छबिल कुमार मेहरे रमेश दवे स्थितप्रज्ञ आलोचक हैं। वादों-विवादों, खेमेबाजी, नारेबाजी और विचारधारागत पूर्वग्रहों, पुरस्कार-सम्मानों की आकांक्षा से हमेशा दूर…
प्रताप दीक्षित कथाकार शैलेंद्र सागर के संग्रह ब्रंच तथा अन्य कहानियां में वर्तमान के कोलाहल के बीच उगे-फैलते मरुथल में…
चुनाव प्रचार को लेकर नियम-कायदे तय हैं, इनके उल्लंघन पर दंड का प्रावधान है, मगर राजनीतिक दल इसकी कम ही…
बिहार में करीब महीने भर से कयास लगाए जा रहे थे कि मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को हटा कर एक…
शीतला सिंह लखनऊ में विधाई निकायों के पीठासीन अधिकारियों के सतहत्तरवें सम्मेलन में लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ी समस्या सांसदों…
अजेय कुमार बेटे ने जब अपनी विदेशी मुसलिम मित्र से शादी करने का प्रस्ताव रखा तो मुझे शक था कि…
प्रज्ञा वाजपेयी भीड़ को आमतौर पर संदेह की निगाहों से देखा जाता रहा है। विलियम शेक्सपियर ने एक नाटक ‘जूलियस…
पहले लोकसभा चुनाव, उसके बाद महाराष्ट्र, झारखंड और हरियाणा के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जीत दर्ज की और अपनी…
राजनेताओं को उनकी वैचारिक संपदा, चरित्र और उनके सामाजिक योगदान के लिए याद करने का चलन रहा है। गांधीजी को…
चुनाव के वक्त लोकतंत्र में सघन प्रचार एक स्वाभाविक राजनीतिक प्रक्रिया है। मगर दिल्ली के विधानसभा चुनावों में जिस तरह…
विष्णु नागर हमारी पीढ़ी ने निराश करने वाले, मगर फिर भी आज से कहीं ज्यादा आशाजनक समय में शुरुआत की…
संदीप जोशी आज दलीय राजनीति अपनी विचारधारा यानी ‘बेस’ को संवारने में लगी है और अपने चेहरे बदलने के लिए…