरह से बीत जाता है, पता ही नहीं चलता। समय के शिलालेख इतिहास…
इन दिनों बच्चियों के जीवन से गुड़िया खो-सी गई है। पहले उनके जीवन में गुड्डे भी होते थे और गुड़िया…
धूप के दिन आ गए हैं। धूप में बैठने और सेंकने के दिन। और अगर किसी ऐसी जगह में हों…
कुदरत ने हम सबको घुमक्कड़ी करने के लिए ही दो पैर दिए हैं, पर ज्ञान-विज्ञान और तकनीक के विस्तार ने…
आजकल ‘अवसाद’ शब्द चलन में है! कहीं भी और किसी भी व्यक्ति के हावभाव को देख कर यह शब्द प्रयोग…
दरअसल जब किसी भी तरह की कोई कुंठा हमारे मन में घर कर लेती है तो हमारी मानसिकता भी संकुचित…
मनुष्य ने सब कुछ विशेष पाने और बनने की होड़ में जीवन को इतना जटिल बना दिया है कि जीवन…
आज बेतहाशा भागती दुनिया में दुर्घटनाएं आम हो गईं हैं। आज के समाचार पत्र ‘लापरवाही से वाहन चलाने से हुई…