मानस मनोहर

बैगन-मुंगौड़ी
मुंगौड़ी यानी मूंग की दाल से बनी वड़ी। इसे कुछ इलाकों में अदौरी भी कहते हैं। वैसे मुंगौड़ी और अदौरी या दालवड़ी में थोड़ा अंतर होता है। अदौरी या वड़ी उड़द की दाल से मसाले वगैरह डाल कर बनाई जाती है। मगर मुंगौड़ी मूंग की दाल से बनती है और उसमें तीखे मसाले नहीं डाले जाते। मगर आमतौर पर दाल से बनने वाली सभी प्रकार की वड़ियों को मुंगौड़ी ही बोल दिया जाता है।

मुंगौड़ी बनाने का तरीका अलग-अलग इलाकों में अलग-अलग है। पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में इसे अदौरी कहते हैं। वहां इसे बनाने के लिए लोग मूंग, उड़द, चने की दाल और पेठा यानी सफेद कद्दू (जिससे पेठा मिठाई बनती है) के गूदे का उपयोग करते हैं। इसमें धनिया, जीरा, सौंफ, काली मिर्च, लाल मिर्च जैसे खड़े मसाले भी डाले जाते हैं।

कई इलाकों में सिर्फ मूंग की दाल को पीस कर उसकी वड़ियां बना ली जाती हैं। मुंगौड़ी या अदौरी बनाने का चलन इसलिए हुआ कि हर जगह और हर मौसम में हरी सब्जियां उपलब्ध नहीं होतीं, इसलिए मुंगौड़ी की सब्जी बहुत काम आती है। मुंगौड़ी सदाबहार सब्जी है। इसे किसी भी मौसम में बनाया और खाया जा सकता है।

बैगन के साथ मुंगौड़ी बनाने के लिए बाजार से मूंग दाल की छोटे आकार वाली मुंगौड़ी लें। इसके साथ बनाने के लिए लंबे वाले हरे लंबे बैगन लें। इसके अलावा सोया की कुछ पत्तियां लें। सोया, धनिया की तरह ही खुशबूदार होता है। इस मौसम में यह सहज उपलब्ध होता है। बैगन के साथ सोया का मेल बहुत अच्छा रहता है।

बैगन-मुंगौड़ी में प्याज की जरूरत नहीं होती, पर अगर आप चाहें तो छोटे आकार का एक प्याज बारीक काट कर तड़के में डाल सकते हैं। इसके अलावा इसमें एक बारीक कटा टमाटर भी डाल सकते हैं। वैसे टमाटर-प्याज के बिना बनाएं तो स्वाद अच्छा आएगा। हां, इसमें लहसुन और हींग का उपयोग जरूर करें। ये दोनों चीजें बैगन की सब्जी में अवश्य डालनी चाहिए।

इसे बनाना बहुत आसान है। एक कुकर में खाने का तेल गरम करें। उसमें जीरा, राई, मेथी दाना, साबुत धनिया और अजवाइन का तड़का लगाएं। तड़का लगाते समय सारी चीजें एक साथ नहीं डालनी चाहिए, नहीं तो जो कोमल मसाले हैं, वे पहले जल जाते हैं और मेथी दाना और राई ठीक से पक नहीं पाते। फिर बारीक कटा लहसुन, एक बारीक कटी हरी मिर्च और चुटकी भर हींग डालें।

अगर प्याज, टमाटर का उपयोग कर रहे हैं, तो उसे भी इसी समय डाल दें और नरम होने तक चलाते हुए पकाएं। तड़का तैयार होते ही उसमें मुंगौड़ियों को डाल कर चलाते हुए सुनहरा होने तक भून लें। उसी में कटे हुए बैगन और सोया की पत्तियां डाल दें। ऊपर से नमक, सब्जी मसाला, हल्दी पाउडर डालें और आधा कप पानी डाल कर ढक्कन लगा दें।

पानी इतना ही डालें, जिससे ज्यादा रसा न बने, सूखी सब्जी जैसा हो जाए। आंच मध्यम रखें। एक या दो सीटी आने के बाद आंच बंद कर दें। देख लें, बैगन पूरी तरह गल जाना चाहिए, जैसे भर्ता बनता है। चम्मच से फेंट कर बैगन को मसल दें। ऊपर से धनिया पत्ता, अदरक और हरी मिर्च काट कर सजाएं और रोटी या परांठे के साथ गरमागरम परोसें।

लौकी, अंकुरित मूंग
लौकी यानी घीया एक ऐसी सब्जी है, जो हर जगह और हर मौसम में उपलब्ध होती है। इसे देश के तकरीबन तमाम हिस्सों में खाने का प्रचलन है। अब तो डायबिटीज, रक्तचाप आदि से परेशान लोगों को घीया का रस पीने, घीया की सब्जी खाने की सलाह दी जाती है। पेट संबंधी समस्याओं से निजात पाने में तो यह मदद करती ही है।

इसे पकाने में तेल और मसालों की बिल्कुल जरूरत नहीं होती। हालांकि कई लोग प्याज, टमाटर, लहसुन और गरम मसाला डाल कर भी इसे बनाते और खाते हैं, पर आयुर्वेद कहता है कि लौकी को प्याज आदि के साथ न बनाएं, तो इसके औषधीय गुण अधिक लाभ पहुंचाते हैं।

लौकी को दालों के साथ तो पका सकते हैं, पर मसालेदार न बनाएं, तो अच्छा। लौकी को कभी अंकुरित मूंग के साथ पकाएं और देखें इसका लाजवाब स्वाद। इसे बनाने के लिए मूंग को अंकुरित करने में जरूर एक-दो दिन का वक्त लगता है, इसलिए इसकी तैयारी पहले से कर लेनी होती है। आजकल मौसम में ठंडक कम हो चली है, इसलिए एक से दो रात में मूंग खूब अच्छी तरह अंकुरित हो जाएंगे। एक कटोरी अंकुरित मूंग धोकर अलग रख लें। आधी लौकी का छिलका उतार कर छोटे टुकड़ों में काट लें।

अब कुकर में एक चम्मच देसी घी गरम करें। उसमें जीरे का तड़का दें। उसमें कटी लौकी छौंकें। ऊपर से अंकुरित मूंग डालें और जरूरत भर का नमक डाल कर कुकर का ढक्कन लगा दें। आंच धीमी रखें। एक से दो सीटी तक पकाएं। इस सब्जी में और कुछ डालने की जरूरत नहीं होती। अगर आप चाहें तो खाते समय हरी मिर्चें काट कर डाल सकते हैं। रोटी के साथ खाएं या वैसे ही नाश्ते के रूप में खाएं, यह फटाफट बनने वाला कम घी-तेल, मसाले वाला, अपने आप में संपूर्ण और सुपाच्य आहार है।