Jansatta Prashnkal interview Sukhvinder Singh Sukhu: हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का कहना है कि उनका पहाड़ी सूबा अपनी अर्थव्यवस्था के लिए सिर्फ केंद्र का मोहताज नहीं रहेगा। वे स्थानीय संसाधनों से राज्य को आर्थिक रूप से मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। सुक्खू ने कहा कि हमने ऐसे उद्योगपतियों से संपत्तियां वापस ली हैं जिसकी कल्पना तक नहीं की जा सकती थी। हिमाचल इकलौता राज्य है जहां डेयरी किसानों को दूध पर एमएसपी दी जाती है। स्थानीय किसानों को सरकार सबसिडी नहीं बल्कि ऊंची कीमत दे रही है। उनका दावा है कि अब हिमाचल कांग्रेस में कोई गुटबंदी नहीं है और सरकार पूरी तरह स्थिर है। नई दिल्ली में कार्यकारी संपादक मुकेश भारद्वाज की सुखविंदर सिंह सुक्खू के साथ बातचीत के चुनिंदा अंश।

बातचीत की शुरुआत अच्छी खबर से करते हैं। राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा गुणवत्ता में हिमाचल प्रदेश इक्कीसवें स्थान से छलांग लगा कर पांचवें पर पहुंच गया है। यह कैसे हुआ?
सुखविंदर सिंह सुक्खू: कांग्रेस की सरकार बनने के बाद हमने कुछ ऐतिहासिक फैसले लिए। हमने कई स्कूलों को समायोजित किया। हमने देखा कि कहीं विद्यार्थी की संख्या पांच है तो पढ़ाने वाले तीन हैं। हिमाचल में इस तरह के फैसले लेना आसान नहीं होता है। इसे राजनीतिक मुद्दा बना लिया जाता है। इसकी परवाह नहीं करते हुए स्कूलों को समायोजित किया। गुणवत्तापरक शिक्षा की जिस व्यवस्था में हम इक्कीसवें नंबर पर पहुंच गए थे इन्हीं व्यावहारिक रणनीतियों की वजह से आज हम 16 अंकों की बढ़त लेकर परख सर्वेक्षण के अनुसार पांचवें नंबर पर पहुंच गए हैं। उम्मीद है, हिमाचल पहले तीन राज्यों में भी अपनी जगह बना लेगा।

भौगोलिक कारणों से हिमाचल प्रदेश में बच्चों और स्कूलों के बीच दूरी बढ़ जाती है। क्या स्कूलों को समायोजित करने के फैसले से इस बात की आशंका नहीं है कि कुछ बच्चे दूरी के कारण स्कूल पहुंचने से रह जाएंगे।
सुखविंदर सिंह सुक्खू: हिमाचल प्रदेश में दूरी की कोई समस्या नहीं है। यह चालीस-पचास साल पहले की बात थी। आज हमारी व्यवस्था में कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित नहीं रहेगा। तीन किलोमीटर की परिधि में ही स्कूल बंद किए गए हैं। पंचायत अगर अनुशंसा करती है तो हम बच्चों को परिवहन की सुविधा देते हैं।

पर्यटन हिमाचल प्रदेश की रीढ़ की हड्डी है। कांग्रेस सरकार भी पर्यटन की व्यवस्था ज्यादा से ज्यादा निजी हाथों में देने की ओर है। निजी व्यवस्था के साथ मुनाफा अहम है। निजी व मुनाफे के संदर्भ में देखें तो क्या यह हिमाचल की भौगोलिक व सांस्कृतिक स्थिति को नुकसान पहुंचा सकता है?
सुखविंदर सिंह सुक्खू: यहां कुछ भी अनियंत्रित तरीके से नहीं हो रहा है। हम निजी संस्थाओं को आमंत्रित कर रहे हैं कि आप हमारे यहां ‘टू स्टार’ या ‘फाइव स्टार’ होटल खोलें। हमने अपने बजट में 200 होटल खोलने की बात कही है। इसके साथ ही हमने कहा है कि चार प्राकृतिक होटल खोलना भी अनिवार्य है, जहां सारी चीजें प्राकृतिक रूप से बनेंगी व प्राकृतिक चीजों की ही खरीद-बिक्री होगी। हम होटल उद्योग को ज्यादा बढ़ावा दे रहे हैं। होटल उद्योग हमारे राज्य के राजस्व का मुख्य स्रोत है। पर्यटन से हमें जीएसटी मिलेगी। अन्य उद्योगों से हमें बहुत कम जीएसटी मिलने की उम्मीद होती है। हमारे यहां बद्दी क्षेत्र जो विशालकाय फार्मा उद्योग क्षेत्र में आता है, वहां ‘एक्साइज’ और ‘वैट’ से हमें चार से पांच हजार करोड़ रुपए का राजस्व आता था। जीएसटी लगने के बाद यह सिर्फ डेढ़ सौ करोड़ रह गया है। जीएसटी उपभोक्ता केंद्रित है। यह उत्पादन केंद्रित नहीं है। उपभोक्ता जब कोई चीज खरीदेगा तो जीएसटी का भुगतान करेगा। हमारी जनसंख्या 75 लाख है या आगे अस्सी लाख होगी। यह बहुत ज्यादा बढ़ेगी नहीं। जीएसटी व्यवस्था का फायदा बड़ी जनसंख्या वाले राज्यों को हुआ है। यूपी, बिहार, महाराष्ट्र गुजरात को फायदा हुआ। हमें जीएसटी लगने का नुकसान हुआ। उद्योगों का अध्ययन करने के बाद हमने पर्यटन को ही हमारे अनुकूल पाया। पर्यटक पानी की बोतल खरीदेंगे, खाना खाएंगे तो सब पर जीएसटी देंगे। इसलिए पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए हम हेलीपैड बना रहे हैं। हवाई अड्डे का विस्तार कर रहे हैं। पैसे की तंगी के कारण हम एक-एक कदम आगे बढ़ा रहे हैं। देखते हैं कि हम कहां तक सफल होते हैं।

