राष्ट्रीय लोकदल के युवा सांसद चंदन चौहान का कहना है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश देश के खेती-किसानी मुद्दों की राजधानी है। रालोद की विचारधारा किसानों के विकास की है इसलिए जब इसके युवा सांसद भी संसद में बोलते हैं तो दोनों पक्ष गंभीरता से सुनते हैं। उन्होंने कहा कि राजग सरकार के बजट में पहले से लेकर आखिरी पन्ने तक में किसानों के विकास की बात है। कौशल विकास मंत्रालय प्रधानमंत्री की स्वप्न परियोजना है। रालोद सांसद का दावा है कि इसी कौशल विकास विभाग से देश के विकास का नजरिया बदलेगा जिसकी अगुआई जयंत चौधरी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसानों की एक ही जाति व धर्म खेती है। दिल्ली में चंदन चौहान के साथ कार्यकारी संपादक मुकेश भारद्वाज की विस्तृत बातचीत के चुनिंदा अंश।
75 साल के आधुनिक युवा भारत की संसद में युवा सांसदों का प्रवेश जारी है। दो सांसदों वाले रालोद को लोकसभा में सम्मानजनक स्थिति मिली, क्योंकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश देश के किसानी मुद्दों की ‘राजधानी’ है। आम बजट में जब राजग सरकार ने किसानों को खास बनाया है तो आगे आने वाली राजनीतिक चुनौती को समझा जा सकता है। चौधरी चरण सिंह को भारत-रत्न देने से लेकर रालोद से गठबंधन तक की रणनीति में वही किसान हैं जो अब तक केंद्र सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती बने हुए हैं। जब राजनीति के वरिष्ठों की सफेद पोशाक भ्रष्टाचार का पर्याय बन चुकी है तो चौहान जैसे युवाओं की राजनीतिक राह क्या होगी? किसानी से लेकर रोजगार व युवा नेतृत्व की चुनौतियों के मुद्दे पर बात करने के लिए चौहान से बेहतर कौन होता?
-आप युवा सांसद हैं। भारत दुनिया के युवा लोकतंत्र में एक है। जब आपने ये सफेद पोशाक पहनने के लिए चुनी तो क्या आपको विश्वास था कि जनता आपको इतनी जल्दी देश की संसद का हिस्सा बना देगी?
चंदन चौहान: जो भी व्यक्ति समाज सेवा या राजनीति में आने की प्रेरणा लेता है, उसके जीवन का यह सबसे बड़ा सपना या लक्ष्य होता है कि वो देश की सबसे बड़ी पंचायत में बैठ कर अपने लोगों की हिमायत करे। मैं अपने क्षेत्र की जनता का धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने मुझे इस योग्य समझा। इतनी छोटी उम्र में उन्होंने पहले विधायक और अब देश की सबसे बड़ी पंचायत लोकसभा में भेजा। बिजनौर लोकसभा जैसी पारंपरिक सीट तीन जनपद, तीन कमिश्नरी में फैली हुई है। यह बड़ी जनसंख्या का इलाका है जहां सर्वसमाज का समायोजन है। महाभारत कालीन हस्तिनापुर, विदुर कुटी और शुक्र तीर्थ यहां हैं। ऐसे क्षेत्र का प्रतिनिधि बनाने के लिए मैं जनता को धन्यवाद देता हूं।
’इतनी कम उम्र में देश की सबसे बड़ी पंचायत में पहुंचने के आपके उत्साह को समझा जा सकता है। संसद में पहुंचने के बाद आपका पहला भाव क्या था? जब आप लोकसभा के सदस्य बने हैं तो हालात वैसे नहीं हैं जैसे पिछले दस साल रहे। इस फर्क को आपने महसूस किया?
