पिछले सप्ताह बुधवार की सुबह जब पता लगा ‘आपरेशन सिंदूर’ के बारे में, तो एक अजीब-सा चैन महसूस हुआ मुझे। मुंबई में रहती हूं सो रोज उन जगहों से गुजरना होता है जहां अजमल कसाब और उसके नौ जिहादी साथियों ने बेगुनाह, निहत्थे लोगों का शिकार किया था और जब भी गुजरती हूं उन जगहों से तो गुस्सा आता है कि हमारी सरकार ने उस समय कुछ नहीं किया था। हां सबूतों से भरी फाइलें जरूर भेजी थीं पाकिस्तान सरकार को, लेकिन इसके अलावा कुछ नहीं किया। सो, मेरी नजर में जो किया है अब पहलगाम के बाद तो अच्छा किया है। बहुत अच्छा किया है। एक कायर हमले के बदले हमने वीरता दिखाई है।
जिहादी आतंकवाद पर अगर वे रोक नहीं लगाएंगे तो भारत चुप नहीं बैठेगा
मेरा मानना है कि कुछ ऐसा हमने 26/11 के बाद किया होता, तो शायद पाकिस्तान की सेना अपनी जिहादी संस्थाओं को अभी तक समाप्त कर चुकी होती। क्या ऐसा अब करेंगे पाकिस्तान के फौजी शासक? कहना मुश्किल है लेकिन इतना जरूर कह सकते हैं हम कि उनको इतना तो पता लग गया होगा कि जिहादी आतंकवाद पर अगर वे रोक नहीं लगाएंगे तो भारत चुप नहीं बैठेगा।
पश्चिमी मीडिया में अभी तक ऐसी निरर्थक बातें चल रही हैं कि भारत ने कोई सबूत नहीं पेश किया है कि पहलगाम में जिन दरिंदों ने औरतों का सिंदूर मिटाया था, वे वास्तव में पाकिस्तानी थे। जवाब यह होना चाहिए कि जो सोच उन दरिंदों की थी, वह पाकिस्तानी थी और अगर यह जिहादी सोच हमारे देश में फैली है, तो सिर्फ इसलिए कि यह सोच कट्टरपंथी है और पाकिस्तान पैदा हुआ था कट्टरपंथ की वजह से।
यह बात वहां के सेनाध्यक्ष ने खुद ही पहलगाम हमले से कुछ दिन पहले कहा था कि पाकिस्तान बना था इसलिए कि मुसलमान नहीं रह सकते हैं हिंदुओं के बीच! इस भाषण में जनरल आसिम मुनीर ने यह भी कहा था कि कश्मीर पाकिस्तान के लिए वह ‘जुगुलर’ नस है, जिसके बिना वह जीवित नहीं रह सकता है।
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यह ‘जरनैल साहब’ पहले पाकिस्तानी सेनाध्यक्ष हैं जो गर्व से अपने आपको ‘हाफिज-ए-कुरान’ कहते हैं और दुनिया उनको ‘जिहादी जरनैल’ कहती है। पाकिस्तान की सेना में ‘जिहादी जरनैलों’ की भर्ती शुरू हुई थी जिया-उल-हक के शासनकाल में। इन ‘जिहादी जरनैलों’ में एक खास चीज जो सब में दिखती है और वह है भारत के लिए इतनी नफरत कि उनकी हमेशा कोशिश रहती है हमारे देश को नुकसान पहुंचाने की ‘हजारों जख्म’ देकर।
अफसोस की बात है कि पश्चिमी राजनेता और पत्रकारों को अभी तक मालूम नहीं है कि झगड़ा अब कश्मीर को लेकर नहीं है। झगड़ा कई दशकों से है इस बात को लेकर कि धर्म के नाम पर बनाया गया मुल्क पीछे रह गया है और भारत आगे निकल गया है आर्थिक तौर पर इतना ज्यादा कि पाकिस्तान अब स्पर्धा में रहा ही नहीं है। मुंबई पर जो हमला हुआ था, उसका मुख्य मकसद था भारत को आर्थिक नुकसान पहुंचाने और दुनिया में बदनाम करने का उन जगहों पर हमला करके जहां विदेशी पर्यटक जाते हैं।
