वे बड़ी काली गाड़ी से तेजी से उतरीं और लंबे डग भर कर एक घर का दरवाजा खोला और अंदर चली गईं। फिर सैफ उस गाड़ी से उतरे और घर के दरवाजे की ओर बढ़े। एक सहायक ने दरवाजा खोला और वे भी अंदर चले गए। संवाददाता कहते रहे कि देखो, पहले वे गर्इं, फिर वे गए। क्या दोनों एक साथ नहीं जा सकते थे! कहानी में शंका का छौंक लगता है और कहानी सेलिब्रिटी पति-पत्नी के बीच ‘अनबन’ की एक चटपटी कहानी में बदलने लगती है। रहस्य-रोमांच से भरपूर यह कहानी चैनलों में फिर से पलटी खाती है कि जिसे पकड़ा गया उसकी अंगुलियों के निशान नहीं मिलते। अगले दिन पुलिस अफसर बताता रहा कि ‘फिंगर प्रिंट’ ब्योरे का इंतजार है। मगर ‘एक चाकू के टुकड़े तीन हुए’ की गुत्थी न विशेषज्ञ सुलझा सके, न पुलिस सुलझा सकी।
बहरहाल, सबसे अधिक विचित्र कहानियां दिल्ली चुनाव बना रहा है, जिनमें इतनी भारी मात्रा में मुफ्त देने के वादे बरसते हैं कि समेटना भी मुश्किल लगता है। कभी लगता है कि दिल्ली का यह चुनाव एक पड़ोसी प्रदेश के ‘मुफ्तवादी’ विज्ञापनों से लड़ा जा रहा है। यह चुनाव ‘ईमानदारी से बेईमानी’ की कला में सिमट गया लगता है।
यों रोज की स्नानार्थी भीड़ को देख महाकुंभ का हर दिन हिलाता हुआ गुजरता है। कुंभ स्नान का पुण्य लूटती श्रद्धालुओं की उमड़ती भीड़ को देख एक ही वक्त गद्गद और शायद भय में डूबा जा सकता है कि इतनी भीड़ में कुछ भी हो सकता है… ईश्वर न करे कि ऐसा कुछ अशुभ हो..! इतने में ‘मौनी अमावस्या’ का महास्नान आता है, जिसे देख चैनल कहने लगते हैं कि इस अवसर पर कोई दस करोड़ लोग आ सकते हैं और उनको संभालने के इंतजाम भी पूरे हैं! लेकिन पांच करोड़ श्रद्धालु एक दिन पहले ही पहुंच गए और स्नान कर जाने की जगह रात में एक जगह ठहर जाते हैं, ताकि अमावस्या की प्रात: का स्नान और कर सकें। लेकिन इसी आधी रात को वह अनहोनी यानी ‘भगदड़’ हो जाती है।
दूसरे दिन कैमरे दिखाते हैं कि जाती भीड़ के बीच से कोई चालीस-पचास लोग बाएं बाजू की एक बाड़ तोड़कर वहां सोए लोगों को कुचलते हुए निकलने लगते हैं! नतीजतन, खासी संख्या में श्रद्धालुओं की जान चली जाती है और कई घायल होते हैं, जिनको पुलिस अस्पताल पहुंचाती है! लोग आरोप लगाते हैं कि इंतजाम ठीक नहीं थे..! सब शोक संदेश भेजते हैं, मगर कुछ लोगों को मानो कोई फर्क नहीं पड़ता। दुर्घटना के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बोलने आते हैं!
न्यायिक जांच के आदेश, सभी वीआइपी पास रद्द, चार पहिए के वाहन का आवागमन बंद, मृतकों को पच्चीस लाख मुआवजा..! चैनलों की बहसों में आलोचना के स्वर उठते रहे। चैनल बताते रहते हैं कि अमावस्या के दिन साढ़े सात करोड़ ने ‘आस्था की डुबकी’ लगाई है और अब तक कुल मिलाकर तीस करोड़ से अधिक श्रद्धालु ‘पवित्र स्नान’ कर चुके हैं… और चैनलों में फिर दी जाने लगी आने वाली ‘तीन तारीखें’, जिनमें श्रद्धालुओं की भीड़ फिर आ सकती है।
इस तरह एक बार फिर दिल थामकर बैठे और खबर चैनलों में लोग श्रद्धालुओं का ‘आना नहाना जाना’ देखते रहे। दुर्घटना के बावजूद उनके उत्साह में कोई कमी न देखकर कुछ लोग एक ही साथ ‘आह्लादित और चिंतित’ होते रहे। एक विदेशी बोला कि वह अब तक सत्तर बार स्नान कर चुका है।
यों महाराष्ट्र के एक मंत्री ‘बुरके’ पर सवाल उठाते रहे! उधर वक्फ बोर्ड को लेकर बैठी जेपीसी की रपट संसद में रखी जा सकती है… जैसी खबरें आती रहीं, लेकिन इसी बीच दिल्ली के एक पड़ोसी राज्य से ‘यमुना के पानी में जहर मिलाने’ और ‘दिल्ली की जनता को मार डालने के षड्यंत्र’ के आरोप सामने आए।
प्रतिपक्ष ने इसे निहायत ‘गैर जिम्मेदाराना आरोप’ बताते हुए दिल्ली की ‘जनता’ में डर फैलाकर चुनाव जीतने का तिकड़म बताया। चुनाव आयोग ने आरोपकर्ता से इस बाबत प्रमाण मांगे! पड़ोसी राज्य के मुख्यमंत्री ने यमुना के पानी में खड़े होकर आचमन करके बताया कि जहर नहीं मिला है। इसके बाद ‘जहर’ को ‘अमोनिया’ बताया जाने लगा… तो भी ये सवाल बने रहे कि किसने, कब, कहां, कितना अमोनिया मिलाया… प्रमाण दें!
शुक्रवार की सुबह संसद का बजट। सत्र प्रधानमंत्री के प्रेस के सम्मुख कुछ ‘कटाक्षों’ से आरंभ हुआ कि इस बार कोई बाहरी चिंगारी नहीं चमकी। अब जिगर थाम के बैठें कि बजट सत्र किस तरह चलता है!