Google Trends: सर्दियों को आमतौर पर सस्ती और ताजी फल-सब्जियों का मौसम माना जाता है, लेकिन इस बार महंगाई ने इस मौसम की रौनक ही छीन ली है। हालात ऐसे हैं कि बाजार में सब्जियों के खुदरा दाम अब भी आसमान छू रहे हैं, जबकि एशिया की सबसे बड़ी सब्जी मंडी आजादपुर के आढ़तियों की दलील इससे बिल्कुल उलट है। उनका कहना है कि टमाटर और कुछ चुनिंदा हरी सब्जियों को छोड़ दें तो ज्यादातर सब्जियों के थोक भाव न सिर्फ स्थिर हैं, बल्कि कई के दाम तो आधे से भी कम हो चुके हैं।
इसके बावजूद आम आदमी की थाली तक पहुंचते-पहुंचते सब्जियां महंगी हो जा रही हैं। आढ़तियों का आरोप है कि इसकी बड़ी वजह बिचौलियों की मनमानी है, जो खुदरा बाजार में अपने हिसाब से दाम तय कर रहे हैं और प्रशासन इस पर लगाम लगाने में नाकाम साबित हो रहा है। हाल यह है कि बीते दो महीनों से टमाटर की कीमतें काबू में नहीं आ पा रही हैं। जिस मौसम में ‘ए’ ग्रेड टमाटर 20 से 25 रुपये किलो खुदरा बिकता है, उसी मौसम में अब भी इसके दाम 60 से 80 रुपये प्रति किलो बने हुए हैं।
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आजादपुर मंडी के थोक व्यापारी और पूर्व एपीएमसी सदस्य अनिल मल्होत्रा के मुताबिक, टमाटर के ऊंचे दामों के पीछे कई वजहें हैं। रतलाम की फसल अभी पूरी तरह तैयार नहीं हुई है, नासिक से आने वाले टमाटर बड़ी मात्रा में दक्षिण भारत भेजे जा रहे हैं और शिवपुरी से आने वाले टमाटर पर्याप्त लाल नहीं होने के कारण बाजार की मांग पूरी नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने बताया कि दिल्ली और आसपास के इलाकों से आने वाली सब्जियों के दाम बीते सप्ताह जरूर गिरे हैं। थोक बाजार में मटर 20 रुपये किलो, गाजर 50 किलो के हिसाब से करीब एक हजार रुपये, गोभी 22 रुपये किलो और आलू 50 किलो के लिए लगभग 350 रुपये में बिक रहा है।
इसके बावजूद खुदरा बाजार में कीमतें कम होने का असर नजर नहीं आ रहा। इसकी वजह बिचौलियों की मनमानी के साथ-साथ एपीएमसी में आने-जाने वाली गाड़ियों से वसूली जाने वाली कथित अवैध चुंगी भी बताई जा रही है। यही कारण है कि मंडी से निकलते-निकलते और खुदरा बाजार तक पहुंचते-पहुंचते हरी सब्जियों के दाम कई गुना बढ़ जाते हैं। हालात यह हैं कि पालक, मैथी, बथुआ, सरसों, सेम की फली और धनिया पत्ती जैसी हरी सब्जियां अब भी सामान्य से महंगी हैं। पालक, मैथी और सरसों 50 से 60 रुपये किलो बिक रही हैं, जबकि आमतौर पर इसी मौसम में इनके दाम 20 से 25 रुपये किलो होते हैं। शिमला मिर्च 20 से 25 रुपये में सिर्फ 250 ग्राम मिल रही है और बैंगन भी 60 रुपये किलो तक पहुंच चुका है।
महंगाई की यह मार सिर्फ सब्जियों तक सीमित नहीं है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आंकड़ों के अनुसार नवंबर में खुदरा महंगाई बढ़कर 0.71 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो अक्तूबर में 0.25 प्रतिशत थी। नवंबर के बाद मांस-मछली, मसालों और खाद्य तेलों की कीमतों में भी इजाफा देखने को मिला है। कुल मिलाकर सर्दियों का मौसम, जो कभी सस्ते खाने का भरोसा देता था, इस बार आम लोगों की जेब पर भारी पड़ता दिख रहा है।