ताज होटल में जो विदेशी ठहरे थे 26/11 वाले हादसे के दिन और जो जिंदा बच गए, उन सबका कहना है कि पश्चिमी और यहूदी पर्यटकों का चुन-चुन के शिकार कर रहे थे लश्कर-ए-तैयबा के प्यादे। पाकिस्तान में बहुत कम विदेशी पर्यटक जाते हैं। ऐसे कई हैं जो एक बार जाते हैं और दोबारा नहीं जाने की तौबा करते हैं। पाकिस्तान अब दुनिया का जिहादी केंद्र बन गया है, तो कौन जाएगा वहां? रही बात पाकिस्तान के सैनिक शासकों की तो उनको भारत की सफलता बिल्कुल बर्दाश्त नहीं है।
यकीन करना मुश्किल है, लेकिन एक ऐसा भी दौर था जब पाकिस्तान हमसे काफी आगे निकल गया था विकास की यात्रा में। याद है मुझे कि जब मैंने 1990 में कराची का हवाईअड्डा देखा था, तो हैरान रह गई थी। इतना आधुनिक था कि जैसे किसी विकसित पश्चिमी देश का हवाईअड्डा हो। उस समय भारत के हवाईअड्डे इतने रद्दी थे कि विदेश से लोग जब आते थे, तो वे उनको देखकर तय कर लेते थे कि भारत एक अति-पिछड़ा देश है।
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भारत था पिछड़ा उन समाजवादी आर्थिक नीतियों के कारण जो हमने कई सालों तक अपनाई थीं और जिनके कारण हम न विकसित होने का सपना देख सकते थे और न समृद्धि का। उस दौर में पाकिस्तान के जरनैलों ने अमेरिका के खेमे में होने के नाते उस देश की आर्थिक नीतियों की नकल की थी। मैं जब पहली बार पाकिस्तान गई थी 1980 में तो वहां की आधुनिक सड़कें देख कर हैरान रह गई थी। लाहौर से इस्लामाबाद तक हाईवे था ऐसा जो भारत के किसी राज्य में नहीं था उस समय।
अब हिसाब उल्टा हो गया है। पाकिस्तान रह गया भारत से बहुत पीछे और कारण है कि जब हम आधुनिक सड़कें, हवाईअड्डे और शहर बनाने में लगे हुए थे, तब पाकिस्तान बन रहा था जिहादी इस्लाम का मुख्य केंद्र। इसकी वजह से पैदा हुए थे हाफिज सईद और मौलाना मसूद अजहर जैसे दरिंदे जिनके मुख्यालय हमने मुरीदके और बहावलपुर में नष्ट किए पिछले सप्ताह। ये दोनों दरिंदे शायद अभी तक जिंदा हैं, लेकिन उनके मुख्यालय और उनके आतंकवादी अड्डे तबाह हो गए हैं।
ऐसा भी नहीं है कि जिहादी आतंकवाद अब समाप्त हो गया है। उसको जीवित पहले भी रखा था पाकिस्तानी सेना ने और भविष्य में उसको रखने का काम फिर से आसिम मुनीर जैसे ‘जरनैल’ करते रहेंगे। लेकिन अब उनको संदेश दिया है ‘आपरेशन सिंदूर’ ने कि भारत चुपचाप नहीं सहता रहेगा उनकी आतंकवादी हरकतें। उम्मीद है कि पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष को भी पता लग गया होगा कि जिहादी आतंकवाद को अब भारत बर्दाश्त नहीं करने वाला है। न कल, न परसों, न भविष्य में।