चंदन चौहान: देखिए बड़ी जगह है। बड़ी जगह में बात रखने का मौका मिलने के साथ हमें जनता के जीवन में बदलाव लाने का मौका मिलता है। यह प्रतिबद्धता और जिम्मेदारी बड़ी है। पक्ष और विपक्ष सिक्के के दो पहलू हैं। दोनों के लिए बनाई गई जगह से ही लोकतंत्र बनता है। लोकतंत्र में मिली इस जिम्मेदारी भरी चुनौती को आदरणीय नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में, आदरणीय जयंत चौधरी जी के नेतृत्व में राजग गठबंधन पूरी करेगा। राजग सरकार अपनी जनकल्याणकारी नीतियों को बढ़ाने का काम करती रहेगी।
’रालोद का राजनीतिक अस्तित्व किसानों के साथ माना जाता है। जिस समय आप केंद्रीय सत्ता के भागीदार बने, उस समय पूरे देश में किसानों को लेकर संघर्षमय माहौल है। बड़ा किसान आंदोलन हुआ जिसमें कई किसानों की जान गई। किसानों की आत्महत्या भी बड़ा मुद्दा है। किसानों को लेकर आपकी क्या कार्ययोजना है?
चंदन चौहान: लोकतंत्र में भूमिकाएं जनता तय करती है। हमारी पहले भूमिका थी विपक्ष में रह कर, सड़क पर खड़े होकर किसानों के साथ संघर्ष करने की। आज जनता ने अपने जनादेश से हमें सत्ता में बिठाया हैं। जनता और किसानों ने यह बड़ी जिम्मेदारी दी है। किसान हमारे देश की रीढ़ की हड्डी हैं। मैंने अपने संसद के भाषण में इसका जिक्र किया। हम चौधरी चरण सिंह जी की विचारधारा को मानने वाले लोग हैं। चौधरी साहब का संदेश था कि देश की आत्मा ग्रामीण अंचल में बसती है। जब तक ग्रामीण भारत सशक्त नहीं होगा, हमारा देश विकसित नहीं होगा, हमारा देश आगे नहीं बढ़ेगा। इसलिए नरेंद्र मोदी जी, जयंत चौधरी जी, चौधरी चरण सिंह की नीतियों पर चलते हुए किसान को खुशहाल बनाने का काम करेंगे। हमारे नेता किसानों से बातचीत का हर रास्ता हमेशा खुला रखते हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि सभी समस्याओं का क्रमवार तरीके से निस्तारण किया जाएगा। किसानों की समस्या को दूर करने की हमारी नीयत है, राजग सरकार की नीयत है। हम सकारात्मक नीतियों से किसानों की सभी समस्याओं को दूर करेंगे।
’आपके द्वारा उद्धृत नीयत और कार्ययोजना में फसलों के समर्थन मूल्य का मसला भी शामिल है?
चंदन चौहान: जी, समर्थन मूल्य भी एक अहम विषय है। खेती-किसानी से लेकर किसानों की आजीविका के, उनके बच्चों के भविष्य के सभी विषय हैं। जलवायु संकट के इस दौर में कृत्रिम मेधा का किस तरह इस्तेमाल कर चीजों को बेहतर किया जाए। खेती के आधुनिकीकरण की चुनौती है। तकनीक का सहारा लेकर किसानों की जिंदगी को खुशहाल बनाना हमारा लक्ष्य है जिसकी तरफ हम पूरी ऊर्जा से आगे बढ़ रहे हैं।
’समर्थन मूल्य को कानूनी गारंटी बनाने की मांग को लेकर आपका क्या कहना है?
चंदन चौहान: हर बिंदु पर खुले दिल से वार्ता कर हम उसके निस्तारण के लिए तैयार हैं। हमारा लक्ष्य यही है कि देश के किसान खुशहाल बनें तो हमारे लिए उनसे जुड़ा हर मसला अहम है।
’आप किसानों के सीधे संपर्क में रहते हैं?
