मानस मनोहर
स्वास्थ्य की दृष्टि से अब मोटे अनाज के प्रति लोगों की दिलचस्पी बढ़ रही है। चिकित्सक भी बहुत सारे रोगों में इन्हें खाने की सलाह देते हैं। फिर स्वस्थ रहने के लिए मोटे अनाज अपने भोजन में शामिल कर लेना ही समझदारी की बात है।
समा की खिचड़ी
चावल के विकल्प के तौर पर ग्रामीण इलाकों में समा यानी सामक या सावां बहुत सहज ढंग से खाया जाने वाला अन्न है। शहरों में भी लोग व्रत-उपवास में इसकी खीर आदि बनाते हैं। यह दुकानों पर सहज मिल जाने वाला अनाज है। समा सेहत की दृष्टि से बहुत गुणकारी अन्न है।
इसका सेवन मधुमेह रोगियों के लिए फायदेमंद है। यह कब्ज की समस्या दूर करने में मदद करता है। इसमें जिंक की भरपूर मात्रा पाई जाती है, इसलिए समा का चावल रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, जिससे आपका शरीर वायरस और बैक्टीरिया की चपेट में आने से बच सकता है। यह शरीर में बढ़ते कोलेस्ट्राल को रोकने में भी मदद करता है। शरीर में आयरन की कमी को भी दूर करता है।
जो लोग बढ़ते वजन और मोटापे से परेशान हैं, उन्हें अपने भोजन में समा के चावल को जरूर शामिल करना चाहिए, क्योंकि इसमें कैलोरी की मात्रा कम और फाइबर तथा प्रोटीन की अच्छी मात्रा पाई जाती है। इसमें कैल्शियम की अच्छी मात्रा पाई जाती है, जिससे हड्डियां मजबूत होती हैं। जब एक अन्न में इतने सारे गुण हैं, तो फिर क्यों इसे खाने से हिचकना।
दूसरे मोटे अनाजों की अपेक्षा समा का स्वाद जल्दी जबान पर चढ़ जाता है। बल्कि इसका स्वाद चावल से बेहतर होता है। फिर सबसे पहले इसे अपने आहार में शामिल करने के लिए खिचड़ी से शुरुआत करते हैं। यों समा के चावल से पुलाव भी बनता है, इसे पोहे और दलिया के विकल्प के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
इस तरह समा के चावल को नाश्ता और दोपहर या रात के भोजन के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते हैं। समा के चावल की खिचड़ी बनाना बहुत आसान है। जैसे चावल की खिचड़ी बनाते हैं, उसी तरह इसकी भी खिचड़ी बनती है। चाहे आप इसमें दाल का उपयोग करें या सब्जियों का। अगर चाहें तो मूंगफली आदि भी डाल सकते हैं। यह आप पर निर्भर है कि खिचड़ी कैसी खाना पसंद करते
समा की खिचड़ी बनाने का सबसे उत्तम तरीका यह है कि एक कटोरी समा के चावल को धोकर बीस मिनट के लिए भिगो कर रख दें। अगर इसमें दाल का उपयोग करना चाहते हैं तो आधा मुट्ठी या चौथाई कटोरी धुली मूंग दाल भी इसी के साथ धोकर भिगो कर रख दें। अब एक गाजर छोटे-छोटे काट लें, हरी मटर के दाने एक मुट्ठी ले लें, साथ में अगर ब्रोकली या कोई और सब्जी लेना चाहें तो ले सकते हैं।
इन सब्जियों को काट कर एक तरफ रख लें। फिर कड़ाही में दो चम्मच घी गरम करें और जीरे का तड़का देने के बाद पहले सब्जियों को छौंक दें। तीन से चार मिनट चलाते हुए पकाएं और फिर उसमें भिगोया हुआ चावल और दाल डाल दें।
