दिल्ली हाईकोर्ट ने कंस्ट्रक्शन वर्कर की पेंशन को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि यदि कंस्ट्रक्शन वर्कर के जन्म तिथि के कागज में कोई असमानता है, तब भी उसे पेंशन के अधिकार से वंचित नहीं रखा जा सकता है।

न्यायमूर्ति प्रतिभा सिंह की एकल न्यायाधीश की पीठ ने गुरुवार को अपने आदेश में कहा कि बड़ी संख्या में कंस्ट्रक्शन वर्कर या तो निरक्षर या अर्ध-निरक्षर होते हैं और ग्रामीण पृष्ठभूमि से आते हैं। इसलिए यह संभव है कि उनके परिवारों ने जन्म तिथि के रिकॉर्ड को उचित रूप से संरक्षित नहीं किया हो और अधिकांश अवसरों पर परिवार में वयस्कों के पास उपलब्ध जानकारी के आधार पर जन्म तिथि भरी जाती है।

पीठ ने अपने फैसले में कहा, “कंस्ट्रक्शन वर्कर के पेंशन के अधिकार को केवल जन्म तिथि में कुछ अंतर के कारण वंचित नहीं किया जा सकता है, जब तक कि श्रमिक की पहचान स्थापित की जा सकती है और वह दावा फर्जी न हो।”

रघुनाथ जो एक बढ़ई हैं, उन्होंने Delhi Building and Other Construction Workers (Regulation of Employment and Conditions of Service) Rules 2002 के नियम 273 के अनुसार अपनी पेंशन जारी करने की मांग करते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने 31 दिसंबर 2014 को सेवानिवृत्ति की आयु प्राप्त की और 5 जनवरी 2016 को पेंशन के लिए आवेदन किया। 19 मार्च 2013 को उनका दिल्ली भवन और अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में पंजीकरण हुआ था।

याचिकाकर्ता का मामला था कि बार-बार के प्रयासों और आवेदनों के बावजूद बोर्ड द्वारा पेंशन के लिए उसके आवेदन पर कार्रवाई नहीं की गई। बोर्ड द्वारा 10 जून 2020 को उन्हें एक पत्र जारी किया गया था, जिसमें कहा गया था कि उनके लेबर कार्ड में दी गई उम्र आधार कार्ड में दी गई उम्र से अलग है।

उन्होंने बोर्ड को एक हलफनामा देकर पुष्टि की कि उनकी जन्मतिथि 1 जनवरी, 1955 थी और अपना आधार कार्ड एक बार फिर जन्म तिथि 1 जनवरी 1955 दर्शाते हुए जमा किया। उन्होंने 17 सितंबर 2020 को पत्र का जवाब भी दाखिल किया।

रघुनाथ ने कहा कि उनके जवाब के बावजूद उनके आवेदन पर कार्रवाई नहीं की गई। 4 फरवरी, 2021 को एक दूसरा पत्र जारी किया गया, जिसमें उन्हें एक वैध आयु प्रमाण प्रस्तुत करने और व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के लिए कहा गया। याचिका में लागू ब्याज सहित 1 जनवरी 2015 से प्रभावी पेंशन जारी करने की प्रार्थना की गई है।

अदालत ने कहा कि बोर्ड के पंजीकरण कार्ड और आधार कार्ड में याचिकाकर्ता की जन्म तिथि सही ढंग से दर्ज थी और दोनों दस्तावेजों के बीच कोई विरोधाभास नहीं था।

अदालत ने कहा कि सेवानिवृत्ति के समय रघुनाथ ने एक साल से अधिक समय तक एक भवन निर्माण और अन्य निर्माण श्रमिक के रूप में काम किया था और पूरी अवधि के लिए अपना योगदान दिया था। अदालत ने कहा, “तथ्य यह है कि योगदान की अवधि उनकी सेवानिवृत्ति के बाद कुछ महीनों के लिए बढ़ा दी गई है, जिससे यह अनुमान नहीं लगाया जा सकता है कि जन्म तिथि गलत थी या उसके कारण पेंशन संबंधी लाभों से इनकार किया जा सकता है।”