एक समय था जब जर्मनी में नाजियों के उत्पीड़न से परेशान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने अमेरिका में शरण लेने के बाद उनके जैसे अप्रवासी को स्वतंत्रता और समान अवसर देने के लिए अमेरिका का आभार जताया था। आइंस्टीन ने अप्रवासियों को किसी भी राष्ट्र की ताकत बताया था क्योंकि वे नई ऊर्जा, विचार और संस्कृति से लैस होते हैं। युवाल नोआ हरारी भी अपनी पुस्तक ‘सेपियंस’ में मानव प्रवास को सभ्यता के विकास का अहम हिस्सा मानते हैं। मानव सभ्यता का मूल हिस्सा होने के बावजूद आज अमेरिका जैसी विश्व शक्ति सहित दुनिया के कई देश अप्रवास को बड़ी चुनौती के रूप में देख रहे हैं क्योंकि इसके साथ अवैध शब्द जुड़ गया है। अवैध अप्रवासन अब तक के मानवीय मूल्यों और सामाजिक न्याय पर सवाल उठा दिए हैं। अवैध अप्रवासन ने अमेरिका से लेकर भारत जैसे देशों को कई तरह के संकट में डाल दिया है। प्रवास जब अवैध होगा तो देश में कई तरह के वैधानिक संकट भी पैदा होंगे। अवैध अप्रवासियों पर अमेरिका की सख्ती व इससे जूझने के भारत के तरीकों पर एक निगाह।

अवैध अप्रवास सभी क्षेत्रों को प्रभावित करता है। दुनिया भर में कई देश इसके शिकार हैं। अमेरिका इससे सबसे ज्यादा प्रभावित है। अमेरिका में मैक्सिको से सबसे ज्यादा अवैध प्रवासी हैं और भारत से आए प्रवासी तीसरे क्रम पर हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चुनाव के दौरान किए गए अपने वादे को निभा रहे हैं और वे भारत सहित कई देशों के अवैध प्रवासियों को उनके देश भेज रहे हैं।

हालांकि बड़े पैमाने पर निर्वासन अमेरिका के लिए आर्थिक नुकसान पहुंचाएगा। इससे अमेरिका को 315 अरब डालर का नुकसान होने का अनुमान है, जिसमें दीर्घकालिक व्यय एक दशक में लगभग 968 अरब डालर तक पहुंच सकता है। वित्तीय प्रभाव से परे, इस दृष्टिकोण से कुशल श्रम खोने, कर राजस्व में कमी और परिवारों को अलग करने का जोखिम है। ये चुनौतियां दुनिया भर में अवैध अप्रवास के मूल कारणों को दूर करने के लिए समन्वित कार्रवाई की आवश्यकता को उजागर करती हैं।

यूनाइटेड किंगडम निर्वासन मुद्दे को लेकर कई देशों से बात कर रहा है

इस बीच, बढ़ते प्रवासन स्तरों को नियंत्रित करने के बढ़ते दबाव के बीच यूनाइटेड किंगडम वर्तमान में अवैध प्रवासियों को विभिन्न वापसी केंद्रों में निर्वासित करने के लिए कई देशों के साथ बातचीत कर रहा है। प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर ने स्पष्ट किया कि प्रस्तावित नियम उन लोगों पर लागू होगा, जिन्होंने यूके में रहने के लिए सभी कानूनी रास्ते आजमा लिए हैं। हालांकि, इस तरह के किसी भी सौदे की तुलना शरणार्थियों को बाहर निकालने के लिए पिछली कंजर्वेटिव सरकार द्वारा शुरू की गई विवादास्पद निर्वासन योजना से की जाएगी।

जहां तक अमेरिका का सवाल है, दशकों से वहां अवैध अप्रवास की छवि अव्यवस्थित सीमा पार करने के दृश्यों से प्रभावित रही है। एक नई संघीय रपट परेशान करने वाली प्रवृत्ति का खुलासा करती है। वित्तीय वर्ष 2023 में लगभग 40 फीसद अप्रवासी कानूनी रूप से आए और फिर कभी वापस नहीं गए। होमलैंड सुरक्षा विभाग (डीएचएस) के आंकड़ों के अनुसार, 2023 में 739,450 विदेशी नागरिक अपने वीजा की अवधि से अधिक समय तक रुके रहे। यह बदलाव अमेरिकी आव्रजन प्रवर्तन में एक गंभीर कमजोरी को उजागर करता है।