क्या होटल उद्योग के लिए कोई अधिवास नीति भी है?
सुखविंदर सिंह सुक्खू: नहीं। होटलों, उद्योगों के लिए यह कोई शर्त नहीं है। अधिवास नीति सिर्फ कृषि के उद्देश्यों के लिए है जहां 118 की इजाजत लेनी पड़ती है। बद्दी इतना बड़ा औद्योगिक क्षेत्र है, वहां तो सभी बाहर के लोग ही हैं। हिमाचल प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए हमें नियमों में भी बदलाव करना पड़ेगा तो करेंगे।

आरोप है कि जिस भव्यता के साथ बद्दी की परियोजना को लाया गया था वह सफल नहीं हुई। इसमें भाजपा और कांग्रेस दोनों का शासन शामिल है। लोगों ने वहां जमीनें खरीदीं। लेकिन बुनियादी सुविधाओं के अभाव ने निवेशकों को मायूस किया। वहां काम करने वाले भी चंडीगढ़ या मोहाली में रहना पसंद करते हैं।
सुखविंदर सिंह सुक्खू: ऐसा नहीं है। वहां रेलवे की लाइन बन रही है। चार गलियारे की सड़क बन रही है। दो-तीन सालों में वहां आधारभूत सुविधाएं उच्च गुणवत्ता की हो जाएंगी। अब तो बद्दी को निगम का दर्जा भी दे दिया है। बद्दी में फ्लैट खरीदने के लिए नियम 118 की भी बाध्यता नहीं है।

तो क्या परवाणू में फ्लैट खरीदने पर 118 का नियम लागू होता है?
सुखविंदर सिंह सुक्खू: जी, परवाणू में भी नहीं है क्योंकि वहां नगर पंचायत है। जितनी भी यूएलबी (अर्बन लोकल बाडी) नगर पंचायत, नगर परिषद हैं तो उनके दायरे में फ्लैट लेने वालों को 118 की जरूरत नहीं है। जमीन लेने के लिए जरूरत है। बने-बनाए घर पर जरूरत नहीं है।

यह सवाल इसलिए पूछा कि अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर प्रियंका गांधी तक ने हिमाचल में घर बनाया। आम आदमी भी यहां अपना घर बनाने के लिए आकर्षित होता है।
सुखविंदर सिंह सुक्खू: बहुत घर बन सकते हैं। कोई दिक्कत नहीं है।

हिमाचल प्रदेश की स्थिति अन्य राज्यों से अलग है। यहां सरकारी नौकरियों पर ज्यादा निर्भरता है। माना जाता है कि हर घर में एक सरकारी कर्मचारी है। अब इतने लोगों को सरकारी क्षेत्र में नौकरी नहीं मिल सकती है। निजी क्षेत्रों में नौकरी के दरवाजे क्यों नहीं खुल पा रहे हैं?
सुखविंदर सिंह सुक्खू: हिमाचल प्रदेश में पर्यटन निजी क्षेत्रों में नौकरी दे रहा है। इसके अलावा ‘डाटा स्टोरेज’ का क्षेत्र है या डेयरी उत्पादन संयंत्रों में भी रोजगार के अवसर मिल रहे हैं। आने वाले समय में इसके नतीजे अच्छे निकलेंगे।