चंदन चौहान: हमेशा किसानों के संपर्क में रहता हूं। मैं खुद खेती आधारित परिवार से आता हूं। मेरे पास खेती आधारित व्यापार है। मैं गन्ना किसान हूं और मुझे इस क्षेत्र की चुनौतियों का पता है। कृषि से जुड़ी दवाओं से लेकर अन्य चीजों में कितनी महंगाई है। पिछले दिनों अगर समर्थन मूल्य नहीं बढ़ता गन्ने का तो किसानों को बहुत नुकसान होता। उत्तर प्रदेश में मूल्य बढ़े और आगे भी हालात बेहतर होने की उम्मीद है। आने वाले समय में गन्ना क्षेत्र के किसानों की चुनौतियां बढ़ने वाली हैं। हमारे-आपके घरों से लेकर पूरी दुनिया में चीनी को लेकर रूझान कम हो रहा है। एथनाल के इस्तेमाल को साधना भी बड़ी चुनौती है। वैश्विक चुनौतियों के बीच अपने किसानों के लिए सुरक्षित अर्थव्यवस्था बनाना हमारा काम है।
’आपका कार्यक्षेत्र पश्चिमी उत्तर प्रदेश किसान आंदोलन की राजनीति का अहम केंद्र है। पिछले दिनों दिल्ली की सीमाओं पर हुए किसान आंदोलन में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों की अहम भूमिका थी। खेती-किसानी के मुद्दों पर इतने सक्रिय क्षेत्र को आप कैसे देखते हैं?
चंदन चौहान: मुजफ्फरनगर क्रांतिकारियों की भूमि रही है। देश के हर मुद्दे पर मुजफ्फरनगर और आसपास के एनसीआर का इलाका हमेशा से सजग रहता आया है। हर मुद्दे पर बेबाकी से राय रखना यहां के लोगों का स्वभाव है। हम पंचायती लोग हैं, हम सामाजिक लोग हैं। यह अच्छी बात है कि यहां के नागरिक जागरूक हैं। यहां के लोग अपने अधिकारों से लेकर कर्त्तव्य तक जानते हैं। भारत कृषि प्रधान देश है तो हमारा इलाका इसकी राजधानी की तरह है।
’संसद में पहुंचे आप और जयंत चौधरी दोनों युवा हैं। क्या आपको लगता है कि वहां अनुभवी नेतृत्वों की फौज के बीच आप लोगों की आवाज अपनी पहचान बना पाएगी?
चंदन चौहान: मैंने पहले भी कहा कि हम चौधरी चरण सिंह जी के अनुयायी हैं। आपने संसद में देखा होगा कि जब हम चौधरी साहब का नाम लेकर खड़े हो जाते हैं तभी हमारी पहचान दिखने लगती है। मैंने जब लोकसभा में अपनी बात रखी तो सदन के दाएं और बाएं दोनों तरफ के लोगों ने धैर्य से सुना। ये हमारे बड़ों की विचारधारा का आशीर्वाद है कि हमारी आवाज की पहचान है। जयंत चौधरी इसी विरासत की अगुआई कर रहे हैं। आज के दौर में राष्टÑीय लोकदल और चौधरी साहब की आवाज अनसुनी रह ही नहीं सकती है।
’जयंत चौधरी थोड़े विवादों में भी रहे। वे पहले समाजवादी पार्टी के साथ थे और जब केंद्र सरकार ने चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न से सम्मानित किया तो वे राजग के साथ आ गए। क्या पार्टी के अंदर यह मुद्दा परेशानी का सबब बना?
चंदन चौहान: हम सामाजिक लोग हैं, हमें जनता के बीच रहना है। अंतत: जनता का जनादेश ही सिर-माथे पर लगाना होता है। जनता चाहती थी कि आदरणीय चौधरी साहब रालोद के सबका विकास, सबके विश्वास के नारे को सजग करें। चौधरी चरण सिंह जी ने भारत को लेकर जो सपना देखा था आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने उसका सम्मान किया। यह भावनात्मक मुद्दा था उस क्षेत्र के लिए। उस पीढ़ी के लोगों के लिए बड़ी बात थी कि उनका सपना पूरा हो गया। आने वाले समय में शायद वह पीढ़ी नहीं होगी, जिन्होंने चौधरी साहब के साथ संघर्ष किया था। लोग इस फैसले के साथ थे।
’संसद में जिस तरह शोर होता है, क्या आपको लगता है कि कोई रचनात्मक भूमिका निभा पाएंगे?