डीएचएस रपट पुष्टि करती है कि 2023 में 860,000 लोग दक्षिणी सीमा के जरिए अवैध रूप से अमेरिका में प्रवेश कर गए, जबकि 510,000 लोग पर्यटन, शिक्षा या अस्थायी काम के लिए जारी किए गए वीजा की अवधि समाप्त होने के बाद भी बिना किसी दस्तावेज के रह गए। यह 2007 में पहली बार देखे गए तरीके की निरंतरता को दर्शाता है, जब अनधिकृत प्रवास के प्राथमिक स्रोत के रूप में वीजा अवधि समाप्त होने के बाद अवैध पारगमन की संख्या बढ़ गई थी।

सेंटर फार माइग्रेशन स्टडीज के आंकड़ों से पता चलता है कि बड़ा उलटफेर हुआ है। साल 2000 में चार लाख लोगों ने अवैध तरीके से सीमा पार की, जबकि वीजा अवधि से अधिक समय तक रहने वालों की संख्या मात्र 225,000 थी। 2007 तक, वीजा अवधि से अधिक समय तक रहने वालों की संख्या सबसे अधिक हो गई। यह एक ऐसा रुझान है जो अवैध प्रवेश में समय-समय पर होने वाली बढ़ोतरी के बावजूद कायम है, जैसे कि 2019 के बाद देखा गया उछाल।

जनसत्ता सरोकार: दीवारें ऊंची, दरारें गहरी, ट्रंप की नीतियों से झुलसता अमेरिका, कौन अवैध कौन वैध सवालों में उलझा देश

सभी लोग एक ही क्षेत्र से नहीं आते हैं। उदाहरण के लिए, भारत वीजा उल्लंघनकर्ताओं के मामले में सातवीं सबसे बड़ी संख्या के रूप में आता है, जिसमें 2023 में 19,000 नागरिकों ने वीजा उल्लंघन किया। हालांकि यह संख्या 2016 के 25,000 से कम है। फिर भी अमेरिका की कुल अवैध आबादी में भारत तीसरा सबसे बड़ा योगदान देने वाला देश बना हुआ है। भारत के अनुमानित 725,000 अवैध निवासी अमेरिका में हैं। भारत से आगे मेक्सिको और अल साल्वाडोर हैं।

अमेरिका-कनाडा सीमा पर भी भारतीय नागरिकों द्वारा अवैध रूप से सीमा पार करने में असामान्य वृद्धि देखी गई है। साल 2023 में 1,600 लोगों को हिरासत में लिया गया, जो पिछले तीन वर्षों की कुल संख्या से चार गुना अधिक है। अमेरिका की दक्षिणी सीमा अभी भी संकट में है। 2023 में, अमेरिकी सीमा गश्ती ने लगातार दूसरे वर्ष 20 लाख से अधिक गिरफ्तारियां की हैं। मैक्सिको के नागरिक इसका एक तिहाई हिस्सा थे। ग्वाटेमाला, होंडुरास और हैती जैसे देश भी अवैध रूप से सीमा पार करने के आंकड़ों में प्रमुखता से शामिल हैं।

ट्रंप प्रशासन ने वीजा अनुपालन पर कड़ा रुख अपनाया है, खास तौर पर उच्च जोखिम वाले समूहों को लक्षित करते हुए। भारतीयों को चेतावनी दी है कि वे अमेरिका में वीजा की अवधि से अधिक न रुकें या देश में आजीवन प्रतिबंध का जोखिम उठाएं। मई में, भारत में अमेरिकी दूतावास ने एक स्पष्ट चेतावनी जारी की कि निर्धारित अवधि से अधिक समय तक रुकने वालों को निर्वासन और आजीवन प्रतिबंध का जोखिम उठाना पड़ सकता है।

यह संदेश अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवाओं (सीआइएस) की 30 अप्रैल की सलाह से मिलता-जुलता है, जिसमें जोर दिया गया था कि वीजा एक विशेषाधिकार है, अधिकार नहीं।

नई नीतियों के तहत अब आव्रजन अधिकारी बिना किसी सूचना के वीजा रद्द कर सकते हैं, यह कदम विदेशी छात्रों और कुशल श्रमिकों पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। 2023 में 270,000 भारतीय छात्र अमेरिकी विश्वविद्यालयों में नामांकित थे, जिनमें से कई अस्थायी वीजा पर हैं, इसलिए जोखिम बहुत ज्यादा है। स्कूल छोड़ने या अनधिकृत रोजगार जैसे उल्लंघनों के कारण उनका तुरंत निष्कासन हो सकता है।

