भारत में विकलांग लोगों के लिए सुविधाओं की कमी के चलते कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। उन्हें सरकारी कार्यालय में जाने, सफर करने समेत तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। मुंबई की एक विकलांग महिला शादी के लिए गई तो ऑफिस दूसरे फ्लोर पर बनाया गया था, जिससे उसे काफी परेशानी हुई। उसने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखा है।
विकलांग लोगों के अधिकारों के लिए लड़ने वाली वीराली मोदी ने एक ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने कहा कि मैं विकलांग हूं और मेरी शादी 16/10/23 को खार मुंबई स्थित रजिस्ट्रार कार्यालय में हुई। कार्यालय बिना लिफ्ट के दूसरी मंजिल पर था। वे हस्ताक्षर के लिए नीचे नहीं आए और मुझे शादी करने के लिए सीढ़ियां चढ़नी पड़ीं। सीढ़ियां बेहद खड़ी थीं और रेलिंग ढीली और जंग लगी हुई थी। किसी ने भी मदद की पेशकश नहीं की और न ही मेरे लिए किसी प्रकार की व्यवस्था की, जबकि मैंने पहले से ही विकलांगता के बारे में सूचित कर दिया था।
वीराली मोदी ने ट्वीट कर कही ये बात
वीराली मोदी ने पूछा कि सुगम्य भारत अभियान का क्या हुआ? सिर्फ इसलिए कि मैं व्हीलचेयर उपयोगकर्ता हूं, क्या मुझे उस व्यक्ति से शादी करने का अधिकार नहीं है जिसे मैं प्यार करती हूं? अगर कोई फिसल गया होता तो क्या होता और अगर मैं अपनी शादी के दिन गिर जाती तो क्या होता? कौन जिम्मेदार है? मेरे देश को मेरी और लाखों विकलांग नागरिकों की जरूरतों को पूरा करना चाहिए। यह अत्यंत अनुचित, अभूतपूर्व और अप्रत्याशित है। मेरे अधिकार मायने रखते हैं! यह एक सरकारी इमारत थी और इस देश को चलाने के प्रभारी लोगों को आगे बढ़कर नेतृत्व करना चाहिए।
वीराली मोदी के ट्विटर पर ये पोस्ट लिखा था, जो वायरल हो गया है। इस पोस्ट को एक मिलियन से अधिक लोगों देखा है। अभिनव नाम के ट्विटर यूजर ने लिखा, ‘शर्मिन्दा इस सरकारी तंत्र और नौकरशाही को होना चाहिए जो केवल और केवल भ्रष्टाचार में लिप्त हैं, अपनी जेबें भरते हैं, इन्हें दूसरों की तकलीफ का कोई अन्दाज़ा नहीं।’ @Sarangsspeaks ने लिखा, ‘अपने विशेष दिन पर आपको जिस कठिन परीक्षा से गुजरना पड़ा, उसके बारे में सुनना बेहद भयावह और दुखद है।’
@jigishs ने लिखा, ‘पिछले कुछ वर्षों में सरकार को इस दिशा में बहुत कुछ करते देखा है और आशा है कि आपका यह ट्वीट कुछ और बदलावों या उनमें तेजी लाने में मदद करेगा।’ एक अन्य ने लिखा, ‘सरकारी तंत्र को जगाने के लिए आपको बधाई और आपको शादी की भी बहुत-बहुत बधाई!’ एक ने लिखा, ‘हमारे सार्वजनिक बुनियादी ढांचे को विकलांगजनों के अनुकूल बनाना चाहिए।’