कांग्रेस सांसद व लोकसभा में विपक्ष के उपनेता गौरव गोगोई का कहना है कि दस वर्षों में देश की जनता अच्छी तरह समझ गई है कि भाजपा मुद्दों को भटकाने में कितनी माहिर है। गोगोई का आरोप है कि बिहार में राहुल गांधी व तेजस्वी यादव की जोड़ी को मिल रही लोकप्रियता को खबरों के मंच से विलुप्त करने के लिए ही केंद्र सरकार तीन विवादित कानूनों का प्रस्ताव लेकर आई। साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि इन कानूनों को लाने की एक वजह उपराष्ट्रपति चुनाव भी है ताकि बिहार और आंध्र के सहयोगियों पर भाजपा अपना दबाव बनाए रख सके। उनका दावा है कि केरल और असम में कांग्रेस की सरकार बनेगी। नई दिल्ली में कार्यकारी संपादक मुकेश भारद्वाज की गौरव गोगोई के साथ बातचीत के चुनिंदा अंश।

पहले आपरेशन सिंदूर, उसके बाद मतदाता सूची गहन पुनरीक्षण और अब प्रस्तावित तीन बिल। आरोप है कि विपक्ष संसद को चलने नहीं देना चाहता। संसद में विपक्ष के प्रतिनिधि चेहरे के रूप में इस आरोप पर आपका क्या कहना है?

गौरव गोगोई: इस सत्र में दो विषयों ने देश का ध्यान आकर्षित किया है। पहला पहलगाम और दूसरा आपरेशन सिंदूर। इन मुद्दों पर ज्यादातर देशवासी सरकार के जवाब से असंतुष्ट हैं। न तो हमें खुफिया सूचना व सुरक्षा में हुई चूक का जवाब मिला और न इस बात पर तस्वीर साफ हुई कि हमें इस मुद्दे पर वैश्विक शक्तियों का साथ क्यों नहीं मिला। दूसरे मुद्दे को पूरा देश देख रहा है। चुनाव प्रक्रिया को लेकर राहुल गांधी ने प्रेस कांफ्रेंस की। भाजपा ने भी प्रेस कांफ्रेंस की और चुनाव आयोग ने भी की। लेकिन इस मुद्दे पर सदन में चर्चा कराने की विपक्षी दलों की मांग पर वे पीछे हट गए। जब केंद्रीय चुनाव आयोग को जवाब देना पड़ रहा है तो इस मुद्दे पर सदन में चर्चा क्यों न हो? मुझे लगता है कि बीते सत्र में सरकार कहीं न कहीं घिरी हुई दिख रही थी इसलिए देश का ध्यान भटकाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ऐसे कानून ले आया। मकसद यही था कि राहुल गांधी के साथ विपक्षी दलों की रैली में जो जनसैलाब दिख रहा है उसकी छवि जनता के पास नहीं पहुंचे। मुझे पूरा विश्वास है कि जनता भी मान रही है कि ये प्रस्तावित कानून सरकार का दिखावा हैं। पहले ये जिस व्यक्ति से चक्की पिसवाएंगे फिर उसी को मुख्यमंत्री बनाएंगे। जब ये असम में आरोपपत्र लाकर उसी व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनाते हैं तो ये किस नैतिकता का पाठ देश को पढ़ाएंगे।

संसद के ही मंच से आपको भी अपनी बात कहने का मौका मिलता है। अगर संसद नहीं चलती है तो फिर विपक्ष की भी बात जनता तक नहीं पहुंच पाती है। ऐसे में संसद में कामकाज को रोकने की रणनीति का संदेश क्या है?

गौरव गोगोई: इससे पहले चाहे कांग्रेस की सरकार होती थी या भाजपा की, सदन के अंदर गतिरोध को खत्म करने की जिम्मेदारी दोनों पक्षों की होती थी। 2014 के बाद से चलन बना कि जैसे मन चाहेगा वैसे चलाएंगे। बस ये अपने बिल ले आएं, सदन चलाने की जिम्मेदारी इनकी नहीं है। ऐसे में विपक्ष की जिम्मेदारी बनती है कि हम जनता के हित में में सवाल उठाएं और सरकार जब तक उनका जवाब नहीं देती हमें सकारात्मक होकर पूरी शक्ति लगा कर उन्हें जवाबदेह बनाना होगा ही।

सत्ता पक्ष आरोप लगा रहा है कि प्रस्तावित कानूनों से विपक्ष के नेताओं को डर लग गया है कि उन सभी को घर बैठना पड़ जाएगा।

