चैनलों में ‘कटाक्ष’ बरक्स ‘कटाक्ष’ बरसते हैं। संसद में बरसते हैं। संसद के बाहर बरसते हैं। अथ संसद में राहुल-कटाक्ष, ‘देश का हलवा बंट रहा है। आप हलवा खा रहे हैं। बाकी देश को हलवा नहीं मिल रहा है… बजट तैयार करने वाली टीम में एक-दो ओबीसी, एक मुसलिम हैं, लेकिन वे फोटो में नहीं। देश के पिछड़े अभिमन्यु नहीं, अर्जुन हैं… वे चक्रव्यूह को तोड़कर फेंक देंगे। प्रधानमंत्री के आत्मविश्वास को हिला दिया है। आपने जो चक्रव्यूह बनाया है, हम उसे तोड़ने जा रहे हैं। हम ‘जातिगणना’ पास करके आपको दिखाएंगे। ये चक्रव्यूह आपने बनाया है, वह टूट जाएगा।

140 करोड़ की जाति पूछने में अपमान

इस पर आया भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर का कटाक्ष कि जिसकी जाति का पता नहीं, वह जातिगणना की बात करता है। फिर एक पक्ष प्रवक्ता ने कहा कि आप तो 140 करोड़ की जाति पूछते हो, ये क्या उनका अपमान नहीं है? तिस पर प्रधानमंत्री की तारीफ का तड़का कि ऊर्जावान साथी का बयान जरूर सुनना चाहिए, उनके बयान में व्यंग्य। इसके प्रतिवाद में कई विपक्षी नेता लाइन लगाकर बरसते दिखे कि उन्होंने गाली दी है… कि जाति पूछी कैसे, कि ये जातिगणना विरोधी हैं, कि बिना गणना के विकास कैसे हो सकता है..! जाति गणना का एजंडा राहुल ने सेट किया और वही हर चैनल पर बहस का केंद्र बना रहा!

एक ने ज्ञान बढ़ाया कि एक नए सर्वे के अनुसार भारत में 46 लाख 76 हजार जातियां हैं। है न हैरत की बात! अब भजते रहो जाति-जाति! बिहार, कर्नाटक आदि कई राज्यों ने गणना कराई हुई है। 2011 में कांग्रेस की केंद्र सरकार करा चुकी है। फिर भी कोई उनको प्रकाशित नहीं करता और राहुल हैं कि आए दिन गणना की बात करते हैं।

भाजपा सोचती है कि जाति गणना विभाजनकारी है

इस बीच, एक लेखक राहुल पर इतने मुग्ध कि कहते रहे कि इनका वक्त आ सकता है अगर वे सही खेलेंगे, जैसे चक्रव्यूह तोड़ने की बात। राहुल को लोग पसंद करने लगे हैं। ये हिंदू निर्वाण हो रहा है। राहुल सही समय पर सही जगह पर हैं। पहले पप्पू थे… अब वे संघर्ष करके आए हैं। वे हीरो की तरह हैं। राहुल ‘फायरिंग’ कर रहे हैं। लोग पसंद कर रहे हैं। राहुल शीर्ष पर हैं। राहुल हर अवसर का अपने पक्ष में इस्तेमाल करते हैं। यह चीज काम करती है। आप बजट का ‘बैकलैश’ देखें, भाजपा क्या इसे नहीं देख पा रही? ‘पूंजीगत लाभ’ कर से ‘मध्यवर्ग’ नाराज है। एक एंकर कहिन कि भाजपा सोचती है कि जाति गणना विभाजनकारी है। जवाब में सत्ता प्रवक्ता कहिन कि ये लेखक पहले मोदीभक्त थे… आज ये कह रहे हैं… अपनी ‘प्रासंगिकता’ खोज रहे हैं। एक राहुल पक्षधर कहिन कि राहुल ‘नेरेटिव’ सेट कर रहे हैं। आज चक्रव्यूह की बात की! एक विश्लेषक कहिन कि सत्ता में रहना रक्षात्मक बनाता है। भाजपा को नई भाषा में बात करनी चाहिए, जो जोड़ सके। भाजपा की भाषा दस साल पुरानी है। उसे बदलना होगा।

फिर एक दिन दिल्ली के राजेंद्र नगर स्थित एक ‘कोचिंग सेटर’ के तलघर में पढ़ रहे विद्यार्थियों के बीच बारिश का पानी घुसने और देखते-देखते तीन विद्यार्थियों के उसमें डूबकर मरने की खबर ने हिलाकर रख दिया! चैनल भी बहुत दिन बाद अपनी रौ में आए। एक चैनल के एक रिपोर्टर ने जैसे ही अवैध बने तलघर के पुस्तकालयों के दमघोंटू वातावरण में पढ़ने वाले प्रत्याशियों का दिल दहलाने वाला एक दुर्लभ-सा रिपोर्ताज देने के साथ कोचिंग केंद्रों, बिचौलियों, नेताओं और प्रशासन की अंधी लूट-खसोट और मिलीभगत का पर्दाफाश किया, वैसे ही दलों और नेताओं के बीच तीखा ‘ब्लेम गेम’ शुरू हो गया। कोचिंग सेंटरों पर ताले पड़ गए। हर चैनल कहता कि अपने यहां लोगों की जान कितनी सस्ती है। कुछ दिन बाद सब पर लीपापोती हो जाएगी। हम फिर हादसे का इंतजार करेंगे, फिर रोते रहेंगे, फिर हादसे का इंतजार करेंगे, फिर रोते रहेंगे।

फिर एक दिन चैनलों पर केरल के वायनाड में बाढ़ और भूस्खलन के कारण एक गांव के अधिकांश निवासियों के मलबे में दबकर मरने वालों की खबर ने सबको हिला दिया। ‘आपदा प्रबंधन’ वालों और सेना के बचाव कार्य में उतरने की खबर ने जरूर कुछ भरोसा दिया, लेकिन इसके साथ ही ‘केंद्र बरक्स राज्य’ के बीच आरोप-प्रत्यारोप का खेल शुरू होता दिखा कि पहले चेतावनी दी कि न दी..! फिर नए ससंद भवन के गुंबद से बारिश का पानी टपकने की खबर। इस पर भी विपक्ष के कई नेता सरकार पर जम कर बरसे कि ‘बाहर लीक और अंदर भी लीक… क्या बात है! फिर आया राहुल का ‘एक्स’ पर बयान कि मुझे खबर मिली है कि ईडी छापा मार सकती है… उनको ‘चक्रव्यूह’ वाली बात पसंद नहीं आई… एक मंत्री तुरंत पूछे कि वह खबर देने वाले अफसर का नाम बताएं।

फिर आया ‘जातिगणना’ और ‘आरक्षण’ को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला कि सरकारी नौकरियों में किसकी कितनी संख्या है, इससे पिछड़ापन तय होगा। सरकार के पास जाति का आंकड़ा होना चाहिए… कि ‘आरक्षण’ के भीतर ‘आरक्षण’। एक गणना पक्षधर ने कहा कि इस फैसले से जातिगणना कराने की मांग को बल मिलेगा।