मानस मनोहर
हर इलाके में बरसात के अलग-अलग व्यंजन बनते हैं, जैसे जिन इलाकों में महुआ अधिक पैदा होता है, वहां महुए की मीठी रोटी, परांठा या पूड़ी बनाकर रख ली जाती है। इसी तरह चने के सत्तू के साथ कई तरह के व्यंजन बनते हैं, जो खाने में सोंधा आनंद देते हैं। कुछ चटनियां और सब्जियां भी बहुत सामान्य तरीके से बना कर खाई जाती हैं। इस बार बरसात के मौसम को खास बनाते कुछ ऐसे ही देसी व्यंजनों की बात।
बाटी चोखा
खासकर बरसात के मौसम में बिहार और उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्से में चने का सत्तू भर कर बाटी या लिट्टी खूब पसंद की जाती है। अब तो यह दिल्ली, मुंबई, लखनऊ, पटना, भोपाल जैसे बड़े शहरों में भी खूब बिकने लगी है। बाटी राजस्थान और मध्य प्रदेश के भी कुछ हिस्सों में पकाई और खाई जाती है, मगर वहां आमतौर पर इसे सादा यानी बिना कुछ भरे पकाया जाता है। पर चने के सत्तू वाली लिट्टी का मजा ही अलग होता है। इसे चोखे, चटनी और मसालेदार दाल के साथ खाया जाता है।
बाटी आमतौर पर कंडे या कोयले पर पकाई जाती है, मगर शहरों में इसकी व्यवस्था न होने से, इसे अवन में भी पका लिया जाता है। इसके अलावा इसकी तैयारी में सत्तू का मसाला और चोखा बनाना मुख्य काम होता है। आजकल चने का सत्तू हर जगह पैकेट में मिल जाता है। अगर न मिले तो भुने हुए चने को ग्राइंडर में पीस कर छान लें, सत्तू तैयार हो जाएगा।
अब एक कटोरी चने का सत्तू छान कर लें। फिर उसमें दो-तीन इंच के बराबर अदरक और दस-बारह सामान्य आकार की लहसुन की कलियां बारीक काट लें। चार-पांच हरी मिर्च, धनिया पत्ता और आधा प्याज को बारीक काट कर इस सत्तू में मिला दें।
इसके अलावा डेढ़ से दो नींबू का रस, दो-तीन चम्मच सरसों का कच्चा तेल, आधा चम्मच अजवाइन और एक चम्मच कलौंजी को हथेली पर मसल कर डालें और आधा चम्मच नमक डाल कर सारी चीजों को अच्छी तरह मिलाएं। दोनों हथेलियों से कम से कम पांच मिनट तक रगड़ते हुए मिलाएं। देखें कि सत्तू की मुट्ठी बंध रही है या नहीं। अगर न बंध रही हो तो थोड़ा नींबू का रस और मिलाएं और रगड़ कर एकसार कर लें।
अब चोखे की तैयारी कर लें। पांच-छह आलू उबालें। चार टमाटर और एक गोल बड़ा बैगन गैस की आंच पर रख कर भून लें। इसमें डालने के लिए अदरक, लहसुन, प्याज, हरी मिर्च और हरा धनिया बारीक-बारीक काट लें। आलू, टमाटर और बैगन का छिलका उतार कर हाथ से अच्छी तरह मसलें। फिर इसमें दो चम्मच सरसों का तेल, आधा चम्मच अजवाइन और आधा चम्मच कलौंजी रगड़ कर डालें। ऊपर से कटे हुए अदरक, लहसुन, प्याज, मिर्च और धनिया पत्ता डालें तथा जरूरत भर का नमक डाल कर अच्छी तरह मिला लें। चोखा तैयार है।
अब रोटी के लिए जैसा आटा गूंथते हैं, वैसा ही आटा लें। उसकी रोटी के बराबर ही लोई बनाएं और फैलाते हुए बीच में जगह बनाएं। उसमें डेढ़-दो चम्मच सत्तू का मिश्रण डाल कर अच्छी तरह बंद कर दें। इन बाटियों को अवन या कंडे की आग पर पलटते हुए सुनहरा होने तक सेंकें। अवन में दो सौ डिग्री पर दस मिनट तक पकाने से बाटी अच्छी तरह पक कर फटने लगती है। इसके पकने का पहचान यही है कि यह फटने लगती है। अगर अवन न हो तो कुकर की सीटी निकाल कर, उसमें दो चम्मच घी डाल कर बाटी को हिलाते हुए सेंक सकते हैं। बाटी-चोखा तैयार है। बाटी को घी में डुबो कर परोसें। अगर चाहें तो इसके साथ मसालेदार दाल या गट्टे की सब्जी भी बना सकते हैं।
मिर्च करौंदा
इस मौसम में करौंदे की फसल अच्छी होती है। खाने में इसका स्वाद खट्टा होता है। इसकी अम्लता पाचन की दृष्टि से बहुत लाभकारी होती है। कई लोग मिर्च और लहसुन के साथ इसकी चटनी भी बनाते हैं। आप बरसात में मिर्च के साथ इसकी सब्जी या अचार बना कर रख लें, गरमा-गरम परांठे, पूड़ी या दूसरे व्यंजनों के साथ इसे खाने का आनंद खूब आता है।
करौंदे और मिर्च की सब्जी या अचार बनाना बहुत आसान है। इसके लिए सबसे पहले ढाई सौ ग्राम करौंदे और इतनी ही मोटी मिर्च लेकर अच्छी तरह धोकर साफ कर लें।
फिर करौंदों को दो हिस्सों में काट लें और मिर्च के बीच में चाकू की नोंक से छेद कर दें या लंबाई में चीर कर दो हिस्सों में काट लें। मिर्च में छेद करना इसलिए जरूरी होता है कि तलते समय यह फटती है। इसके अलावा इसमें डालने के लिए कुछ खड़े मसालों की जरूरत पड़ती है। आधा चम्मच की मात्रा में सौंफ, जीरा, अजवाइन, साबुत धनिया और कलौंजी लें। इन सारे मसालों को खरल में या बेलन की मदद से दरदरा कूट लें। इसमें कलौंजी डालना जरूरी होता है, क्योंकि इससे अचारी स्वाद आता है। फिर कुटे हुए मसालों में आधा चम्मच हल्दी पाउडर डाल कर अलग रख लें।
एक कड़ाही में डेढ़ से दो चम्मच देसी घी गरम करें। उसमें कुटे हुए मसाले डालें और साथ ही करौंदे और हरी मिर्च छौंक दें। आधा चम्मच नमक डाल कर चलाते हुए पांच मिनट के लिए पकाएं। इसे ढंक कर न पकाएं। करौंदे की सब्जी तैयार है। इसे एक शीशी में भर कर रख लें। पंद्रह दिनों तक खाते रहें। यह अचार और सब्जी दोनों का आनंद देता है।