गौरव गोगोई: इन कानूनों को लाने का असली मकसद यह है कि उपराष्ट्रपति का चुनाव होने वाला है। राजग और इंडिया गठबंधन के बीच वोटों का ज्यादा अंतर नहीं है। उन्हें डर है कि कहीं उनके सहयोगी दलों के पैर न फिसल जाएं, चाहे वे आंध्र के हों या बिहार के। ये अपने सहयोगी दलों को भी ‘ब्लैकमेल’ करने की कोशिश कर रहे हैं। ये वे लोग हैं जो पहले किसी पर इल्जाम लगाते हैं। अगर वही लोग भाजपा में शामिल हो जाते हैं तो किसी को उपमुख्यंत्री तो किसी को मुख्यमंत्री बनाते हैं।

आपका कहना है कि इन प्रस्तावित कानूनों से विपक्ष को कोई डर नहीं है।

गौरव गोगोई: कोई डर नहीं है। हमारे साथ देश की जनता इनको दस वर्षों से देख रही है। हमें मालूम है, ये कब ध्यान भटकाना चाहते हैं, खबर प्रबंधन करना चाहते हैं। वास्तविक मुद्दा यह है कि बिहार में चुनाव आ रहे हैं और वहां विपक्ष मतदाता सूची का मसला उठा चुका है। राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की जोड़ी को जबर्दस्त समर्थन मिल रहा है। बिहार में राहुल गांधी की लोकप्रियता को देख कर तीन कानूनों का प्रस्ताव लाए। हमें यह भी आसानी से नहीं भूलना चाहिए कि पहले हर मुद्दे पर मुखर उपराष्ट्रपति कितने अजीब तरीके से त्यागपत्र देकर चले गए और हम उनकी कोई आवाज नहीं सुन पा रहे हैं। आखिर सदन में भाजपा उनकी किस बात से नाराज हो गई इसका स्पष्टीकरण भी सामने नहीं आ पाया है।

बिहार में अभी सीट बंटवारे पर फैसला नहीं हुआ है। लेकिन जब तेजस्वी यादव ने राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद का चेहरा बताया तो लगा कि विपक्ष में समझ बन चुकी है। इस समझ को औपचारिक रूप देने में समय क्यों लग रहा है?

गौरव गोगोई: मुझे पूरा भरोसा है कि जनता के सामने एक पुख्ता समझौता सामने आएगा। बिहार की जनता देख रही है कि यह सिर्फ चुनावी गठबंधन नहीं, बल्कि संविधान को बचाने की, गरीबों, अल्पसंख्यों, वंचितों के वोट अधिकार को बचाने की मुहिम है।

नोटबंदी, पुलवामा, उरी, आपरेशन सिंदूर के बाद के हालात। अमेरिका के साथ विवाद। इतना सब कुछ होने के बाद जनता कांग्रेस पर भरोसा क्यों नहीं कर रही? क्या इसलिए कि राहुल गांधी की छवि ऐसी चित्रित कर दी गई है कि लोगों को लगता है कि वे जो भी कहेंगे, गलत कहेंगे?

गौरव गोगोई: 2014 में कांग्रेस के 44 सांसद थे, 2019 में 55 और 2024 में हम 99 पर आ गए। 400 पार का दावा करने वाले अपने दम पर बहुमत नहीं ला पाए। राहुल गांधी ने दो बड़ी यात्राएं निकालीं जिसका समाज पर जबरदस्त प्रभाव पड़ा। पहली में उन्होंने नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान खोलने की बात की। दूसरी में जाति जनगणना की। आज सरकार खुद जाति जनगणना करवा रही है। सुप्रीम कोर्ट के सामने चुनाव आयोग ने कह दिया था कि मतदाता सूची से हटाए गए 65 लाख लोगों का नाम नहीं दे सकते, आधार लागू नहीं कर सकते। आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के खिलाफ राय दी। कर्नाटक के महादेवपुरा में गड़बड़ी का जवाब चुनाव आयोग नहीं दे पा रहा है। राहुल गांधी की प्रेस कांफ्रेंस के बाद पूरा देश सतर्क होकर चुनाव आयोग की वेबसाइट देखने लगा। राहुल गांधी ने जो देश में बड़े बदलाव लाए वे स्पष्ट रूप से दिख रहे हैं। चुनावी नतीजों में भी दिख रहा है। मणिपुर में हमारे दो सांसद जीत कर आए। आज नगालैंड में हमारा एक सांसद है। मेघालय में राजग के दोनों सांसद हार गए। असम में हमने ऐतिहासिक अंतराल से एक सीट जीती। राहुल गांधी देश की जनता को राजनीतिक व सामाजिक रूप से सक्रिय व सतर्क कर रहे हैं।

