रासायनिक उर्वरकों के ज्यादा इस्तेमाल से भूमि, पानी की गुणवत्ता और मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने का उल्लेख करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को किसानों से प्राकृतिक खेती के तरीकों को अपनाकर भारत में ‘‘नयी हरित क्रांति’’ शुरू करने का आग्रह किया। प्राकृतिक खेती के लिए गुजरात सरकार की पहल, इसके मोबाइल एप्लीकेशन और किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के माध्यम से प्राकृतिक खेती के तरीकों का उपयोग करके उगाए गए उत्पादों के विपणन के लिए ई-वैन का प्रतीक चिह्न अनावरण करने के बाद शाह डिजिटल तरीके से किसानों को संबोधित कर रहे थे।

शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रासायनिक उर्वरकों को एक बड़े संकट के रूप में चिह्नित किया है और कृषि उत्पादन बढ़ाने, पानी की खपत को कम करने और किसानों के लिए समृद्धि लाने के उद्देश्य से इसके उपयोग को रोकने के विकल्पों की तलाश शुरू की गई है। गांधीनगर लोकसभा क्षेत्र के किसानों के साथ डिजिटल तरीके से बातचीत में केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा, ‘‘आइए हम प्राकृतिक खेती के माध्यम से एक नयी हरित क्रांति की शुरुआत करें, जो भूमि को नुकसान पहुंचाने के बजाय अगले कई वर्षों तक संरक्षित करेगी। इसे हासिल करने के लिए प्राकृतिक खेती ही एकमात्र रास्ता है।’’ शाह लोकसभा में गांधीनगर का प्रतिनिधित्व करते हैं।

शाह ने कहा कि प्राकृतिक खेती का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है और देश के भविष्य के लिए यह महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, ‘‘प्राकृतिक खेती आज भारत के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन मैं निश्चित रूप से देख सकता हूं कि पूरी दुनिया को हमारे देश द्वारा शुरू की गई प्राकृतिक खेती के तरीकों को स्वीकार करना होगा। पूरी दुनिया को देसी गाय (जो प्राकृतिक खेती की प्रक्रिया में प्रमुख भूमिका निभाती है) के महत्व को स्वीकार करना होगा।’’

उन्होंने कहा कि गुजरात में एफपीओ उपभोक्ताओं और किसानों के बीच एक सेतु का काम करेंगे। प्रमाणन के बाद ये संगठन कृषि उपज को उपभोक्ताओं तक पहुंचाएंगे। यह देश में इस तरह की पहली प्रणाली होगी। शाह ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी का इसका ब्रांड एंबेसडर बनना बहुत खुशी की बात है। मुझे यकीन है कि भारत में प्राकृतिक कृषि तकनीकों को अपनाया जाना पूरी दुनिया को रास्ता दिखाएगा।’’

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उन्होंने कहा कि गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने भी प्राकृतिक खेती के क्षेत्र में काम किया है। शाह ने कहा कि वैज्ञानिकों ने प्रमाणित किया है कि प्राकृतिक खेती को अपनाने से भूमि की गुणवत्ता बहाल हो जाती है और यह अधिक उपजाऊ हो जाती है, उत्पादन बढ़ता है, पानी का उपयोग कम होता है और किसान समृद्ध होते हैं।