कोरोना महामारी की दूसरी लहर देश के कुछ हिस्सों में जरूर थमती नजर आ रही है और इस तरह वहां जनजीवन भी धीरे-धीरे सामान्य हो रहा है। पर इसके उलट देश के कुछ हिस्सों में संक्रमण दर फिर से बढ़ रहा है और इस कारण विदेश तो क्या देश के भीतर ही आवाजाही पर कई तरह की रोक अब भी लगी हुई है। इस बीच, महामारी की तीसरी लहर की आशंका भी बनी हुई है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ अगस्त से लेकर नवंबर महीने को अहम बता रहे हैं। अगर इस दौरान सब कुछ सामान्य रहा तो आगे फिर से एक बार हम पूरे देश में सामान्य स्थिति बहाल होने की उम्मीद कर सकते हैं। इसलिए इस दौरान अगर कुछ क्षेत्रों में घरों से बाहर निकलने और बाजार खुले रहने की छूट मिल रही है तो इसका यह कतई अर्थ नहीं कि हम कोरोना एहतियातों को भूल जाएं। अब भी लोगों को सलाह यही है कि अगर बहुत जरूरी नहीं है तो वे घर से बाहर न निकलें। साथ ही मास्क पहनने और सामाजिक दूरी का सख्ती से पालन करें।
सकारात्मक ऊर्जा
इस दौरान लगातार घर में रहने के कारण लोगों में अवसाद के लक्षण देखने को मिल रहे हैं। इस बारे में कई शोध अध्ययन भी सामने आए हैं, जिनमें यह माना गया है कि लगातार सामान्य जनजीवन से दूर रहने और आवाजाही पर पाबंदी के कारण लोग असहज महूसस कर रहे हैं। जाहिर है कि इसका लोगों पर प्रतिकूल मनोवैज्ञानिक असर भी पड़ रहा है। इसलिए यह जरूरी है कि हम अपनी दिनचर्या को इस रूप में ढालें जिससे हमारे अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो। इसके लिए सबसे जरूरी है कि कोरोनारोधी टीका आप जल्द से जल्द लगवा लें। इससे आपका आत्मविश्वास स्वाभाविक रूप से बढ़ेगा।
सकारात्मक ऊर्जा के लिए योग एक आदर्श विकल्प है। योग के विभिन्न आसनों और प्रणायाम के जरिए आप अपनी सेहत में तो सुधार करेंगे ही अवसाद में डूबने से भी बचे रहेंगे। जिन क्षेत्रों या इलाकों में संक्रमण की दर शून्य के करीब आ गई है और सरकार ने भी घर से बाहर निकलने को लेकर पाबंदियां हटा ली हैं, वहां सुबह-शाम बाहर टहलने निकलने वाले लोगों की संख्या काफी बढ़ी है। यह जीवन की एकरसता से बाहर निकलने का अच्छा तरीका है। टहलना वैसे भी स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। बस खयाल यह रहे कि इस दौरान ज्यादा भीड़भाड़ वाले इलाकों में आप जाने से बचें। कहीं जाना भी हो तो मास्क लगाकर ही घर से बाहर निकलें।
बुजुर्गों का ध्यान
बच्चे और बुजुर्ग ज्यादा संवेदनशील होते हैं। उपेक्षा महसूस होने पर वे अवसाद में जा सकते हैं। कोरोना संक्रमण से बचने के लिए बच्चों और बुजुर्गों को खासतौर पर घर में ही रहने की सलाह दी जाती है। उन्हें घर में खुशी मिले इसकी जिम्मेदारी घर के ही लोगों को उठानी होगी। घर में ऐसा माहौल बनाएं कि वे समझ पाएं कि सारी पाबंदियां उनकी भलाई के लिए ही हैं। बच्चे तो फिर भी अपने हिसाब से घर में भी खेलकूद कर मन बहला लेते हैं लेकिन यह वक्त बुजुर्गों के लिए सबसे कठिनाई भरा है। इसलिए घर के बुजुर्गों के साथ ज्यादा से ज्यादा वक्त बिताएं।
अब भी जिस तरह के हालात हैं उसमें लंबी यात्रा करना खतरे से खाली नहीं है। लिहाजा बुजुर्ग जिन रिश्तेदारों को ज्यादा याद कर रहे हों, उनसे वीडियो कॉलिंग पर उनकी बात कराएं। कई प्रसिद्ध धर्मस्थलों के दर्शन भी अब ऑनलाइन संभव हैं। बुजुर्गों को बड़े स्क्रीन पर ये सब दिखाएं। बहुत से बुजुर्ग खुद से स्मार्टफोन का इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं तो उनकी पसंद का ध्यान रखकर उन्हें वैसी चीजें देखने-सुनने में मदद करें।
नियम और संयम
देश की राजधानी सहित कई प्रदेशों में कहीं आने-जाने को लेकर पाबंदियां या तो पूरी तरह हटा ली गई हैं या न्यूनतम कर दी गई हैं। कई जगहों पर स्कूल-कॉलेज भी खोलने की पहल शुरू हुई है। ऐसे में यह मान लेना ठीक नहीं होगा कि संक्रमण का खतरा पूरी तरह खत्म हो गया है। इसलिए कोरोना पाबंदियों में ढिलाई के बावजूद सजगता बनाए रखनी जरूरी है। बच्चों को स्कूल भेजने का मामला हो या हाट-बाजार जाने का, आप कोई भी फैसला सोच-समझकर ही लें। अगर स्वास्थ्य की किसी भी तरह की परेशानी पहले से है तो बेहतर तो यही होगा कि कुछ दिन और संयमित ही रहा जाए।
अगर बाहर निकलें भी तो मास्क पहनें और भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें। फिलहाल खुली जगह पर खाने-पीने से बचें। गैरजरूरी चीजों की खरीदारी न करें तो ही बेहतर होगा। अलग-अलग जगहों से ज्यादा खरीदारी करनी हो तो दस्ताने का इस्तेमाल एक सुरक्षित विकल्प है।
(यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी और जागरूकता के लिए है। उपचार या स्वास्थ्य संबंधी सलाह के लिए विशेषज्ञ की मदद लें।)