शिमला पर्यावणरविदों के बीच बहस का मुद्दा रहता है। आरोप है कि गलत नीतियों के कारण इसे सीमेंट-पत्थर का जंगल बना दिया गया है।
सुखविंदर सिंह सुक्खू: शिमला का एक भाग जब विकसित हुआ तो उसकी योजना में कहीं न कहीं कमी रही।

हिमाचल में भूस्खलन पर्यटकों के लिए एक नया डर बन गया है।
सुखविंदर सिंह सुक्खू: भूस्खलन पहाड़ के भौगोलिक स्वभाव में है। बरसात में यह होगा, इससे घबराने की कोई बात नहीं है। यहां पचहत्तर लाख की जनसंख्या भी तो रह रही है। भूस्खलन के समय जागरूक रहने की जरूरत है। उस समय नदी-नालों के पास जाने से बचें। पर्यटक जागरूक रह कर मानसून पर्यटन का पूरा आनंद उठा सकते हैं।

बाढ़ भी एक बड़ी समस्या बन चुकी है।
सुखविंदर सिंह सुक्खू: बाढ़ तो हमेशा आती है। इन दिनों बादल फटने की घटनाएं ज्यादा हो रही हैं, जिससे नुकसान होता है।

जब आप मुख्यमंत्री बने तो हिमाचल प्रदेश में एक राजनीतिक संघर्ष देखा गया। आपका अपना करियर भी संघर्ष से भरा रहा। अब जब आप स्थापित हो चुके हैं तो कैसा महसूस कर रहे हैं?
सुखविंदर सिंह सुक्खू: जीवन तो एक संघर्ष है ही। इस संघर्ष की राह में आपको कड़ा परिश्रम करना पड़ता है। हमारा सपना है कि 2027 तक हम हिमाचल प्रदेश को अपने पांव पर खड़ा कर देंगे। 2032 तक इसे हिंदुस्तान का सबसे समृद्धशाली और अमीर राज्य बनाएंगे। ये कोरी कल्पना नहीं है, हम इसके लिए व्यावहारिक तरीके से काम कर रहे हैं। चालीस साल पुराने नियमों को बदल कर हम लगनशीलता से काम कर रहे हैं। मुझे खुशी है कि ढाई साल में इसके परिणाम दिखने शुरू हो चुके हैं।

और राजनीतिक संघर्ष?
सुखविंदर सिंह सुक्खू: राजनीतिक संघर्ष तो मैं 17 साल की उम्र से कर रहा हूं। मैं राजनीतिक संघर्ष करके ही आगे बढ़ा हूं। संघर्ष मेरे जीवन की पूंजी है। संघर्ष के दौरान मैंने हमेशा इस बात का ध्यान रखा कि मुझे ईमानदारी, नैतिकता और पारदर्शिता से काम करते हुए यह चीज हासिल करनी है। मैं सरकार में रह कर भी इसी तरह से अपने लक्ष्य को हासिल करने की कोशिश करता हूं। पार्टी में भी मैं प्यार से मनाने की कोशिश करता हूं। मैं किसी भी अच्छे काम के लिए सबको साथ लेकर चलने की कोशिश करता हूं।

तो अब सब मान गए हैं? प्रतिभा सिंह भी?
सुखविंदर सिंह सुक्खू: मेरा उनके साथ कोई मतभेद है ही नहीं। अब यहां सभी तरह की अंदरूनी राजनीति खत्म हो गई है।

लेकिन आपको राज्य में बगावत झेलनी पड़ी। सरकार पर संकट आया।
सुखविंदर सिंह सुक्खू: हमारे सरकार के खिलाफ नौ विधायकों ने बगावत की। इस बगावत का सबक उन्हें जनता ने सिखा दिया। उनमें से छह दुबारा चुन कर नहीं आए। हम 34 से फिर 40 पर आ गए। जनता का विश्वास था कि हम रहेंगे तो उनके लिए काम करेंगे। लोगों ने लोकसभा में भाजपा को वोट दिया लेकिन विधानसभा में हमें दिया।

