पुस्तकायन : निरपेक्ष नजर की परख

छबिल कुमार मेहरे रमेश दवे स्थितप्रज्ञ आलोचक हैं। वादों-विवादों, खेमेबाजी, नारेबाजी और विचारधारागत पूर्वग्रहों, पुरस्कार-सम्मानों की आकांक्षा से हमेशा दूर…

पुस्तकायन : दो दुनियाओं के बीच सेतु

प्रताप दीक्षित कथाकार शैलेंद्र सागर के संग्रह ब्रंच तथा अन्य कहानियां में वर्तमान के कोलाहल के बीच उगे-फैलते मरुथल में…

भीड़ की शक्ति

प्रज्ञा वाजपेयी भीड़ को आमतौर पर संदेह की निगाहों से देखा जाता रहा है। विलियम शेक्सपियर ने एक नाटक ‘जूलियस…

उतार पर जादू

पहले लोकसभा चुनाव, उसके बाद महाराष्ट्र, झारखंड और हरियाणा के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जीत दर्ज की और अपनी…

मोदी के नाम

राजनेताओं को उनकी वैचारिक संपदा, चरित्र और उनके सामाजिक योगदान के लिए याद करने का चलन रहा है। गांधीजी को…

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