हम सच को जानते हुए भी अगर अंधविश्वासी बन जाएं तो वह खतरनाक है।
आजकल देखें, तो सड़कों के किनारे फलों के पेड़ नहीं दिखाई देते।
सहज ढंग से खरी बात कहने का भारतीय अंदाज इसे तिकोना कहकर किसी शक की गुंजाइश नहीं छोड़ता।
उन्मुक्तता के प्रतीक पक्षी जब हमारे घर-आंगन या आजकल की बालकनी में चहकते-फुदकते हैं तो उन्हें देखने मात्र से ही…
भारतीय संस्कृति और विरासत में ऊंटों का व्यापारिक, सामरिक और प्रशासनिक अनुशीलन होता रहा है।
किसी के घर जाना होता है, तो मेरे लिए दो घंटे काटना भी मुश्किल हो जाता है।
कभी जगजीत गाया करते थे- ‘जो बेहोश है, होश में आएगा, गिरने वाला जो है वह संभल जाएगा’।
आखिर कौन-सी वे गिरहें हैं, जिन्हें हमें समझने, सुलझाने और तोड़ने का अनवरत प्रयास करते रहना है।
एक युवक तपती दोपहर में आया और अपनी एक योजना में शामिल होने के लिए निवेदन करने लगा।
छोटे परदे की चुहलबाजी करने वाले ये धारावाहिक अच्छे-खासे घरों के बीच नारद की भूमिका निभाते हैं।
जीवन की सच्चाई है कि जो आया है, उसकी एक दिन मृत्यु होगी।
शुरुआती विद्यार्थी जीवन में स्कूलों और घर में अपने बड़ों और शिक्षकों द्वारा हमें बहुत-सी बातें समझाई जाती हैं।