गले में संक्रमण होना आम बीमारी मानी जाती है। मौसम में बदलाव के साथ यह समस्या ज्यादा उभरती है और लोगों को सर्दी, जुकाम एवं गले में दर्द या संक्रमण जैसी शिकायत होती है। अब यदि इन समस्याओं का समय पर इलाज न हो तो यह काफी गंभीर बीमारी हो सकती हैं।
क्या होती है दिक्कत
जिस व्यक्ति के गले में संक्रमण होता है, तो उसे खराश होना आम बात है। इस कारण कुछ भी निगलने में परेशानी होती है। सामान्य तौर पर गले में संक्रमण ऊपरी श्वसन तंत्र में होने वाली आम समस्या है। इस संक्रमण का लक्षण गले में सूजन होती है। सर्दी के अलावा प्रदूषित हवा, पानी या भोजन के सेवन से भी यह बीमारी हो सकती है। आयुर्वेद में इस रोग का कारण वात, पित्त, कफ के असंतुलन को बताया गया है। यदि यह बीमारी सामान्य इलाज से ठीक नहीं हो रही और लंबे वक्त तक गला पकड़ लेती है तो समझ लेना चाहिए कि यह केवल सर्दी से होने वाली खराश नहीं, मामला गंभीर है और फौरन डाक्टर को दिखाना चाहिए।
यह स्ट्रेप्टोकोकल (स्ट्रेप थ्रोट) जीवाणु संक्रमण हो सकता है। इसे नजरअंदाज करने पर रूमेटिक फीवर, गुर्दे में सूजन और पस से भरा फोड़ा भी हो सकता है। वैसे डरने की जरूरत नहीं है। डाक्टर एक आसान जांच से इसका पता लगाकर तुरंत इलाज शुरू कर सकते हैं। गले में लगातार खराश होना गले के कैंसर का लक्षण भी हो सकता है।
कैंसर का जल्दी पता लग जाए तो मरीज के ठीक होने की संभावना अधिक होती है। एलर्जी की वजह से भी गले में जलन और खराश हो सकती है। पराग, धूल या किसी प्रदूषित खाने से एलर्जी होती है और धीरे-धीरे मरीज की हालत खराब हो जाती है। कोविड-19 जैसी खतरनाक बीमारी में भी पहले गले में खराश की शिकायत होती है।
लक्षण
गले में चुभन, गले का लगातार सूखना, जबड़े, गर्दन और सिर में दर्द, निगलने में दिक्कत, नाक बहना, बुखार, खांसी, आंख दुखना या आंखों में सूजन-जलन, टांसिल में सूजन और दर्द, आवाज में कर्कशता जैसी शिकायत होने पर समझ लेना चाहिए कि यह खराश हो सकती है। खराश को नजरअंदाज करना उचित नहीं होता, क्योंकि इससे यह दूसरे लोगों तक फैल सकती है।
कारण
गले के संक्रमण या खराश के कई कारण होते हैं। सामान्य तौर पर तो यह वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण से हो सकता है। किसी चीज से एलर्जी या शुष्कता होने पर या तंबाकू, धुआं आदि के संपर्क में आने से भी गले में संक्रमण हो सकता है। सामान्य सर्दी-जुकाम से गले में संक्रमण या सूजन होती है। फ्लू और रायनोवायरस भी इसका एक आम कारण है। डिपथेरिया भी एक ऐसी गंभीर बीमारी है, जो गले को संक्रमित कर देती है।
बरतें सावधानी
संक्रमण से बचने के लिए जरूरी है कि अपने खाद्य एवं पेय पदार्थ को किसी के साथ साझा न करें। भोजन से पहले हाथों को अच्छी तरह धोएं। खांसने और छींकने के बाद भी हाथों को धोएं। हो सके तो सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें। तैलीय एवं वसायुक्त भोजन से बचें। ठंडी चीजें जैसे आइसक्रीम, दही, बर्फ के पानी का बिल्कुल उपयोग न करें। संक्रमित एवं प्रदूषित वातावरण में न जाएं। यदि जाना मजबूरी हो तो मास्क अवश्य पहनें।
कुछ घरेलू उपाय
गले की समस्याओं के लिए मुलेठी अमृत के समान है। मुलेठी की छोटी-सी गांठ को कुछ देर मुंह में रखकर चबाएं। इससे गले की खराश दूर होती है और दर्द तथा सूजन से भी राहत मिलती है। मुनक्का का सेवन भी गले के संक्रमण से राहत देता है। इसके लिए सुबह चार-पांच मुनक्का चबाकर खाएं। ध्यान रहे कि मुनक्का खाने के बाद पानी न पिएं। अदरक और लौंग में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं। एक लौंग को मुंह में रखकर चूसते रहें। गले का रोग बहुत जल्द ठीक होता है।
इसके अलावा एक कप पानी में अदरक उबाल लें। उसमें शहद मिलाकर दिन में दो बार पिएं। सबसे जरूरी बात यह कि पीने में गर्म पानी का सेवन करें। गरम पानी में दो चम्मच सेब का सिरका डाल कर पिएं। इसके अलावा, एक कप गर्म पानी में एक चम्मच नमक और एक चम्मच सेब का सिरका मिलाकर गरारा करें। चार-पांच अंजीर को एक गिलास पानी में डालकर उबालें। पानी आधा रह जाए तो छानकर गर्म-गर्म ही पिएं।
ऐसा दिन में दो बार करेंगे तो निश्चित आराम मिलेगा। शहद और तुलसी का सेवन भी गले की खराश को दूर कर करता है। यदि इन घरेलू उपायों से खराश दूर नहीं हो रही तो फौरन डाक्टर को दिखाएं और उसके परामर्श पर पूरा इलाज करें। (यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी और जागरूकता के लिए है। उपचार या स्वास्थ्य संबंधी सलाह के लिए विशेषज्ञ की मदद लें।)