कुदरत ने सबको अपने अस्तित्व के बचाव के लिए अदृश्य शक्ति दी है। विषाणु अपने लिए लड़ता है तो तो हम अपने लिए। विषाणु के पास अमोघ अस्त्र है ‘म्युटेशन’ (स्वरूप)। वो खुद को छिपा लेता है और प्रकट होता है नए-नए रूप में, असंख्य रक्तबीज की तरह। मनुष्य भी अपने अस्तित्व के लिए लड़ता है पर वह छिप नहीं सकता है। पर कुदरत ने मनुष्य को जो अमूल्य ब्रह्मास्त्र दिया है, वह है रोग प्रतिरोधक क्षमता। मनुष्य की यह क्षमता अतुलनीय है और यही कोरोना संक्रमण के नए और बढ़े खतरे से हमें सुरक्षित कर सकता है। भारत सहित पूरी दुनिया में कोरोना संकट अभी खत्म नहीं हुआ है। पहली के बाद दूसरी और आगे तीसरी लहर का भी खतरा कुछ विशेषज्ञ बता रहे हैं। जो अनुभव हमारे सामने हैं, उन्हीं से इस महामारी से बचने की आगे की तैयारी करनी होगी।

देव नंदिनी अस्पताल, हापुड़ के चेयरमैन और सर्जन डॉ. कुमार श्याम इस बारे में अध्ययन के बाद कुछ अहम बातों को रेखांकित करते हैं। वे कहते हैं कि यह सच है कि भारत में कोरोना की दूसरी लहर सुनामी की तरह थी। कोरोना का डेल्टा स्वरूप ज्यादा घातक था। वैसे इस दौरान महामारी का जो भयावह रूप सामने आया उसके पीछे बड़ी वजह हमारी कुछ लापरवाहियां थीं। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग के सीमित संसाधन, जांच व इलाज में देरी और बिना जाने-समझे स्टेरॉयड के अत्यधिक दुरुपयोग से हालात और खराब हुए।

बेहतर स्थिति
डॉ. श्याम इन सब कमियों के बावजूद भारत की स्थिति को इसलिए अच्छा मानते हैं क्योंकि यहां तमाम असुविधाओं और सीमित संसाधनों के बावजूद इटली और चीन जैसे देशों की तरह बड़ी संख्या में बुजुर्ग और अक्षम लोगों को उनके हाल पर नहीं छोड़ा गया। वे कहते हैं कि देश में जनवरी से ‘फ्रंट लाइन वर्कर्स’ टीका लगाने की पहल कारगर रही। इसका नतीजा यह रहा कि कोरोना मरीजों के बीच लगातार रहने के बावजूद हमारे चिकित्सकों और स्वास्थ्य सहायकों के संक्रमित होने और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने की संख्या काफी कम रही। लिहाजा जो एक बात साफ है वह यह कि कोरोना से बचाव के लिए सबको टीका लगवाना जरूरी है और इसमें किसी तरह की देरी नहीं करनी चाहिए।

कवक संक्रमण
डॉ श्याम बताते हैं कि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान कवक संक्रमण (ब्लैक फंगस) एक गंभीर समस्या के तौर पर सामने आया। वे बताते हैं कि कोविड के वे मरीज जिनका शुगर लेवल बहुत ज्यादा था या जो किसी अन्य कारण से लंबे समय से स्टेरॉयड ले रहे थे या कैंसर के मरीज जो कीमोथेरेपी पर थे, ऐसे तमाम लोग गंभीर खतरे की जद में थे। कवक संक्रमण का प्रसार ऐसे ही मरीजों के बीच देखने को मिला।

लहर और डर
डॉ श्याम कहते हैं कि अब हमारी स्थिति काफी बेहतर है, इसलिए संभावित तीसरी लहर से परेशान होने की जरूरत नहीं है। देश में ऑक्सीजन उपलब्धता की स्थिति में तो सुधार आया ही है, अब अस्पतालों की स्थिति भी काफी बेहतर हुई है। देश में बड़ी संख्या में लोग टीके की कम से कम एक खुराक लगवा चुके हैं। यह स्थिति तेजी से आगे बढ़ रही है। इस तरह देश में ऐसे लोगों की संख्या आज ज्यादा है जिनके शरीर में अपेक्षित कोरोना प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो चुकी है। इसलिए कोविड एहतियात और दिशानिर्देशों का अगर हम अच्छी तरह पालन करें तो तीसरी लहर को लेकर ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है।

कोविड बाद एहतियात
कोरोना संक्रमण से एक बार पीड़ित हो जाने के बाद कुछ एतिहयात (पोस्ट कोविड केयर) जरूरी हैं। डॉ श्याम इस बारे में कुछ बातों पर खास तौर पर ध्यान देने का आग्रह करते हैं-
’ आराम करें और पर्याप्त नींद लें। ’ प्रोटीन युक्तदाल, अंडा, दूध के आलावा हरी सब्जियां, सूखे मेवे, फल खाने के अलावा रोजाना कम से कम आठ गिलास पानी पिएं। ’ नियमित अपना ऑक्सीजन स्तर जांचें और इसके 90 फीसद से कम होने पर चिकित्सक की शीघ्र मदद लें। ’ हल्का व्यायाम या योगाभ्यास करें। ’ तीन हफ्ते बाद एंटीबॉडी टेस्ट करा लें और 6-8 हफ्ते बाद कोरोना रोधी टीका लगवा लें। ’ कोविड दिशानिर्देशों का पालन करें और कोविड सम्मत व्यवहार करें।
(यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी और जागरूकता के लिए है। उपचार या स्वास्थ्य संबंधी सलाह के लिए विशेषज्ञ की मदद लें।)