चंदन चौहान: संतुलन बनाए रखने के लिए शोर भी जरूरी है। मैं कुछ गलत कहूं तो मुझे रोका जाए, कोई और गलत कहे तो उसे रोका जाए। संसद में पूरे देश से आए मजबूत आवाज के लोग हैं। महाराष्ट्र, पूर्वोत्तर से लेकर कश्मीर तक। जितना शोर मचेगा लोकतंत्र उतना मजबूत होगा।
’ताजा लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद समीकरण बदले हुए हैं। कुछ साझीदारों पर खासा तवज्जो है। केंद्रीय बजट से क्या आपकी पार्टी की उम्मीद पूरी हुई है?
चंदन चौहान: बजट में किसानों और युवाओं के लिए दूरदृष्टि है। सबसे बड़ी चुनौती युवाओं की बेरोजगारी खत्म करने के लिए कदम उठाए गए हैं। कौशल व शिक्षा मंत्रालय की अहम भूमिका हो गई है। सरकार ने किसानों की चिंताओं पर पूरा जोर लगाया है। अगर सत्तर पन्नों का बजट है तो पहले पन्ने से शुरू होकर अंतिम पन्ने तक किसानों का विकास करने की बात है। अब उत्तर प्रदेश के विधानसभा के बजट में भी किसानों का ख्याल रखा जाएगा इसकी पूरी उम्मीद है।
’ इस आरोप पर आपका क्या कहना है कि आंध्र और बिहार जैसे राज्यों को बजट में पकौड़ा और जलेबी, बाकी राज्यों की थाली खाली। अन्य प्रदेशों के साथ नाइंसाफी का आरोप विपक्ष लगा रहा है।
चंदन चौहान: बजट में पूरे देश के साथ इंसाफ हुआ है। ज्यादातर बड़े मुद्दे जैसे दवाई सस्ती हुई है तो उसका फायदा पूरे देश को मिलेगा। प्रधानमंत्री सौर ऊर्जा योजना से पूरे देश को फायदा है। यूरिया पर अनुदान पूरे देश के किसानों के लिए है। आर्थिक रूप से कमजोर राज्यों को प्राथमिकता देने की मांग हमेशा रही है, सरकारें इसका ध्यान रखती रही हैं। बजट सबके लिए उम्मीदों भरा है।
’ चौधरी चरण सिंह देश के प्रधानमंत्री रहे, लेकिन पार्टी का प्रभाव अभी तक उत्तर प्रदेश के खास हिस्से में ही है। किसानों के अखिल भारतीय प्रभाव को देखते हुए आगे पार्टी के विस्तार की कोई योजना है?
चंदन चौहान: वह दुर्भाग्यपूर्ण समय था जब हमारे मार्गदर्शक नेता चौधरी अजीत सिंह जी का देहांत हो गया। उस समय किसी भी सदन में हमारा कोई नेता नहीं था। उसके बाद जयंत चौधरी जी के कुशल नेतृत्व में आगे बढ़े। नौ विधायक चुन कर आए विधानसभा में। जयंत चौधरी साहब पहले राज्यसभा, फिर विधान परिषद और अब हम लोकसभा में हैं। मुझे खुशी है कि राजस्थान में भी हमारा विधायक है। हम मजबूती के साथ संगठन को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। उत्तराखंड में हम चुनाव लड़ कर आए हैं। हरियाणा, राजस्थान के साथ उत्तर प्रदेश में भी हम विस्तार कर रहे हैं।
’राजग के साथ गठबंधन में रहेंगे?
