भारतीय रेलवे तीन टॉय ट्रेन का संचालन करने की तैयारी कर रहा है। ये ट्रेनें 118 साल बाद हिमाचल प्रदेश में शुरू की जानें वाली है। हिंदुस्‍तान टाइम्‍स की एक रिपोर्ट के अनुसार, इन ट्रेनों को इस साल के अंत तक शिमला से कालका रूट के लिए शुरू कर दिया जाएगा। वहीं रेलवे की ओर से दी गई जानकारी में कहा गया है कि Kalka-Shimla टॉय ट्रेनों के कोचों का निर्माण रेल कोच फैक्‍ट्री (RCF) कपुरथला में किया जा रहा है। आइए जानते हैं इन ट्रेनों की डिजाइन से लेकर फैसलिटी और अन्‍य चीजों के बारे में पूरी डिटेल।

कालका-शिमला टॉय ट्रेन
डिजाइन: इन ट्रेनों के कोच के डिजाइन की बात करें तो इनकी कोचों की डिजाइन जर्मन निर्माता लिंक हॉफमैन बुश (LHB) द्वारा तैयार की गई हैं। टॉय ट्रेनों के लिए कुल 30 नई पीढ़ी के एलएचबी कोच होंगे, जो 765 मिमी नैरो गेज का उपयोग करेंगे।

क्‍या दी जाएंगी सुविधाएं
नई ट्रेनों में AC कोच में 180 डिग्री रोटेटेबल चेयर सीट और GS कोच में फ्लिप-टाइप सीटिंग की व्यवस्था दी जाएगी। रेलवे के एक अधिकारी के अनुसार, ट्रेन में CCTV, हर कोच में दो आपातकालीन अलार्म पुश बटन, एक यात्री घोषणा प्रणाली, एक यात्री सूचना प्रणाली, इंफोटेनमेंट के लिए वाईफाई और एक सिंक-इन एलईडी गंतव्य बोर्ड दिया जाएगा।

कैसा होगा कोच
नई कालका-शिमला टॉय ट्रेनें निजी या समूह बुकिंग के मामले में बैठने के पैटर्न में ग्राहकों का विकल्‍प देगी। सभी कोच विस्टाडोम कोच होंगे, जो एक आकर्षक डिजाइन की पेशकश करेंगे। छत में ग्लेज़िंग (VLT) नियंत्रणीय घुमावदार कांच की खिड़कियां, बॉडीसाइड बाय-फोल्डेबल दरवाजे, ध्वनि और कंपन नम फ्लोटिंग फ्लोर, और एलईडी-आधारित बिजली जैसी चीजें कोच में होंगी। बता दें कि नई टॉय ट्रेनें 1903 में अंग्रेजों द्वारा निर्मित 96.6 किलोमीटर नैरो-गेज ट्रैक पर चलेंगी।

यहां पहले से चलती हैं टॉय ट्रेनें
कालका-शिमला के अलावा, भारत दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे, नीलगिरी माउंटेन रेलवे (तमिलनाडु), माथेरान हिल रेलवे और कांगड़ा वैली रेलवे (हिमाचल प्रदेश) जैसी टॉय ट्रेनों का संचालन करता है।