वीजा अवधि से अधिक समय तक रहने की दर में वृद्धि ने अवैध अप्रवास से निपटने के तरीके के बारे में लंबे समय से चली आ रही धारणाओं को चुनौती दी है। वर्षों से, राजनीतिक बहस सीमा सुरक्षा पर केंद्रित रही है जबकि वीजा ट्रैकिंग प्रणाली सुस्त रही है। डीएचएस रपट साबित करती है कि दो मोर्चों पर लड़ाई होनी चाहिए, अवैध प्रवेश को रोकना और यह सुनिश्चित करना कि जो लोग कानूनी रूप से प्रवेश करते हैं वे अपने तय समय से अधिक न रहें।

अमेरिका का आव्रजन संकट अब सिर्फ इस बारे में नहीं है कि कौन अंदर आता है। यह इस बारे में है कि कौन बाहर नहीं निकलता। बेहतर निकास ट्रैकिंग, सख्त दंड और उच्चावधि तक रहने वाले देशों पर कूटनीतिक दबाव के बिना अमेरिका आधी लड़ाई लड़ता रहेगा।

2,000 से अधिक अवैध अप्रवासियों को बांग्लादेश वापस भेजा गया

भारत ने बांग्लादेशी अवैध अप्रवासियों को निकालने की मुहिम तेज कर दी है। विशेषकर सात मई को ‘आपरेशन सिंदूर’ के शुरू होने के बाद से। इन कथित अवैध प्रवासियों को भारतीय वायुसेना के विमानों द्वारा विभिन्न स्थानों से सीमा तक लाया जा रहा है और वहां अस्थायी शिविरों में रखने के लिए सीमा सुरक्षा बलों को सौंपा जा रहा है।

उन्हें भोजन और जरूरत पड़ने पर कुछ बांग्लादेशी मुद्रा प्रदान की जाती है और कुछ घंटों की हिरासत के बाद उन्हें उनके देश में वापस भेज दिया जाता है। सात मई की सुबह ‘आपरेशन सिंदूर’ शुरू होने के बाद से देशव्यापी सत्यापन अभियान के बाद भारतीय अधिकारियों ने अनुमान लगाया है कि 2,000 से अधिक कथित अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों को सीमा पार वापस भेजा गया है। इसी अवधि के दौरान, दमनात्मक कार्रवाई से उत्पन्न भय के कारण बड़ी संख्या में अप्रवासी स्वेच्छा से सीमा पार करने के लिए भारत-बांग्लादेश सीमा के पास आ गए।

सरकार की कार्रवाई त्रिपुरा, मेघालय और असम में बांग्लादेश सीमा पर हो रही है। गुजरात ने सबसे पहले लोगों को वापस भेजने की शुरुआत की और जिन लोगों को वापस भेजा गया है, उनमें से लगभग आधे गुजरात से हैं। दिल्ली और हरियाणा ने भी बड़ी संख्या में अप्रवासियों को वापस भेजा है, जबकि बाकी असम, महाराष्ट्र और राजस्थान से आए हैं।

सूत्रों का कहना है कि यह एक सतत प्रक्रिया है और जिन राज्यों के शहरों में महत्त्वपूर्ण आर्थिक गतिविधियां हैं, वे ऐसे अवैध अप्रवासियों को उनके दस्तावेजों के सत्यापन के बाद पकड़ रहे हैं। अप्रैल में पहलगाम पर आतंकवादी हमले के बाद इस दिशा में एक केंद्रित प्रयास शुरू हुआ था। ‘आपरेशन सिंदूर’ के बाद से इसमें तेजी आई है। गुजरात सबसे पहले इस दिशा में आगे बढ़ा। उसके बाद दिल्ली और हरियाणा का नंबर आया। जल्द ही अन्य राज्य भी भेजने लगेंगे। इस संबंध में गृह मंत्रालय के निर्देश स्पष्ट हैं और राज्य भी सहयोग कर रहे हैं।

त्रिपुरा, मेघालय और असम में सीमा पर हो रही कार्रवाई का जिक्र करते हुए सूत्रों ने कहा, ऐसी धारणा है कि इन राज्यों को इसलिए चुना गया है क्योंकि ये भाजपा शासित हैं। लेकिन यह सच नहीं है। मेघालय में भाजपा बहुमत में नहीं है। इन राज्यों को इसलिए चुना गया क्योंकि इन राज्यों से हटाना आसान है। पश्चिम बंगाल में सीमा की प्रकृति के कारण, जो अक्सर गांवों या घरों के बीच से होकर गुजरती है, और दोनों तरफ पारिवारिक संबंध होने के कारण, कानून और व्यवस्था के मुद्दे उठने का डर था।

