हर चैनल पर वृंदगान : उद्धार करो पीके तुम्हरी शरण पड़े… पीके आया पीके आया! जादू लाया जादू लाया! इधर पीके का ज्ञान उधर कांग्रेस के हुए खड़े कान और वृंदगान होने लगा : पीके जा जा जा! पीके जा जा जा!

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एक दिन चैनलों में फिर से हुआ : जहांगीरपुरी बरक्स अलवर! एक कहिन कि जहांगीरपुरी की तोड़फोड़ सांप्रदायिक, अलवर वाली सेक्युलर, कि तीन सौ साल पुराना शिव मंदिर तोड़ना भी सेक्युलर! एक एंकर का कटाक्ष : जहांगीरपुरी ‘पोलिटिकल टूर’ जरूरी, अलवर ‘टूर’ गैरजरूरी!

अथ स्वतंत्र सांसद नवनीत राणा का चालीसा पाठ कांड : इधर नवनीत की चेतावनी कि पाठ करेंगे तो मातोश्री के सामने और उधर शिवसैनिकों ने घर घेरा। पुलिस का समझौवल-बुझौवल कि जिद न करो मैडम! वो कहिन कि पीएम के दौरे के कारण पाठ रद्द! इधर-रद्द, उधर नवनीत पर देशद्रोह का मुकदमा, क्योंकि कानून-व्यवस्था बिगड़ सकती थी…

शुरूआती वीर रस की कहानी शाम होते-होते करुण रस में बदल गई! शिवसैनिकों के कटाक्ष बरसते रहे। बहसें जमीं रहीं। शिवसैनिक कहिन कि पाठ मातोश्री पर ही क्यों? फिर आई धमकी कि मातोश्री की ओर कोई आंख उठा कर भी देखेगा तो… पुलिस के साथ जाते-जाते नवनीत ने शहीदी अंदाज में ऊपर उठा कर दोनों हाथ जोड़े। अदालत ने उनको पंद्रह दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा!

फडणवीस ने नवनीत का पक्ष लिया और कहा कि यह बदले की भावना से किया जा रहा है! खबरें बताती रहीं कि भाजपा के सोमैया ने नवनीत की तरफदारी की, तो उन पर हमला किया गया! शिवसेना प्रवक्ता बोला : ये बंटी बबली तो मोहरे हैं…

इसी बीच एनसीपी की एक मुसलिम कार्यकत्री फहमीदा हसन ने बड़ी खबर बनाई। उन्होंने गृहमंत्री को चिट्ठी लिख कर पूछा कि वे भी पीएम आवास के आगे चालीसा और कुरान का पाठ करेंगी… इसके बाद सारी बहसें ‘चेकमेट’ हो गईं! इस सबके बावजूद सभी चैनलों में जीता हनुमान चालीसा ही! बहसों में प्रवक्ता दूसरे से पूछता : सुनाइए तो ‘हनुमान चालीसा’! और कई भक्तों को वह याद भी नहीं था!