आप जब चुने गए थे तो हिमाचल प्रदेश कांग्रेस पूरे देश की नजर में आ गई थी। जब कांग्रेस पूरी तरह नाकाम हो रही थी तो इसे हिमाचल से संजीवनी मिली। लेकिन, कांग्रेस यह बढ़त बरकरार नहीं रख पाई। दूसरी बात, अभी आपने कही कि पूरे देश में चलन हो रहा है लोकसभा में भाजपा को सीटें देने का। ऐसे में दोहरे इंजन सरकार की अवधारणा में आप कब तक टिक पाएंगे? तब तो कांग्रेस की दोहरे इंजन की सरकार कभी बन ही नहीं पाएगी।
सुखविंदर सिंह सुक्खू: कांग्रेस ने पूरा संघर्ष किया है और अब कांग्रेस का अच्छा समय शुरू हो चुका है। कांग्रेस के राजनीतिक संघर्ष के अच्छे परिणाम जल्द आने शुरू हो जाएंगे।

आपको लगता है कि राहुल गांधी की पूरे देश में स्वीकार्यता है?
सुखविंदर सिंह सुक्खू: जी, पूरी स्वीकार्यता है।

कांग्रेस में सिर्फ हिमाचल में नहीं बल्कि पूरे देश में बगावत सामान्य सी बात हो गई है। अभी शशि थरूर ताजा उदाहरण बने हुए हैं।
सुखविंदर सिंह सुक्खू: लोकतंत्र की प्रक्रिया ऐसी है, जिसमें दूसरे के विचारों में मतभेद हो सकता है। मेरे प्रदेश में विधायकों में, मंत्रियों में मतभेद होता है। लेकिन हमें तो सभी प्रतिक्रिया को संभाल कर आगे चलना है।

आपकी हाई कमान में सुनी जाती है?
सुखविंदर सिंह सुक्खू: देखिए, मैं परवाणू से नीचे की राजनीति में विश्वास नहीं करता। मैं सिर्फ परवाणू से ऊपर की राजनीति में विश्वास करता हूं। मैं बस हिमाचल की राजनीति में रहना चाहता हूं। एकमात्र लोकतांत्रिक नेता राहुल गांधी हैं जो सबकी बात सुनते हैं और उसके बाद फैसला करते हैं।

आप हिमाचल प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने की बात करते हैं। केंद्र पर निर्भरता के बरक्स इसकी क्या रूपरेखा है।
सुखविंदर सिंह सुक्खू:
मैं यह मानता हूं कि संघीय व्यवस्था के कारण केंद्र व राज्य का रिश्ता तो रहेगा। लेकिन हमें अपने संसाधनों से अपनी जरूरतें पूरी करनी होंगी। मुख्यमंत्री बनने के बाद मैंने व्यवस्था परिवर्तन का नारा दिया था। ऐसे उद्योगपतियों से हम हिमाचल की संपत्तियों को वापस लाए जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती थी। हमने ओबेराय होटल वापस लिया। यह पहला मामला है जब सरकार ने किसी बड़े उद्योगपति के खिलाफ कोई केस जीता हो। नदियों के पानी को लेकर लड़ाई चल रही है। पानी कहां से आ रहा है? पांच नदियां हिमाचल की, पानी हिमाचल का, लड़ रहे हरियाणा और पंजाब। हमारे दोनों भाई हैं। हम आपको और भी पानी देना चाहते हैं। लेकिन एक छोटे भाई का जो अधिकार है उसे आप देना नहीं चाहते। हमारा कच्चा माल पानी ही है। हमारा पानी हमारे लिए सोना है। अगर आप ‘थर्मल पावर प्रोजेक्ट’ लाएंगे तो कोयला लाना पड़ेगा, कोयला लाने का किराया देना पड़ेगा। आपको खनन वालों को पहुंच देनी होगी। हर बार उसकी दर बढ़ेगी। पानी की कीमत बढ़नी नहीं है। जो हिमाचल के अधिकार हैं उसे देने में हिचकिचाहट नहीं होनी चाहिए। एनटीपीसी, एनएचपीसी व अन्य की परियोजनाएं खत्म हो जाएं तो इन्हें हिमाचल को ‘रायल्टी’ देनी चाहिए।

हिमाचल में भी अब हिंदू-मुसलिम का मुद्दा तेजी से उभर रहा है।
सुखविंदर सिंह सुक्खू: जो लोग कोई काम नहीं करते वे इस तरह की बातें करते हैं। हिमाचल में भारतीय जनता पार्टी पांच गुटों में बंटी हुई है। अपने गुट की प्रतिभा को उभारने के लिए वे लोग ऐसी बातें करती हैं।

कंगना रनौत भी बीच बहस में हैं। वे कह रही हैं, उन्हें मंडी आने नहीं दिया जाता है।
सुखविंदर सिंह सुक्खू: वे भाजपा की सांसद हैं। मैं इस बारे में ज्यादा टिप्पणी नहीं कर सकता।

प्रस्तुति : मृणाल वल्लरी
विशेष सहयोग: पंकज रोहिला