लेकिन जहां कांग्रेस आगे बढ़ती दिखती है, वहां भी भाजपा ही जीत जाती है। नतीजे आने पर लगता है कि कांग्रेस के लिए जो भीड़ दिख रही थी वह शायद भ्रम थी।

गौरव गोगोई: एक होती है वास्तविक जीत और एक होती है वोट चोरी…।

क्या आपको लगता है कि वास्तव में वोट चोरी हो रही है?

गौरव गोगोई: हमने जो भी आरोप लगाए, वे चुनाव आयोग के ही आंकड़े हैं। इसलिए मुझे लगता है कि कहीं न कहीं वोट चोरी हुई है। चुनाव आयोग का नियम था एक साल तक सीसीटीवी फुटेज रखने का। जब सवाल बढ़ने लगे कि इनके वोट इतने कैसे बढ़ गए तो उस नियम को 45 दिन कर दिया गया। मतदाता सूची में पहले भी गलत नाम आए होंगे। पर आज जिस तरह बड़े पैमाने पर निर्मित हेराफेरी हो रही है, उसे देख कर लगता है कि हमें बहुत सतर्क रहने की जरूरत है। अगर चुनाव आयोग जनता का नहीं, एक दल का हो जाएगा तो लोग किस तरह से लोकतंत्र पर विश्वास रखेंगे।

अभी सरकार का सारा हमला राहुल गांधी पर होता है तो विपक्ष का नरेंद्र मोदी पर। यह व्यक्ति केंद्रित लड़ाई हो गई। क्या आपको लगता है कि इस छविगत लड़ाई में 2029 तक राहुल गांधी का पलड़ा भारी हो पाएगा?

गौरव गोगोई: देखिए राहुल गांधी ने पचास करोड़ की ‘गर्लफ्रेंड’ वाली बात कभी नहीं कही। जर्सी गाय जैसे शब्द नहीं कहे। पहलगाम में हिमांशी नरवाल ने जब कहा कि मेरे स्वर्गीय पति के शव पर सांप्रदायिक राजनीति नहीं करें तो भाजपा की आइटी सेल ने उन्हें कितना अपमानित किया और उसके नेता मौन रहे। मणिपुर में महिलाओं पर अत्याचार हुआ, पूरा राज्य तबाह हो गया। राहुल गांधी दो बार मणिपुर गए। बहुत फर्क है राहुल गांधी और मोदी जी में। पहलगाम में राहुल गांधी की जो भाषा और जो भाव था उसे पूरे देश ने सराहा। दोनों के बीच का फर्क पूरा देश देख रहा है।

पचास करोड़… वाली बात जिनके संदर्भ में कही गई थी, लग रहा उन्हें अब याद ही नहीं। क्या आपको लग रहा कि शशि थरूर केंद्रीय सत्ता के साथ जा सकते हैं?

गौरव गोगोई: यह बात तो आप शशि थरूर से पूछिए। उन्होंने हमेशा ये कहा है कि उनकी और भाजपा की विचारधारा में जमीन-आसमान का अंतर है। मैं इतना कहना चाहता हूं कि जिस केरल से शशि थरूर आते हैं, वहां अगले साल बहुत ही रचनात्मक चुनाव होने वाला है। केरल में कांग्रेस की सरकार बनने वाली है।

केरल के बारे में यह आपकी निजी राय है या पार्टी के पास पुख्ता जमीनी रिपोर्ट है?

गौरव गोगोई: राजनीति की हवा हर दिन बदलती है। मैं स्वीकार करके कहता हूं कि आज की तारीख में जो हवा का रुख हमें केरल में दिख रहा है, हमारी वहां सरकार बनने वाली है। एक बात और। मैं असम से आता हूं। जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, वहां असम ही ऐसा राज्य है जहां भाजपा और कांग्रेस की सीधी टक्कर होगी। असम में पंद्रह वर्षों तक कांग्रेस की सरकार थी। अब वहां भाजपा की सरकार को दस वर्ष हो गए हैं। असम में अभी चुनाव में आठ महीने ही रह गए हैं लेकिन वहां लोगों का जिस तरह से कांग्रेस पर भरोसा बढ़ रहा है तो मैं कह सकता हूं कि वहां हम अगले साल कांग्रेस की सरकार बनाने वाले हैं।

मेरा अगला सवाल असम पर ही था। असम के चुनाव में आपकी क्या भूमिका होगी?

