अयोध्या एक बार फिर खबरों में आई। एक बालिका के साथ सामूहिक बलात्कार की खबर ने यूपी की राजनीति को जगा दिया। प्रमुख आरोपियों में एक विपक्षी दल के नेता का नाम आते ही विपक्ष हमलावर हुआ कि यह दल को बदनाम करने की साजिश है। फिर एक शाम एक और बड़ी खबर आई कि असम सरकार ‘लव जिहाद’ और ‘भूमि जिहाद’ के लिए आजीवन कारावास की सजा वाला कानून लाएगी। अफसोस, यह बिना किसी हंगामे के निकल गई। फिर एक बड़ा ‘राजनीतिक बम’ फटा कि संसद में वक्फ बोर्ड कानून में चालीस संशोधन करने वाला ‘बिल’ पेश होगा। इसके बाद आरोप-प्रत्यारोपों की झड़ी लग गई। एक कहे कि यह ‘अल्पसंख्यकों’ पर निशाना लगाना है, धार्मिक आजादी और संविधान के खिलाफ है।

एक के बाद एक घटनाएं लगातार बनती रहीं सुर्खियां

दूसरे कहे कि यह कानून पहली सरकारों की तुष्टीकरण की नीति का प्रमाण है। यह गरीब मुसलिमों के प्रति अन्याय करता है। फिर अगले रोज जैसे ही खबर आई कि यह ‘बिल’ आज नहीं पेश नहीं हो रहा, वैसे ही विपक्षी दलों के चढ़े तेवर ढीले पड़ गए। लेकिन अगले रोज बांग्लादेश में तख्तापलट और प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफा देने और भारत में शरण लेने और ढाका में सेना के शासन संभालने की खबर ने सारी बहसों को नई दिशा में मोड़ दिया।

खबरें हिलाती रहीं कि बांग्लादेश में मार्शल ला लागू… सेना ने कमान संभाली… शेख हसीना के घर और संसद में भीड़ की लूटपाट… कोई टीवी और गद्दे ले जाता हुआ, कुछ औरतें तकिए और वस्त्र ले जाती हुईं, कोई युवक किचेन में पिज्जा खाते हंसता हुआ, बांग्लादेश के निर्माता शेख मुजीबुर्रहमान की मूर्ति ढहाई जाती हुई! पूरे देश में उन्मादी भीड़ द्वारा लूटपाट, तोड़फोड़, आगजनी की खबरें।

कुछ विशेषज्ञ बताते रहे कि इस सत्तापलट के पीछे पश्चिमी ताकतें हैं। भारत को जल्दबाजी में कुछ नहीं करना चाहिए। फिर खबरें आने लगीं कि नोबेल सम्मानित अर्थशास्त्री मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का अध्यक्ष बनाया गया। ‘बीएनपी’ की नेता खालिदा जिया जेल से बाहर… उनके पुत्र ताहिर रहमान ने कहा कि शेख हसीना ‘कातिल हसीना’ हैं। ब्रिटेन ने शेख हसीना को शरण नहीं दी… बाकी पश्चिमी देशों की अभी तक चुप्पी है। जब तक कोई देश शरण नहीं देता, तब तक वे भारत में शरणार्थी। फिर शेख हसीना का बयान कि वे अब बांग्लादेश नहीं जाएंगी, राजनीति भी नहीं करेंगी।

आसन्न संकट पर विचार-विमर्श के लिए प्रधानमंत्री की सर्वदलीय बैठक और उसमें एकाध नेता को छोड़ बाकी सभी दलों के नेता सरकार के साथ होने की खबर ने राहत दी। लेकिन कुछ विपक्षी नेता अपने तेवर में थे। एक कहिन कि जो वहां हो रहा है, यहां भी हो सकता है। जब पूछा गया तो कह दिए कि निजी बैठक में कहा था। फिर एक बोला कि एक दिन जनता यहां भी घरों में घुस जाएगी। एक और कहिन कि वहां भी जनतंत्र का गला घोंटा गया, यहां भी। फिर एक और कहिन कि हर तानाशाह को इसी तरह भागना पड़ता है। एक विशेषज्ञ ने कहा कि जो लोग ऐसा कह रहे हैं कि जो वहां हुआ, वह यहां भी हो सकता है, वे यह भूल रहे हैं कि अगर ऐसा यहां हुआ तो क्या वे बच जाएंगे..! जब श्रीलंका जला, तब भी ऐसी ही ‘खल कामना’ सुनाई दी थी कि जो वहां हो रहा है, यहां भी हो सकता है।

फिर आई एक सौ चालीस करोड़ लोगों के दिलों को तोड़ने वाली एक त्रासद खबर कि अब तक एक ‘अपराजित’ महिला ‘चैंपियन’ को पछाड़ कर ओलंपिक कुश्ती के पचास किलोग्राम के समूह के फाइनल में लड़ने के लिए तैयार विनेश फोगाट को मात्र सौ ग्राम वजन अधिक होने के कारण ‘अयोग्य’ घोषित कर दिया गया। विशेषज्ञ बताते रहे कि वे तिरपन किलोवर्ग से हटकर पचास किलोवर्ग में लड़ने वाली थीं। पौष्टिक खुराक से उनका वजन कुछ बढ़ा हुआ था। विनेश के निजी कोच, डाक्टर और सहायकों की टीम ने विनेश का बढ़ा ‘वजन’ घटाने के लिए रात भर कई व्यायाम कराए, लेकिन सौ ग्राम फिर भी रह गया और मुकाबला शुरू होने के ऐन पहले ही ‘स्वर्ण’ पाने के सारे सपने ढह गए। ऐसी स्थिति में प्रधानमंत्री ने उनको ढांढस दिया।

इसके बाद कई विपक्षी नेता अचानक ‘साजिश विशेषज्ञ’ हो गए और कहने लगे कि इस ‘अयोग्यता निर्धारण’ के पीछे भी ‘साजिश’ है… उसने सरकार का विरोध किया था, इसलिए ऐसा हुआ। इसके बाद संसद में पेश हुआ वक्फ कानून संशोधन बिल। विपक्ष कहिन कि ये अल्पसंख्यकों पर निशाना साधने की साजिश है… यह संविधान के खिलाफ है।

एक एंकर ने बताया कि सेना और रेलवे के बाद वक्फ बोर्ड के पास सबसे अधिक 9.04 लाख एकड़ जमीन है। पच्चीस हजार करोड़ रुपए की आय है। सारा पैसा कुछ लोग हजम कर जाते हैं। गरीब मुसलमानों को कुछ नहीं मिलता। इससे उनका भला होगा। और शुक्रवार की सुबह मनीष सिसोदिया को अदालत से जमानत मिलते ही ‘आप’ के बल्ले-बल्ले… जबकि विरोधी प्रवक्ता कहते रहे कि ये जमानत मिली है, मुकदमा अभी जारी है।