चौथाई चम्मच हल्दी, आधा चम्मच गरम मसाला, हींग और जरूरत भर का नमक डाल कर दो गिलास पानी डालें और ढक्कन लगा दें। आंच मध्यम रखें और बारह से पंद्रह मिनट तक पकने दें। खिचड़ी तैयार है। अगर चाहें तो अपने स्वाद के मुताबिक ऊपर से तड़का डालें और दही, रायता और पापड़ के साथ आनंद लें।
झुनका भाखर
यह महाराष्ट्र का लोकप्रिय व्यंजन है। मोटे अनाज से बनने वाले व्यंजनों में इसे हम इसलिए शामिल कर रहे हैं कि इसमें जो भाखर या भाखरी परोसी जाती है वह आमतौर पर ज्वार की बनती है। ज्वार भी मोटे अनाज में आता है और इसमें भी लगभग वही सारे गुण होते हैं, जो बाजरे में होते हैं।
इसे खाने से शरीर में भरपूर ताकत आती है, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, कब्ज और रक्ताल्पता जैसी समस्याओं से निजात मिलती है। अच्छी बात यह कि ज्वार की रोटी बनाने में उस तरह परेशानी नहीं आती जैसी बाजरे की रोटी बनाने में आती है। इसकी रोटी आसानी से बन जाती है और खाने में इसका स्वाद गेहूं के आटे से भिन्न नहीं लगता।
तो सबसे पहले झुनका। झुनका दरअसल, बेसन और प्याज की सब्जी होती है। इसे कुछ लोग सूखा बनाते हैं, तो कुछ लोग कढ़ी से थोड़ा गाढ़ा रखते हैं। आप इसे पहले सूखी सब्जी की तरह पका कर खाने का स्वाद विकसित करें फिर जैसा चाहें, इसमें प्रयोग कर सकते हैं। झुनका बनाने के भी कई तरीके हैं।
मगर आप सबसे आसान तरीके से इसे बना सकते हैं, जिससे गांठ पड़ने की आशंका नहीं रहेगी। सबसे पहले एक कप बेसन को छान लें और उसमें हींग, अजवाइन, कुटी लाल मिर्च, हल्दी, थोड़ा गरम मसाला डाल कर मिला लें और थोड़ा-थोड़ा पानी डालते हुए गाढ़ा घोल तैयार कर लें, जैसे पकौड़े के लिए तैयार करते हैं।
इसमें डालने के लिए दो मध्यम आकार के या एक बड़ा प्याज बारीक काटें। दो हरी मिर्चें, थोड़ा अदरक और सात-आठ लहसुन की कलियां बारीक-बारीक काट लें। कड़ाही में तीन से चार खाने के चम्मच बराबर सरसों का तेल गरम करें। उसमें राई और कढ़ी पत्ते का तड़का तैयार करें और फिर लहसुन, मिर्च अदरक डाल कर थोड़ी देर भूनें और फिर प्याज डाल कर चलाते हुए पारदर्शी होने तक पकाएं।
फिर उसमें घोला हुआ बेसन का मिश्रण डालें और अच्छी तरह चलाते हुए सारी सामग्री को मिला लें। आंच धीमी कर दें और कड़ाही पर ढक्कन लगा कर पांच से सात मिनट तक छोड़ दें। इतनी देर में बेसन अच्छी तरह भाप से पक जाएगा। अब ढक्कन खोलें और अच्छी तरह चलाएं, बेसन चिपका हो, तो उसे खुरच कर हटा लें। झुनका तैयार है।
अब जैसे गेहूं का आटा गूंथते हैं, वैसे ही ज्वार का आटा गूंथें और रोटियां बेल कर पका लें। ज्वार का आटा गूंथ कर देर तक नहीं रखना चाहिए, तुरंत रोटियां बना लेनी चाहिए। आप चाहें, तो इन रोटियों को झुनका के बजाय किसी भी सब्जी और दाल के साथ खा सकते हैं। मगर ज्वार को अपने आहार में जरूर शामिल करें।