दुनिया की एक बड़ी आबादी आज भी कुपोषण की शिकार है। पर यह भी क्या कम बड़ा विरोधाभास है कि जिन लोगों की माली हालत बेहतर है और जिनके सामने भोजन की कोई समस्या नहीं है, वे भी आहार से जुड़ी समस्याओं से जूझ रहे हैं। कमाल तो यह कि भोजन से जुड़ी तमाम समस्याएं और संशय उस दौर में देखने में आ रही हैं, जिसके बारे में दावा किया जाता है कि अब लोग पहले के मुकाबले शरीर और स्वास्थ्य के प्रति ज्यादा जागरूक हुए हैं। आलम यह है कि पौष्टिक और सेहतमंद आहार के नाम पर लोगों को कुछ से कुछ समझाया जा रहा है। रही सही कसर विज्ञापनों ने पूरी कर दी है, जो खाने-पीने के सामान बेचने के लिए उलटे-सीधे दावे करते रहते हैं। इसके अलावा कई अवैज्ञानिक धारणाएं भी हैं, जो भोजन से जुड़ी हैं और समाज और परंपरा में लंबे समय से बनी हुई हैं। मसलन, यह समझना कि बेहतर और ज्यादा भोजन अच्छी सेहत के लिए जरूरी है। स्वास्थ्य विज्ञान ऐसी तमाम धारणाओं को खारिज करता है।

कब और कितनी बार खाना
आमतौर पर लोग मानते हैं पूरे दिन में कम से कम तीन बार खाना जरूर खाना चाहिए। पर आहार विशेषज्ञों की राय इससे विपरीत है। उनके मुताबिक दिन में तीन बार खाने से ज्यादा बेहतर कम मात्रा में छह-सात बार खाना चाहिए। कई बार खाने से ‘बॉडी क्लॉक’ सही रहता है। अलबत्ता दिन में कई बार खाना तो अच्छी बात जरूर है पर आपको यह ध्यान देना चाहिए कि आप खा क्या रहे हैं। दरअसल, हमारे शरीर को हर दो से तीन घंटे में कुछ खाना चाहिए होता है, ऐसे में थोड़ी-थोड़ी मात्रा में हल्का और पौष्टिक भोजन करना अच्छा विकल्प है।

कई बार थोड़ी-थोड़ी मात्रा में खाना खाने से ‘फैट बर्न’ होने की क्षमता तेज हो जाती है। इस तरह से खाने से शरीर की मेटाबॉलिज्म शक्ति मजबूत होती है। आहार विशेषज्ञों की यह भी राय है कि दो से तीन घंटे पर खाने की कुछ-कुछ मात्रा लेने से ब्लड शुगर का स्तर नियंत्रित रहता है, जिससे शरीर में जरूरी ऊर्जा बनी रहती है।

मात्रा का आकलन
एक व्यक्ति के लिए इस बात का ठीक-ठीक अंदाजा लगाना कठिन है कि उसे क्या खाना है और कितना खाना है। पर ऐसे कई साधन हैं, जिनके माध्यम से कोई भी यह जान सकता है कि उसे कब, क्या और कितना खाना है। इसके लिए आहार से जुड़ी कुछ बुनियादी बातों की समझ सबके लिए जरूरी है।

संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पोषण की कमी के कारण शरीर कमजोर होता है और इस कारण बीमारियों का हमला होता है और ऐसे में दुनियाभर में हर साल करीब 60 लाख बच्चों की मौत हो जाती है। ‘हील योर बॉडी’ के संस्थापक रजत त्रेहन बताते हैं कि आपको अपने शरीर की जरूरतों को पूरा करने के लिए दैनिक आधार पर कुछ तय चीजें खानी होंगी।

प्रोटीन हमारे प्रतिरोधी तंत्र को मजबूत रखते हैं। दुग्ध उत्पादों और अंडों में प्रोटीन होता है। इन्हें अपने भोजन में हर हाल में शामिल करना चाहिए। बीमारी फैलाने वाले कारकों से बचने के लिए विटामिन सी, ई और बीटा-कैरोटीन की हमें जरूरत होती है और इसी कारण इन्हें अपने भोजन में शामिल करना जरूरी है। इसी तरह एंटीआक्सीडेंट्स एक तरह के सूक्ष्म पोषक होते हैं और ये हमारे शरीर की रक्षा करते हैं। शरीर में इनकी अपेक्षित मात्रा होनी इसलिए जरूरी है क्योंकि इससे खाद्य पदार्थों का ऑक्सीकरण होते रहता है। इससे वे इन्हें खराब होने से रोकते हैं।

एहतियात और हिदायत
– शरीर की पाचन प्रक्रिया दुरुस्त रखने के लिए नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए। इसी तरह रात में जल्दी खाने और सुबह जल्दी उठने की आदत बेहतर मानी गई है।
– हर व्यक्तिको रोजाना शरीर की जरूरत के मुताबिक पानी पीना चाहिए। इसी तरह ऊर्जा के लिए किलोजूल (विशेष रूप से कार्बोहाइड्रेट), जैतून के तेल, मछली, नट्स, एवोकैडो और फैटी एसिड युक्त भोजन लेना चाहिए।
– जीवन के विभिन्न चरणों या अवस्थाओं में शरीर की पोषण संबंधी आवश्यकताएं बदल जाती हैं। लिहाजा आहार में उम्र और अवस्था के मुताबिक जरूरी पोषण तत्व शामिल होने चाहिए।

(यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी और जागरूकता के लिए है। उपचार या स्वास्थ्य संबंधी सलाह के लिए विशेषज्ञ की मदद लें।)