माना जाता है कि स्थिर मौसम के मुकाबले बदल रहा मौसम ज्यादा संवेदनशील होता है। यों भी मौसम में बदलाव के साथ हर मां एक तरह की चुनौती से गुजरती है। इस बात को मद्देनजर रखते हुए वह अपने बच्चों को बीमारी से बचा कर रखने की पूरी कोशिश करती है। यों कहने को बदलते मौसम का अनुभव सुहाना और खूबसूरत होता है, मगर इसमें होने वाले उतार-चढ़ाव बच्चों को संक्रमित कर दे सकते हैं, जिससे उन्हें सर्दी-जुकाम हो जा सकता है।
जाड़ा कई लोगों का पसंदीदा मौसम तो है, मगर यह सर्दी-जुखाम, बुखार, खांसी और विभिन्न प्रकार के संक्रमण का जोखिम भी अपने साथ बनाए रखता है। छोटे बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है और बदलते मौसम के साथ यह और कमजोर होने लगती है। साथ ही मौसम के अनुसार खानपान न बदलने के कारण भी बच्चे बीमार पड़ सकते हैं। हर मौसम में शरीर को कुछ विशेष पोषक तत्त्वों की जरूरत होती है। इसके अलावा मौसम के हिसाब से बदलती जीवनशैली भी बीमारियों के जोखिम को बढ़ा सकती है। कुछ उपाय ये हैं, जो बच्चों को संक्रमण और आम बीमारियों से बचा सकते हैं-
फाइबर से लैस खानपान
बच्चों के लिए बनाया गया पोषणयुक्त और स्वादिष्ट खाना भी कई बार कीटाणुओं का एक प्रमुख स्रोत बन सकता है। यही कारण है कि रोग प्रतिरोधक क्षमता को बहुत महत्त्वपूर्ण माना गया है। अच्छे पाचन और बच्चों को स्वस्थ रखने के लिए उनकी खाने में फाइबरयुक्त खाद्य पदार्थ शामिल करने से उनकी पाचन क्रिया सहज रहती है और इससे रोगों से लड़ने की उनकी क्षमता भी बढ़ती है।
आहार में सूखे मेवे
बदलते मौसम में सर्दी-जुकाम का जोखिम और बढ़ जाता है। ऐसे में सूखे मेवे शरीर को ऊर्जा देते हैं और सर्दियों में शरीर को गर्म रखने में भी मदद करते हैं। इसलिए घर में बच्चों को ठंड में बीमार होने से बचाने के लिए उन्हें सूखे मेवे खिलाना चाहिए। उन्हें उनकी पाचन क्षमता के मुताबिक बादाम, अखरोट, खजूर, किशमिश और सूखे अंजीर का सेवन कराना चाहिए।
घरेलू नुस्खों का इस्तेमाल
मौसमी बीमारियों, खासकर खांसी और जुकाम को दूर रखने के लिए हल्दी, अदरक और तुलसी का भरपूर इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है। इनका सेवन करने के कुछ सबसे आसान तरीके हैं हल्दी वाला दूध, तुलसी का पानी और अदरक कैंडी। जहां तक मसालों की बात है, तो सुनिश्चित करना चाहिए कि दैनिक भोजन में किसी न किसी रूप में काली मिर्च, इलायची, दालचीनी को शामिल किया जाए। मगर बच्चों का ग्राह्य क्षमता के मुताबिक इसकी मात्रा आदि का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
पानी बहुत जरूरी
पानी शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। लेकिन मौसम में बदलाव होने के दौरान पानी का महत्त्व और भी अधिक बढ़ जाता है, क्योंकि यह शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में मदद करता है। बच्चे खेलने-कूदने या अन्य वजहों से पानी नहीं मांगते हैं, जबकि उन्हें इसकी जरूरत होती है।
यह ध्यान रखने की जरूरत है कि जब बच्चों के शरीर में पर्याप्त रूप से पानी नहीं होता है, तो नाक का मार्ग और गला सूख जाता है। इससे कीटाणुओं का उनके शरीर में प्रवेश करने का मौका मिल जाता है। इसलिए सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चा दिन भर में अपनी जरूरत के मुताबिक पर्याप्त पानी पीए।
(यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी और जागरूकता के लिए है। उपचार या स्वास्थ्य संबंधी सलाह के लिए विशेषज्ञ की मदद लें।)