विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी (BJP) शासित उत्तर प्रदेश के सभी स्थानीय निकायों में प्रोविडेंट फंड योजना (PF Scheme) 100 प्रतिशत लागू किए जाने की तैयारी की जा रही है। सूत्रों के हवाले से मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया कि पहले चरण में एक लाख लोग इस स्कीम का फायदा उठा सकेंगे। वैसे, सूबे के कुछ निकाय इसे लागू करने को लेकर अदालत की चौखट पर पहुंच चुके हैं।

कहा जा रहा है कि इसे अनिवार्य तौर पर लागू करने पर निर्णय होगा। इस चीज को दो वर्षों के बाद 22 दिसंबर, 2021 को यूपी ईपीएफओ बोर्ड की मीटिंग में सामने लाया जाएगा। यह 111वीं बोर्ड की क्षेत्रीय समिति की बैठक है, जो लखनऊ में अपर मुख्य सचिव (श्रम) की अध्यक्षता में होगी। जानकारी के मुताबिक, ईपीएफओ आयुक्त गौतम की तरफ से बोर्ड सदस्यों को एजेंडा भेज दिया जा चुका है।

बोर्ड सदस्य सुखदेव प्रसाद मिश्रा ने पत्रकारों को बताया कि एजेंडे से इतर भी प्रपोजल मीटिंग के दौरान रखे जा सकते हैं। उन पर चर्चा के बाद निर्णय लिया जा सकता है। सभी कर्मचारियों को पीएफ योजना का लाभ मुहैया कराया जाएगा। फिर चाहे ही वह ठेके पर ही क्यों न काम कर रहे हों।

बताया गया कि इस मीटिंग में नगर पंचायतों, नगर पालिका, नगर निगम, संविदा कर्मचारियों और ठेका कामगारों में पीएफ योजना लागू करने के साथ अदालती मामलों पर भी पॉलिसी बनाए जाने पर निर्णय लिया जा सकता है। यही नहीं, सेवानिवृत्ति के दिन ही प्रयास योजना में सभी सदस्यों को आखिरी हिसाब के साथ पेंशन के दस्तावेज देने से संबंधित फैसले लिए जाएंगे।

एंप्लाई प्रोविडेंट फंड ऑर्गनाइजेशन (ईपीएफओ) ने इस साल अपनी कई योजनाओं को अपडेट किया है। इसमें पीएफ-आधार लिंकिंग, कुछ कर्मचारियोंके लिए दो पीएफ अकाउंट रखना, ईडीएलआई योजना के तहत इंश्योरेंस बेनेफिट में बढ़ोतरी और कर्मचारी के पीएफ खाते में नॉमिनी को जोड़ना आदि भी शामिल है।

चूंकि, 30 नवंबर 2021 से ईपीएफओ ने पीएफ खाते के यूएएन (यूनिवर्सल अकाउंट नंबर) से आधार कार्ड से लिंक करना अनिवार्य कर दिया है, इसलिए पीएफ का लाभ पाने के लिए यह काम बेहद जरूरी हो जाता है। अगर कोई ऐसा नहीं करता है, तब उक्त कर्मचारी को एंप्लायर वाला कंट्रीब्यूशन मिलना बंद हो जाएगा।