एक अन्य अधिकारी के अनुसार, लगभग 2,000 बांग्लादेशी अप्रवासी स्वेच्छा से सीमा पार करने के लिए आए हैं। अधिकारी ने कहा, मीडिया में कार्रवाई के बारे में बड़े पैमाने पर खबरें आने के कारण, हिरासत में लिए जाने के डर से अलग माहौल बना। नतीजतन बांग्लादेश से कई अवैध अप्रवासी स्वेच्छा से देश छोड़ रहे हैं। अब तक अभियान सुचारू रूप से चल रहा है और बार्डर गार्ड्स बांग्लादेश (बीजीबी) अपने भारतीय समकक्षों के साथ सहयोग कर रहा है।

यह सहजता से इसलिए हो रहा है क्योंकि पकड़े गए ज्यादातर लोग निर्वासन का विरोध नहीं कर रहे हैं। दशकों पहले भारत आए लोगों को छोड़कर, अधिकतर वापस जाने को तैयार हैं। एक बार जब उन्हें पकड़ लिया जाता है और सीमा पर ले जाया जाता है, तो वे बांग्लादेश में अपने रिश्तेदारों को फोन करते हैं जो उन्हें लेने आते हैं। उनमें से ज्यादातर जानते हैं कि एक बार पकड़े जाने के बाद, वे हिरासत केंद्रों या जेलों में चले जाएंगे। उनमें से ज्यादातर गरीब मजदूर हैं, जिनके पास कानूनी लड़ाई लड़ने का कोई साधन नहीं है। वे अपने परिवारों के पास वापस जाना पसंद करते हैं।

अवैध इमिग्रेशन से जुड़ी भारतीय ट्रैवल एजेंसियों पर ट्रंप प्रशासन का बड़ा एक्शन, वीजा पर लगाया प्रतिबंध

हालांकि, सूत्रों ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि बांग्लादेश में कुछ आधिकारिक बेचैनी होगी, जब यह संख्या बढ़कर 10,000 या 20,000 प्रति सप्ताह हो जाएगी। यह केवल एक अस्थायी समाधान है।

इस तरह की कवायद, हालांकि बहुत छोटे पैमाने पर, पहले भी की गई है, यहां तक कि यूपीए सरकार के तहत भी। लेकिन, ये अवैध अप्रवासी अक्सर गर्मी कम होने पर वापस आ जाते हैं। यही कारण है कि सरकार ऐसे सभी अप्रवासियों के ‘बायोमेट्रिक कैप्चर’ पर जोर दे रही है, जिन्हें वापस भेजा जा रहा है और बड़े आव्रजन आंकड़ों के साथ एकीकरण कर रही है।

विदेशियों को निकाल सकेंगे जिला आयुक्त

बांग्लादेशियों व अन्य अवैध अप्रवासियों को निकालने के लिए कई तरह के उपाय किए जा रहे हैं। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने पिछले दिनों कहा कि राज्य सरकार अवैध विदेशियों की पहचान करने और उन्हें देश से बाहर निकालने के लिए 1950 के कानून को लागू करेगी। मुख्यमंत्री ने दावा किया कि यह कानून जिला आयुक्तों को विदेशियों को अवैध घोषित करने और उन्हें देश से बाहर निकालने का अधिकार देता है।

विधानसभा के एक दिवसीय विशेष सत्र के दौरान सरमा ने दावा किया कि उच्चतम न्यायालय की संवैधानिक पीठ ने हाल ही में फैसला दिया है कि अप्रवासी (असम से निष्कासन) अधिनियम, 1950 प्रभावी है और सरकार इसके प्रावधानों के तहत कार्रवाई कर सकती है। उन्होंने कहा कि हाल के महीनों में 300 से अधिक अवैध बांग्लादेशियों को वापस भेजा गया है।

अवैध विदेशियों की पहचान करने और उन्हें वापस भेजने के मुद्दे पर जवाब देते हुए सरमा ने कहा कि राज्य सरकार इस उद्देश्य के लिए अप्रवासी (असम से निष्कासन) अधिनियम, 1950 को लागू करेगी। यह कानून जिला आयुक्त को अवैध विदेशियों को अवैध घोषित करने और उन्हें देश से बाहर निकालने का अधिकार देता है।

सरमा ने कहा कि आल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआइयूडीएफ) विधायक रफीकुल इस्लाम ने कहा है कि नागरिकता सबसे मूल्यवान संपत्ति है, लेकिन कांग्रेस के लिए ऐसा नहीं हो सकता, क्योंकि उनके यहां एक परिवार में चार सदस्यों में से तीन विदेशी हैं।’