यहां वोट चोरी, वहां वोट चोरी… कि इतने में जागा एक तुकांतवादी का ‘कवित्व’ और शुरू हुआ कोरस…! फिर एक विपक्षी नेता गरजे कि चोरी से बनी सरकार, इस्तीफा दे सरकार..! तभी एक चर्चक चहक उठा कि अगर केंद्र सरकार ‘वोट चोरी’ की सरकार है तो बाकी राज्य सरकारें भी तो ‘वोट चोरी’ की सरकारें हुईं! तब तो सबको इस्तीफा देना होगा, क्योंकि सब उसी मतदाता सूची से बनी हैं, जिससे केंद्र सरकार बनी है। इसी बीच, एक राज्य के विपक्षी दल की एक महिला विधायक ने विधानसभा में कहा कि वे राज्य के मुख्यमंत्री को धन्यवाद देती हैं कि उन्होंने उस कुख्यात माफिया को मिट्टी में मिला दिया, जिसने अठारह बरस पहले उसके पति को गोलियों से भून डाला था, उनको उनके दल ने बाहर का रास्ता दिखा दिया।

इसी तरह के राजनीतिक घमासान में विपक्ष के तीन सौ सांसदों ने ‘वोट चोरी’ के बहाने बिहार की ‘नई मतदाता संशोधन सूची’ तैयार करने वाले चुनाव आयोग के खिलाफ उसके दफ्तर के आगे प्रदर्शन किया और पुलिस ने रोका तो देर तक प्रदर्शन और नारेबाजी की और विपक्ष के एक नेताजी पुलिस द्वारा खड़ी की गई बाधाओं को पार कर गए। प्रदर्शन के दौरान एक महिला सांसद बेहोश हो गईं, जिनको कार में अस्पताल भेजा गया। फिर एक अन्य सांसद भी बेहोश हो गईं, जिनकी एक दूसरी सांसद ने सहायता की।

‘वोट चोरी’ के आरोपों पर सत्ता पक्ष की स्थिति विचित्र हो गई

इधर, विरोध करता विपक्ष बाहर, उधर ‘घरेलू परिसर में जलते नोटों’ के ‘आरोपित’ न्यायाधीश जी पर महाभियोग चलाने के लिए एक ‘जांच समिति’ का गठन! इसी बीच एक सत्ता प्रवक्ता ने संवाददाता सम्मेलन करके विपक्ष के ‘वोट चोरी’ का आरोप विपक्ष पर ही डाल दिया। हालांकि इस नेता के आरोप के बाद ‘वोट चोरी’ के आरोपों पर सत्ता पक्ष की स्थिति विचित्र हो गई।

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बहसों में कुछ कहने वालों ने यह भी कहा कि ‘वोट चोरी’ के खिलाफ आंदोलन चलाया जाता। प्रकारांतर से यह चुनाव आयोग के मतदाता सूची गहन पुनरीक्षण अभियान या मतदाता सूची संशोधन अभियान को और भी जरूरी बताया जा रहा है, क्योंकि नई सूची बनाने के बाद ही ‘वोट चोरी’ रोकी जा सकती है। तब फिर चुनाव आयोग के ‘एसआइआर अभियान’ का विरोध क्यों? क्या इसलिए कि पैंसठ लाख लोग उस मतदाता सूची से बाहर हुए? इसके बाद आया चुनाव आयोग के ‘एसआइआर अभियान’ विरोधी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला, जिसने मतदाता सूची को और भी सरल बनाने के लिए कुछ व्यवस्था देने के अलावा यही कहा कि चुनाव आयोग ‘मृत/ अनुपस्थित/ पता बदल/’ वाली पैंसठ लाख मतदाताओं की सूची वेबसाइट पर लगाए।

इस बीच भविष्य में प्रधानमंत्री के चीन जाने की खबर और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत आने की खबरों ने ट्रंप की शुल्क नीति की खबर को किनारे कर दिया और अलास्का में पुतिन एवं ट्रंप की आसन्न बैठक में ‘कुछ भी हो सकता है’ वाले कयास ने चैनल की चर्चा को मजेदार बनाए रखा।
इसी के साथ ही बड़ी अदालत द्वारा शहरों के लाखों आवारा कुत्तों के आतंक को खत्म करने के लिए दिए गए आदेश भी चर्चा के विषय बने। चैनलों की बहसों में एक ओर पशु प्रेमी होते, स्वयंसेवी संगठन होते, दूसरी ओर, कुत्ता काटने के भुक्तभोगी या उनसे आतंकित लोग होते। इनमें एक चैनल की एंकर ने स्वयं कहा कि वे खुद ‘भुक्तभोगी’ रही हैं और आज भी डरती हैं।

फिर आया 79वां ‘स्वतंत्रता दिवस’ यानी पंद्रह अगस्त का दिन और प्रधानमंत्री का लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र के नाम बारहवां संबोधन, जिसमें उन्होंने ‘आपेरशन सिंदूर’ की सफलता का जयगान, उसके वीर सैनिकों को सम्मान, सिंधु नदी समझौता निरस्त करने और ‘पानी और खून एक साथ नहीं बहेगा’ की नीति की बात कही। इसके अलावा, भाषण में किसी के ‘परमाणु भयादोहन’ के आगे न झुकने की नीति, पूरी तरह ‘आत्मनिर्भर भारत’ बनाने का मूल मंत्र, 2047 तक विकसित भारत का सपना पूरा करने के लिए ‘पंच प्रण’ और आगे के लिए अपेक्षित तैयारियां, देशज सामरिक सुरक्षा क्षमता का विस्तार, सेमीकंडक्टर, चिप तकनीक में आत्मनिर्भरता, गरीबोत्थान, किसान, पशुपालक, मत्स्यपालक आदि के हितों लिए किसी के साथ समझौता नहीं करने जैसे मुद्दों को भी जगह मिली।