चंदन चौहान: जी, बिल्कुल।
’एक युवा नेता के रूप में क्या आप भी महसूस कर रहे हैं कि देश में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण बढ़ रहा? गंगा-जमुनी तहजीब को छोड़ कर हर बहस हिंदू बनाम मुसलमान पर आ टिकती है।
चंदन चौहान: जब भी कोई कठिन समय आए अपने बड़ों का ध्यान करना चाहिए। सूबे के मुख्यमंत्री रहे मेरे दादा स्वर्गीय बाबू नारायण सिंह, चौधरी चरण सिंह व मेरे पिताजी भी जाति व धर्म के विभाजन के खिलाफ थे। उनका मानना था कि किसानों की एक ही जाति और धर्म है, और वह है खेती। किसी भी तरह का विभाजन न देश के लिए अच्छा है और न समाज के लिए।
’केंद्र में अब गठबंधन की सरकार है। लोकसभा चुनाव में आपका प्रदर्शन सौ फीसद रहा, दोनों सीटें जीते। लेकिन, आपकी सहयोगी पार्टी को नुकसान हुआ, जिसका बड़ा जिम्मेदार उत्तर प्रदेश बना। विधानसभा चुनाव पर भी इसका असर पड़ने की आशंका है। इसका आपकी पार्टी पर कोई प्रभाव आता है तो क्या आप गठबंधन में बने रहेंगे?
’चंदन चौहान: निश्चित रूप से। जो जिम्मेदारी आदरणीय प्रधानमंत्री ने हमें दी है हम उसे पूरी तरह निभाएंगे। हम लोकसभा में सौ फीसद रहे हैं और विधानसभा में भी सौ फीसद रहेंगे।
’मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व को आप किस तरह से देखते हैं?
चंदन चौहान: बतौर मुख्यमंत्री बेहतरीन प्रशासक हैं। बहुत अच्छे नेता हैं। जमीन से जुड़ कर लोगों के लिए काम करते हैं।
’राजनीति भ्रष्टाचार का पर्याय बनती जा रही है। सफेद पोशाक भ्रष्टाचार के लाइसेंस की तरह देखी जाती है। बतौर युवा नेता आप इस माहौल को कैसे देखते हैं?
चंदन चौहान: तकनीक से आई पारदर्शिता के इस समय में सफेद पोशाक में दूर से दाग दिख जाते हैं। अब नेताओं को काम करके दिखाना होता है। रोजगार बड़ा मुद्दा है। कौशल विकास मंत्रालय प्रधानमंत्री की स्वप्न परियोजना जैसा है। उन्होंने सोच-समझ कर यह मंत्रालय जयंत चौधरी को दिया है। इसी कौशल विकास मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय से ऐसा माहौल निकलेगा जो नजरिया बदलेगा। नेता सिर्फ भ्रष्टाचार का पर्याय नहीं हैं। अपने परिवार, अपनी सेहत, अपनी महत्त्वाकांक्षाओं को दांव पर लगा राजनीति चुनते हैं। जब जनता आपको प्यार से बुलाकर लोकतंत्र की जिम्मेदारी देती है तो यह इन सबके बदले ही है। राजनीति जिम्मेदारी और लोकतंत्र का पर्याय है।
’क्या भाजपा की तरह आपका भी मानना है कि देश की सारी समस्यायों की जड़ राहुल गांधी या विपक्ष है?
चंदन चौहान: विपक्ष होना चाहिए, और मजबूत विपक्ष होना चाहिए। एक समझदार और योग्य विपक्ष होना लोकतंत्र की आवश्यकता है। सरकार को विपक्ष को साथ लेकर चलना चाहिए। पक्ष और विपक्ष दोनों में से किसी को भी नकारात्मक नहीं होना चाहिए। संसद में सवाल पूछना चाहिए, जवाब को सुनने का धैर्य भी होना चाहिए।
’बीते लोकसभा चुनाव में जाट और राजपूत बिरादरी की भाजपा व राजग से नाराजगी रही। क्या अब उन्हें भरोसा दिलाया जाएगा कि पार्टी उनके लिए सोचती है?
चंदन चौहान: राजनीतिक संघर्ष में अगर कोई नाराज होता है तो उसे स्वीकार करना चाहिए। सबसे अहम चीज है संगठन। संगठन जिस दिन मजबूती से खड़ा हो जाएगा वह इस तरह की चुनौतियों को पार पा लेगा। मुझे पूरा भरोसा है कि अगर किसी की हमसे नाराजगी है तो हम उन्हें भी साथ चलने के लिए तैयार कर लेंगे।
प्रस्तुति : मृणाल वल्लरी
विशेष सहयोग: सुरेंद्र सिंघल