गौरव गोगोई: मैं पार्टी का कार्यकर्ता हूं। मेरी भूमिका ही सरकार बनाने की है। पार्टी ने मुझे अहम जिम्मेदारी दी है। मैं 2014 में मीडिया प्रवक्ता के रूप में आया था और आज लोकसभा में उपनेता के अलावा प्रदेश अध्यक्ष की भी जिम्मेदारी मिली हुई है। जी-जान लगाकर इस जिम्मेदारी को निभाना है। मेरे पिताजी स्वर्गीय तरुण गोगोई ने जिस तरह असम में विभिन्न जनजाति, जाति, विभिन्न समुदाय, विभिन्न भाषाओं के लोगों को एकजुट करके सभी के लिए आत्मसम्मान से जीने का वातावरण बनाया था वही आगे के लिए हमारा मापदंड रहेगा।

हेमंत बिस्वा सरमा आपके ही साथी थे। कितनी मुश्किल होगी अपने साथी पर वार करने में?

गौरव गोगोई: महाभारत में अर्जुन जब द्रोणाचार्य पर वार कर सकते हैं तो हमें भी अपना कर्त्तव्य निभाना होगा। व्यक्तिगत रूप से यह न किसी से दोस्ती है न दुश्मनी है। यह सिर्फ जिम्मेदारी है।

असम में कांग्रेस की जीत की स्थिति में क्या आप वहां के मुख्यमंत्री होंगे?

गौरव गोगोई: यह हमारी सरकार का नेतृत्व तय करेगा। हमारा 60 से ज्यादा सीट लाने का स्पष्ट लक्ष्य है। संगठन कैसे मजबूत हो, जनता के वोट की चोरी न हो सके इन कर्त्तव्यों को पूरा करने तक मैं सीमित हूं।

असम के मुख्यमंत्री भाजपा की वैचारिकी के मुखर प्रतिनिधि चेहरा बन चुके हैं। उनकी आक्रामक शैली के सामने आपकी अहिंसक सी शैली से मामला थोड़ा मुश्किल नहीं होगा?

गौरव गोगोई: मैं गर्व से कहता हूं कि तरुण गोगोई का बेटा हूं। वे कांग्रेस पार्टी के वफादार सिपाही रहे हैं। उनके रास्ते पर चल कर ही हमें वहां प्रगति की नई परिभाषा दिखानी है। असम में चाय बागान मालिक से लेकर संगीत समारोह का कारोबार करने वाले सब दुखी हैं। असम में हमें बदलाव लाना है।

भाजपा ने राहुल गांधी को वंशवाद का प्रतीक बना दिया। इस छवि ने राहुल गांधी को बहुत नुकसान पहुंचाया। असम के चुनाव में आप पर भी इस आधार पर हमले हो सकते हैं।

गौरव गोगोई: उनका मंत्रिमंडल देखिए। भाजपा और उसके सहयोगी दलों के परिवारों के वंशजों को देखिए।

पिछले दिनों अदालत ने राहुल गांधी को बिना सबूतों के आरोप लगाने को लेकर आगाह किया। इस पर आपका क्या कहना है?

गौरव गोगोई: सुप्रीम कोर्ट हमें संविधान के ऊपर मार्गदर्शन देता है। संविधान में सच्चे भारतीय की भाषा कौन से अनुच्छेद में लिखी है? राहुल गांधी हमेशा राष्ट्रहित में जनता के साथ खड़े रहते हैं।

हाल में राहुल गांधी ने चुनाव आयोग को लेकर बयान दिया कि सत्ता बदलेगी तो देखेंगे…। आप ऐसी भाषा को न्यायोचित मानते हैं?

गौरव गोगोई: मुख्य चुनाव आयुक्त की भाषा पर विपक्ष के सभी नेताओं ने सवाल उठाए हैं। उनके बयान से समझ में आ रहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के पैनल से सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को भाजपा की सरकार ने क्यों हटाया। यह जरूरी है कि बड़े पदों पर बैठे हुए अफसर याद रखें कि सदन और देश उनका गवाह है।

प्रस्तुति : मृणाल वल्लरी
विशेष सहयोग: पंकज रोहिला