एक ओर दुनिया ‘हिलाने वाला’, दूसरी ओर ‘इंडिया’ को ‘हिलाने वाला’ यानी ‘जैसे को तैसा मिला, कर कर लंबे हाथ’…! ऐसा देख अपने कई अंग्रेजी एंकर, रिपोर्टर और भी ज्यादा हिलते दिखे। जरा सोचिए: एक ओर ‘विघ्नकर्ता’ (डिसरप्टर) दूसरी ओर ‘विघ्नहर्ता’ और दोनों के ‘जादू की झप्पी’ वाले दृश्य! एक ‘टेढ़ा वार्ताकार’ (टफ नेगोशिएटर) तो दूसरा भी ‘टेढ़ा वार्ताकार’! एक कहिन कि मैं चाहता हूं कि ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ यानी ‘मागा’, तो दूसरे भी कहिन कि हम चाहते हैं कि ‘मेक इंडिया ग्रेट अगेन…’ यानी ‘मीगा’। ‘मीगा’ और ‘मागा’ दोनों मिलकर हुए ‘मेगा’।

महामानव जी कहिन कि आप तो मुझसे भी बढ़कर ‘टेढ़े वार्ताकार’… मेरे से भी ज्यादा होशियार, लेकिन यह कोई प्रतियोगिता नहीं है… आप एक महान नेता… महाशक्ति के महामानव द्वारा की गई ऐसी तारीफ के बाद और क्या चाहिए प्रभो! बहुत से मुद्दों पर सहमति हुई… नए लड़ाकू विमान, परमाणु, ‘एआइ’ तकनीक आदि बहुत से क्षेत्रों में नए समझौतों की शुरुआत… अवैध घुसपैठियों की भारत स्वयं जांच करेगा और ऐसे अवैध प्रवासी भरतीयों को वापस लाएगा… महामानव ने भी अपनी दोस्ती दिखाने में कोई कसर न छोड़ी। जब मोदी ‘धन्यवाद पुस्तिका’ में लिखने बैठे तो वे उनको कुर्सी देते दिखे।

ऐसी ‘केअरिंग’ बहुत कुछ कहती दिखी… एक चैनल तो इस दृश्य पर इतना लट्टू दिखा कि बार बार दिखाता रहा। ‘शुल्क’ के मुद्दे पर भी महामानव कहिन कि जितना आप ‘टैरिफ’ लगाएंगे उतना ही हम लगाएंगे। न कम न ज्यादा। फिर ‘आप’ ने ‘महामानव जी’ को आमंत्रित किया कि ‘पधारो म्हारे देस’ तो ‘महामानव जी’ ने कहा कि ‘जरूर पधारेंगे थारे देस’!

एक चैनल पर एक ‘लेफ्टी जी’ ने विवेक रामास्वामी को लेकर कह दिया कि ‘वो दलाल है’ तो एंकर ने ही टोका कि आप भाषा का तो खयाल रखें, लेकिन वो ‘लेफ्टी जी’ कैसा जो ‘भारत अमेरिका मित्रता’ पर न बिदके, लेकिन शशि थरूर ने ‘पीएम-ट्रंप’ की बातचीत की मुक्तकंठ से प्रशंसा की।
फिर एक दिन, जैसे ही संसद में ‘जेपीसी’ द्वारा तैयार ‘वक्फ रपट’ पेश की गई वैसे ही ‘विपक्ष’ ने ‘बहिर्गमन’ कर दिया। जब उससे भी चैन न मिला तो विपक्ष के एक नेताजी कहिन कि यह रपट ‘फर्जी’ है। सत्ता पक्ष कहिन कि सारी रपट समिति ने बनाई है, तब ‘फर्जी’ कैसे? फिर आपत्ति आई कि विपक्ष की सारी बातें इसमें शामिल नहीं, तो बताया गया कि सब परिशिष्ट में है। एक चैनल चर्चक कहिन कि अभी तो ये ड्राफ्ट है, कानून तब बनेगा जब विधि मंत्रालय इसे कानून का जामा पहनाएगा। तब फिर बहस होगी, इसलिए अभी से काहे का रोना।…

विपक्ष का हर ‘बहिर्गमन’ सत्ता पक्ष के हित में जाता है। इधर विपक्ष गया, उधर सब ‘पास पास’ हुआ। इस तरह विपक्ष स्वयं ही ‘पास पास’ का अवसर देता है, फिर सत्ता पक्ष को कोसता है कि देखा! कैसे ये विधेयक, वो विधेयक, बिना बहस के पास।… अरे भाई, बहस से भागने की जगह बहस में रहो, तो आपके विचार भी रेकार्ड में आएं।… इसी क्रम में वित्तमंत्री ने ‘नया आयकर’ बिल पेश किया, उसके बाद लोकसभा अनिश्चित काल के लिए विसर्जित।…

इसी बीच एक चैनल एक सर्वेक्षण संस्था की एक ‘सर्वे रपट’ के आकलन के आधार पर बताता रहा कि अगर आज आम चुनाव हों तो ‘एनडीए’ सत्ता में फिर आ सकता है और विपक्ष और भी कमजोर हो सकता है।… फिर बताया कि मोदी की लोकप्रियता और भी बढ़ी है, जबकि विपक्ष की घटी है।…

फिर ‘मूड आफ नेशन’ में ‘बिहार का मूड’ आया। एक चर्चक ने नीतीश के ‘कभी इधर कभी उधर’ आने-जाने, फिर भी हर बार ‘सीएम’ बने रहने की ‘नीतीश नीति’ को नीतीश के खिलाफ एक ‘नैतिक तर्क’ की तरह रखना चाहा और भाजपा तथा नीतीश के गठबंधन में ‘दरारों’ को ‘दिखाने’ की कोशिश की, तो ‘नीतीश प्रवक्ता’ ने साफ कहा कि अब नीतीश एनडीए गठबंधन एकदम मजबूत है, यानी वे हिलने वाले नहीं हैं।
इसी बीच ट्रंप द्वारा ‘यूएसएड’ के खात्मे के आदेश पर अपने मीडिया का एक हिस्सा बेहद प्रसन्न दिखा। एक एंकर ने तो इसका दिल खोलकर स्वागत किया और बार-बार पूछा कि बताइए, भारत में किन-किन मीडिया संस्थानों और बड़े पत्रकारों को यह ‘एड’ मिलती थी? इस ‘एड’ का सीआइए से किस प्रकार का संबंध था?…

फिर एक दिन विपक्षी नेता कहिन कि ‘सिविल नाफरमानी’ करेंगे, तो तुरंत आरोप लगा कि ये ‘अर्बन नक्सल वाणी’ है, जो ‘इंडियन स्टेट’ से ही लड़ने को उद्यत है।… इसी बीच मणिुपर के सीएम ने इस्तीफा दिया और तुुरंत राष्ट्रपति शासन लागू हो गया और विपक्ष हाथ मलता रह गया।…