महंगाई को लेकर लालू यादव ने फिर से मोदी सरकार पर तीखा हमला किया है। इस बार उन्होंने सरसों के तेल के बढ़ते दामों को लेकर केंद्र पर निशाना साधा है। लालू ने अपनी पोस्ट में लिखा कि सरसों के तेल का क्या भाव है? क्या आप इससे खुश है? रुकिए, तीन काले कृषि क़ानूनों का विपरीत प्रभाव अभी दो-चार वर्षों बाद और अधिक समझ में आएगा।

उधर, सोशल मीडिया पर लोगों ने लालू यादव की बात का समर्थन करते हुए मोदी सरकार पर तंज कसे। शैलेंद्र कुमार ने लिखा- अब सरसो तेल लग्जरी आइटम मे आएगा। तब मोदी जी कहेंगे हमने इतना विकास किया की देश के सभी लोग लग्जरी आइटम खरीदने मे सक्षम है। एक यूजर का, कहना था कि बहुत खुश हूं लालू जी। अब दीवाली पर दिया की जगह मोमबत्ती जल रहा है। अमीर सौद ने लिखा- भक्त तोह बहुत खुश है सर और हम लोगों को उनके दुखी न होने से उनपर दया आ रही है।

रोहित ने लिखा- बधाई हो। किसानों से 103 हजार टन सरसों 2021 में पैदा हुआ। उसे खरीद कर इन्हीके गोदाम में गया। अब जो मन होगा दाम लगेगा। कोई खुले में घर से पेर कर बेचेगा वह जेल जाएगा। शिवम ने कहा कि ये अंधा सरकार हैं। इस सरकार में सब कुछ हो सकता हैं। पेट्रोल 200 रुपए प्रति लीटर हो सकता हैं। सरसो तेल 300 रुपए प्रति लीटर हो सकता है। इस सरकार को जड़ से मिटाने में ही देश के गरीब जनता की भलाई है। जबकि प्रेम सिंह का कहना था- एक जनांदोलन की जरूरत है सर, ताकि पूरा हिनदुस्तान मोदी सरकार के अत्याचारों से मुक्त हो सके और ये सिर्फ आपसे ही संभव है। ट्वीट और मैसेज से कुछ नहीं होगा एक जनांदोलन की सख्त जरूरत है।

संजीत कुमार ने लिखा- आप तो चारा खाते हो न तो बताओ चारा का क्या भाव चल रहा है आजकल। रजनीकांत कुमार ने उनहें करारा जवाब देते हुए कहा कि स्व. जगन्नाथ मिश्र चारा घोटाले के जनक थे। जाति वजह से सीबीआई कोर्ट में उसके बदले लालू प्रसाद यादव को नामजद किया गया था। एक यूजर ने बतौर रेल मंत्री लालू के राज को याद करते हुए कहा- लालू जी, आप का एक काम मुझे बहुत अच्छा लगता है, गरीब रथ ट्रेन। अभी भी मात्र 900 रुपये में पटना से दिल्ली का सफ़र।

एक यूजर का कहना था कि बढ़ती महंगाई के खिलाफ सभी देशवासियो को एक होकर आवाज़ उठानी चाहिए, पर ऐसा नहीं हो रहा। यहां आवाज़ उठाने वालों पर ही दोषारोपण किया जा रहा है। अरे भाई मैं भी मोदीभक्त हूं पर क्या वो मेरे घर का खर्चा चलाएंगे? महंगाई बढ़ती जा रही है और सरकार कुछ कर नहीं रही। हालांकि एक शख्स ने दाम बढ़ोतरी को जायज ठहराते हुए लिखा- किसान खुश हैं। सरसों का अच्छा भाव काफी समय बाद मिला है। क्या चाहते हो कि किसानों को सही भाव ना मिले।