मानस मनोहर
बरसात के मौसम में सोंधी खुशबू वाले पकवान ललचाते हैं। थोड़े चटपटे, थोड़े करारे। इसलिए इस मौसम में चाट-पकौड़ों की दुकान पर भीड़ कुछ अधिक दिखाई देती है। ऐसे मौसम में देहाती व्यंजन जीभ को बड़े आनंददायक लगते हैं। उन्हें घर में ही बनाएं, तो स्वच्छता और सेहत की दृष्टि से बहुत उत्तम होते हैं। इस बार कुछ ऐसे ही देहाती व्यंजन।
सत्तू परांठा
शहरी जीवन में बहुत सारे लोगों के लिए सुबह के नाश्ते का मतलब परांठे या पूड़ी होता है। परांठे तो बहुत तरह के बनते हैं, मगर सत्तू के परांठे की बात ही अलग होती है। सत्तू दरअसल, देहाती आहार है। गांव के लोग चना, जौ वगैरह को भून कर पीस लेते हैं। इस तरह इसे खाने के लिए पकाने की कोई जरूरत नहीं होती। रास्ता चलते पानी में घोला, नमक डाला और पी लिया। कुछ लोग इसे आटे की लोई की तरह गूंथ कर भी खाते हैं। इस तरह यह चरवाहों, राहगीरों आदि के लिए सबसे सुरक्षित और सुपाच्य भोजन होता है। मगर आजकल तो शहरी इलाकों में भी सेहत की दृष्टि से बहुत सारे लोग सत्तू का सेवन करने लगे हैं।
सत्तू वाली बाटी के ठीये दिल्ली जैसे महानगरों में भी जगह-जगह दिख जाते हैं। जबसे कुछ फिल्मी हस्तियों और बड़े राजनेताओं ने बाटी-चोखा खाते हुए अपनी तस्वीरें साझा करनी शुरू की हैं, तबसे उन लोगों में भी सत्तू के प्रति आकर्षण बढ़ा है, जो कभी सत्तू नहीं खाते थे। इसलिए, अगर आप भी सत्तू न खाते हों, तो एक बार जरूर खाएं।
सत्तू के परांठे बड़े लाजवाब बनते हैं। बाटी बनाने के लिए तो फिर भी आग या अवन का उपयोग करना पड़ता है। इसके परांठे बनाने के लिए ऐसी कोई अलग से तैयारी करने की जरूरत नहीं पड़ती। जैसे बाकी चीजों के परांठे बनाते हैं, वैसे ही इसके भी बन जाते हैं। बस, इसे बनाने का सारा कौशल सत्तू का मसाला तैयार करने में है। वह भी कोई मुश्किल काम नहीं। एक बार तैयार करेंगे, तो फिर हर बार बहुत आसान लगने लगेगा।
परांठे बनाने के लिए चने का सत्तू इस्तेमाल किया जाता है। यह आजकल हर कहीं बाजार में उपलब्ध होता है। चार लोगों के लिए परांठा बनाने के लिए एक कप या रोजमर्रा उपयोग होने वाली एक कटोरी बराबर सत्तू लें।
उसे छन्नी से छान लें। इसमें डालने के लिए एक मध्यम आकार का प्याज, दस-बारह कलियां लहसुन की, तीन से चार हरी मिर्चें, थोड़ा अदरक और हरा धनिया पत्ता साफ करके बारीक-बारीक काट लें। इन सारी चीजों को सत्तू में डाल दें। इसके अलावा आधा चम्मच अजवाइन रगड़ कर डालें, जरूरत भर का नमक और दो चम्मच सरसों का कच्चा तेल डाल कर अच्छी तरह रगड़ कर मिलाएं। फिर एक बड़े या दो छोटे नीबू का रस निचोड़ें और सत्तू में डाल दें। अब दोनों हथेलियों से रगड़ते हुए सत्तू में मसाले मिलाएं। रगड़ने से ही इसका स्वाद निखरता है। मुट्ठी बांध कर देखें, सत्तू का मिश्रण बंधना चाहिए।
अब गुंथे हुए आटे में से रोटी से थोड़े बड़े आकार की लोई लें और उसे दोनों हाथों के अंगूठों से कटोरीनुमा आकार दें। उसमें एक से डेढ़ चम्मच सत्तू का मिश्रण भरें और अच्छी तरह बंद कर दें। लोई को सूखे आटे में लपेटें और चकले पर रख कर पहले हल्के हाथों से दबा कर जितना चपटा कर सकते हैं, कर लें। इस तरह परांठे के फटने की आशंका नहीं रहती। फिर बेलन से बेल लें। तवा गरम करें और मध्यम आंच पर दोनों तरफ घी लगा कर करारा सेंक लें। रायता और चटनी के साथ परोसें। इसके साथ आलू की रसेदार सब्जी भी अच्छी लगती है।
थालीपीठ
यह महाराष्ट्र का लोकप्रिय व्यंजन है। अब तो बड़े शहरों में भी महाराष्ट्रीयन रेस्तरां वगैरह में यह व्यंजन परोसा जाने लगा है। लहसुन, हरी मिर्च और कच्ची मूंगफली की चटनी और रायते के साथ थालीपीठ का सोंधा स्वाद एक बार जबान पर चढ़ जाए, तो नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाता है। थालीपीठ दरअसल, दालों से बनी रोटी होती है। पहले के समय में जब चरवाहे मवेशी चराने निकलते थे, तो पोटली में थालीपीठ बांध कर ले जाते थे। हालांकि थालीपीठ किसी न किसी रूप में भारत के दूसरे हिस्सों में भी बनती है। जब दालें दली जाती हैं, तो छानने-फटकने पर उनके छोटे टुकड़े बच जाते हैं। उन्हें तवे पर हल्का भून लिया जाता है और उसे पीस कर रोटी बनाई जाती है।
आपके पास घर में जो भी दालें हैं, जैसे अरहर, मूंग, उड़द, चना, उन्हें गर्म तवे पर मध्यम आंच पर अलग-अलग पांच से सात मिनट तक भून लें। इनके साथ दो-तीन लाल मिर्चें, कुछ जीरा, साबुत धनिया और अजवाइन भी हल्का सेंक लें। इन सारी चीजों को एक साथ ग्राइंडर में पीस लें। थालीपीठ का आटा तैयार हो चुका है। इसमें अपनी पसंद के हिसाब से नमक डालें और थोड़ा-थोड़ा पानी डालते हुए गूंथ लें। अच्छा तो यह रहेगा कि सारा आटा एक साथ गूंथने के बजाय हर रोटी के लिए तुरंत आटा गूंथें, क्योंकि देर तक रखने से बेलने पर यह रोटी फटेगी। गांवों में लोग दोनों हाथों पर पानी लगा कर हाथों से ही इसकी रोटी बना लेते हैं। मोटी रोटी बनानी होती है। चकले पर बेलते समय चाहें तो नीचे और ऊपर प्लास्टिक बिछा लें, तो रोटी फटेगी नहीं।
तवा गरम करें और मध्यम आंच पर दोनों तरफ से सेंक लें। तवे से उतार कर सीधे आग की लौ पर भी पलट-पलट कर सेंकें, ताकि रोटियां करारी हो जाएं। परोसते समय इन पर घी या मक्खन लगाएं और हरी मिर्च, लहसुन और कच्ची मूंगफली की चटनी के साथ परोसें। साथ में रायता या छाछ भी जरूर परोसें।