एक दिन दक्षिण के एक बड़े नेता ने कह दिया कि नई शिक्षा नीति उनको अस्वीकार्य है, कि इसके जरिए त्रिभाषा फार्मूले के जरिए लागू कर हिंदी को थोपना चाहते हैं, कि ये तमिल को कमजोर करना चाहते हैं, लोकसभा सीटों के परिसीमन के जरिए केंद्र दक्षिणी राज्य की सीटों को कम करना चाहता है। केंद्र के कई बार के ‘आश्वासनों’ व ‘स्पष्टीकरण’ कि किसी की लाकसभा की सीटें कम नहीं होंगी, तब भी कई चैनल ‘दक्षिणी राज्यों’ में उत्तर के ‘फोबिया’ की चर्चा में लगे दिखे। कुछ प्रवक्ताओं ने इसे ‘दक्षिण बरक्स उत्तर’ के बीच ‘टकराव की राजनीति’ की नई शुरुआत बताया, तो कुछ की नजर में टकराव की यह राजनीति हिंदुत्व की और केंद्र की नाक में दम करने वाली रही।
इस बीच एक विपक्षी प्रवक्ता ने भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान रोहित शर्मा को खेल के लिए ‘अनिफट’ बताकर उनके मोटापे पर टिप्पणी करके जोरदार खबर बनाई और उतनी ही जोरदार निंदा पाई। एक ने तो उनको देशद्रोही तक कह दिया। लेकिन जब रोहित के नेतृत्व मे टीम जीत गई, तो वे बधाई देती दिखीं। चर्चा में आने के लिए बहुत से बंदे आजकल कुछ भी बोल देते हैं, फिर स्थिति बदलते ही अपने बयान के विपरीत भी बोल देते हैं और ऐसों का दल भी कुछ नहीं करते।
ऐसे ही एक मौलाना ने एक मुसलिम क्रिकेटर को भारत की टीम में ‘सेमीफाइनल मैच’ खेलता देखा और उसे खेल के दौरान एक ‘एनर्जी ड्रिंक’ पीता देख उन्हें नागवार लगा और वे कह उठे कि रोजे के दिनों में एक मुसलिम क्रिकेटर का रोजा न रखना इस्लाम की अवमानना है। यह ‘शरीअत’ के खिलाफ है, तो जवाब में दूसरे मौलवी बोल उठे कि उस खिलाड़ी ने मैच के दौरान रोजा न रखकर कुछ भी गैर-इस्लामी कृत्य नहीं किया। वे देश के लिए खेल रहे थे और खेल में ऊर्जा की जरूरत होती है। उसके बाद कई मौलाना रोजेदारों की ‘व्यवस्थाओं’ के बारे में बताते रहे। एक बयान के चक्कर में कुछ हिंदी चैनलों में इतनी देर तक ‘इस्लाम इस्लाम’ और ‘शरीअत शरीअत’ होता दिखा।
फिर एक दिन जैसे ही एक चैनल पर एक विपक्षी विधायक का बयान आया कि औरंगजेब क्रूर नहीं था, तो कई चैनलों में ‘औरंगजेब औरंगजेब’ होने लगा। विवाद बढ़ा तो औरंगजेब की तारीफ करने वाले नेता ने बयान वापस ले लिया। तब भी उनके विपक्षियों की नाराजगी कम न हुई और उनको विधानसभा की सदस्यता से निलंबित कर दिया। कुछ उनको सदन से निकालने औैर जेल भेजने की कहते रहे तो कुछ उनको पाकिस्तान जाने के लिए कहते रहे।
कुछ प्रवक्ता औरंगजेब को ‘पैंतालीस लाख हिंदुओं का हत्यारा’ और सैकड़ों मंदिर तुड़वाने वाला, गुरु तेगबहादुर का सिर काटने वाला, गुरु गोविंद सिंह के दो बेटों को दीवार में जिंदा चुनवाने वाला, संभाजी महाराज पर भयानक अत्याचार करने वाला और उनकी निर्मम हत्या करने वाला बताते रहे, तो कुछ उसे ‘अखंड भारत का निर्माता बादशाह’ बताते रहे। एक नेता औरंगजेब को ‘रहमतुल्ला…’ कहते रहे, जिस पर औरंगजेब विरोधी एक प्रवक्ता ने आपत्ति जताई कि औरंगजेब जैसे आततायी को ऐसा कहकर सम्मान देना ‘देश विरोधी’ है। फिर ‘औरंगजेब विवाद’ राजस्थान तक पहुंचा और कुछ ने वहां अकबर की ‘महानता’ को भी रगड़ दिया। फिर अलीगढ़ विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा परिसर में होली न मनाने को कहा गया तो विवाद पैदा हो गया। फिर एक दिन संभल में होली मनाने को लेकर एक पुलिस अफसर ने ‘व्यवस्था’ दी कि जिनको होली के रंग न भाते हों, वे उस दिन घर में ही नमाज पढ़ें।
इस सप्ताह हुई ‘ट्रंप-जेलेंस्की’ की ‘रूस-यूक्रेन’ युद्ध ‘खत्म’ करने के लिए हुई ‘बातचीत’ की कहानी सबसे मजेदार दिखी! मानो ट्रंप कहते हों कि ‘मेरी बिल्ली और मुझसे ही म्याऊं.!’ एकदम ‘वाइल्ड वैस्ट’ वाला एक्शन दृश्य रहा। इधर ‘डर्टी हैरी’, उधर ‘संडेज किड’। दोनों आमने-सामने! दोनों के दाएं हाथ अपने-अपने पिस्तौलों के बटन को
खोलते हुए और ठांय-ठांय करने के लिए तड़पते हुए। दूर खड़े घोड़ों का हिनहिनाना और आसमान में चीलों का चीखते हुए मंडराना।
‘डर्टी हेरी’ उर्फ अपने ‘अंकल सैम’ इन दिनों खूब जोश में हैं। सौ फैसलों का एक साथ एलान और अंकल के दोनों सहायकों का हर फैसले पर खड़े होकर ताली पीटना अंकल की ताकत की लीला को ही दिखाने वाला रहा! सिर्फ कुछ विपक्षी अपने हाथ में सिर्फ ‘नो नो’ की तख्ती लिए हुए दिखे, यानी ‘धींग मारे और रोने न दे’… चर्चक विभाजित रहे। कुछ कहते कि ‘अंकल सैम’ की ऐसी दादागीरी बहुत दिन तक नहीं चलेगी। कुछ कहते कि जब तक अंकल हैं, तब तक दुनिया हिलती रहनी है।
बहुत से चर्चक खुश कि उधर ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ तो इधर ‘मेक इंडिया ग्रेट अगेन’। वे भी ‘ग्रेट’ तो हमहूं ‘ग्रेट’। यहां पर सब ‘ग्रेट ग्रेट’ हैं..!