एक शाम एक विपक्षी नेता के वचन: वहां नाच-गाना हो रहा था। जवाब में एक योगी-वचन: इनका तो परिवार ही नाचने-गाने वाला रहा है। इसे कहते हैं जैसे को तैसा मिला, कर कर लंबे हाथ! फिर तमिलनाडु से एक दिन एलान आया कि उदयनिधि उपमुख्यमंत्री बनाए जाएंगे और अगले दिन जो कहा, वह कर दिखाया। जलने वाले कहने लगे कि यह वंशवाद है, तो जवाब आया कि वंशवाद कहां नहीं है। फिर एक दिन विनेश फोगाट: हर चैनल पर वही वही सवाल और जवाब, फिर भी तय कि इस चुनाव ने एक नया ‘आइकन’ दिया!
इजरायल के हमले से नसरल्लाह की ‘शहादत’ पर बढ़ती बहस
उसके बाद आई इजराइल के हमले में हिजबुल्लाह के हीरो नसरल्लाह के मारे जाने और उसकी ‘शहादत’ का बदला लेने की ईरानी धमकियों की खबरें! इजराइल का गोला गिरा बेरूत में, लेकिन दो दलों के नेताओं के आंसू बरसे कश्मीर में और शोक प्रदर्शन लखनऊ में। पाक का समर्थक ‘दुनिया का यह सबसे कुख्यात आतंकवादी’ नसरल्लाह कुछ के लिए ‘किंग’ और कुछ के लिए आतंकवादी। फिर भी वह देर तक चर्चा में छाया रहा। कुछ कहे कि वह ‘शहीद’ था, कुछ कहे, यह इनका ‘पैन इस्लामिज्म है’।
इन दिनों कुछ एंकरों को ‘तीसरे विश्वयुद्ध’ की आहटें कुछ ज्यादा ही आने लगी हैं। इनको लगता है कि विश्वयुद्ध न हो, ‘गली क्रिकेट’ हो! इसके बाद आई एक प्रवक्ता और एक एंकर के बीच एकदम ‘तू तू मैं मैं’! चर्चा में जैसे ही एक एंकर ने कहा कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव और एक नेता’, वैसे ही पक्ष प्रवक्ता ने धर पटका कि आप इस तरह से हमारे नेता का अपमान नहीं कर सकते।
दोनों शेर ‘रदीफ काफिया’ वाले शेरों के आगे चुप हुए
फिर देर तक होता रहा कि ‘तुम असभ्य’ कि ‘तुम असभ्य’! प्रवक्ता कहे कि आप प्रधानमंत्री पर निजी टिप्पणी करेंगे तो प्रवक्ता होने के नाते मैं स्वीकार नहीं करूंगा। ‘तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई’, विपक्षी कहिन कि मैंने नाम कब लिया, तो जवाब आया कि ‘वन लीडर’, क्या ये प्रधानमंत्री के लिए नहीं था? दूसरा एंकर येन केन ‘शांति जाप’ जैसा करता रहा, लेकिन सुने कौन? बहरहाल, अंत में प्रवक्ता जी ‘शेरो शायरी’ पर उतर आए। फिर उधर से भी ‘शेर’ आए और इस तरह दोनों शेर ‘रदीफ काफिया’ वाले शेरों के आगे चुप हुए।
फिर एक दिन मालूम हुआ कि इन दिनों अपनी राजनीति में ‘सामान्य शिष्टाचार’ की भी जगह नहीं बची। जब एक बड़े विपक्षी दल के अध्यक्ष जी की तबीयत अचानक बिगड़ने की खबर आई तो प्रधानमंत्री ने सामान्य शिष्टाचारवश उनका हाल-चाल पूछ लिया, तो तुरंत करारा जवाब मिला कि मैं तब तक नहीं मरूंगा, जब तक मोदी सत्ता से बाहर नहीं हो जाते। काश, इस ‘तू तू मैं मैं’ के बीच कोई कहता कि ‘रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ’ तो ये तुर्शी शायद कुछ कम होती।
इन दिनों अक्सर पक्ष-विपक्ष के नेताओं के मुंह में दही जमता रहता है। अरे भाई, यह मुहावरा हुआ पुराना, अब लाओ कोई नया मुहावरा। लेकिन ये कैसे दिन आ गए हैं कि जो कल तक ‘अंखियों से गोली मारे’ गाते थे, एक सुबह गाने लगे कि ‘पिस्तौल गोली मारे पैर में दनाक रे…’, लेकिन मैं ठीक हूं सर… और पुलिस तहकीकात में बिजी कि गोली कैसे चली! और ये मुई पिस्तौल भी उस सुबह चली, जिसके एक दिन पहले अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती को ‘दादा साहब फालके’ घोषित हुआ और क्या गजब कि किसी चैनल के पास मिथुन के ‘आयम ए डिस्को डांसर’ का कोई कामचलाऊ वीडियो तक न दिखा।
एक दक्षिणात्य राज्य के एक बड़े नेता ने सिद्ध किया कि पहले कुछ ले लो। जब फंसने लगो तो लौटा दो और संन्यासी भाव से गाने लगो कि ‘ज्यों की त्यों धर दीनी चदरिया..!’ कई एंकर अक्सर पूछते रहते हैं कि हर चुनावी मौसम के आसपास बाबा राम रहीम को ‘पैरोल’ कैसे मिल जाता है? अरे भाई! बाबा जी की ‘भूमिका’ को देखकर ‘पैरोल’ दिया जाता है। इसलिए पहले उनकी ‘भूमिका’ देखो, फिर ‘भूमिका’ के आगे लिखे ‘पै’ शब्द पर ध्यान दो। सब समझ में आ जाएगा!
फिर एक दिन यह खबर भी चैनलों में छाई रही कि ईरान ने इजराइल पर एक सौ अस्सी मिसाइलें दागीं, जिनमें से अधिकांश को इजराइल के ‘आयरन डोम’ (लौह कवच) ने बेकार कर दिया। कुछ गिरीं, लेकिन बहुत नुकसान न कर सकीं। इसके बाद इजराइल की धमकी चैनलों में टंगी रही कि हम इसका बदला लेंगे, कब और कहां, यह हम तय करेंगे। अमेरिका एक बार फिर इजराइल के पक्ष में आया। कई यूरोपीय देश भी इजराइल के साथ दिखे और इस तरह तीसरे विश्व युद्ध की चर्चा चैनलों में गरम होती दिखी।
फिर खबर आई तमिलनाडु स्थित सद्गुरु के ईशा फाउंडेशन पर पुलिस छापे की और फिर सुप्रीम कोर्ट का उस पर ‘स्थगन’, चर्चा में यह स्पष्ट हुआ कि इसके पीछे भी बाबा के सनातनत्व के विरोधियों का हाथ रहा। और अंत में कांग्रेस के एक बड़े कार्यकर्ता के ठिकाने से छह हजार करोड़ रुपए के प्रतिबंधित खतरनाक मादक पदार्थ पकड़े जाने की खबर, भाजपा का हमला और जवाबदेह पक्ष की बला टालने की कोशिशें।