विज्ञापन गाता है : ‘आ गई रे छा गई रे योगी की सरकार’! बनावटी मुस्कान मारते विज्ञापन के स्वर्ग ‘यूपी’ के लखीमपुर खीरी में एक बड़े बाप के बेटे की एक गाड़ी चार किसानों को कुचल कर मार देती है, फिर भीड़ अन्य चार को तत्काल लाठियों से मार मार कर ‘लिंच’ कर देती है! लिंचर ‘भिंडरांवाले’ की टी शर्ट पहने दिखते हैं!

इस दर्दनाक हत्याकांड के वीडियो दिखाते हुए दो राष्ट्रवादी एंकरों के सुर तक बदल जाते हैं! वे यूपी और केंद्र सरकार दोनों की खबर लेने लगते हैं : केंद्र के गृह राज्यमंत्री के बेटे के खिलाफ नामजद एफआइआर है, फिर भी उसे गिरफ्तार नहीं किया जा रहा है, क्यों? और कि मंत्री के पदासीन रहते क्या सही जांच संभव है?

या बेशर्मी तेरा ही आसरा!
सरकार कहानी को मैनेज करती है : तुरंत पोस्टमार्टम (एक का डबल पोस्टमार्टम) और अन्त्येष्टि कराती है! टिकैत आदि किसान नेताओं की पंचई में प्रति मृतक को पैंतालीस लाख रुपए और एक परिजन को नौकरी का मुआवजा घोषित कर गुस्से पर पानी डालती है!

‘त्रासदी में अवसर’ देख कांग्रेस की नेत्री प्रियंका गांधी की जैसे ही हमदर्दी उमड़ती है कि योगी सरकार उनको हिरासत में ले लेती है, जहां एक दिन वे ‘झाडू लीला’ करती दिखती हैं! दर्शकों को त्रासदी में भी कामेडी का मजा मिलता है, लेकिन कांग्रेसी कार्यकताओं में इस ‘झाडू लीला’ को देख जान पड़ जाती है! तीसरे दिन राहुल पंजाब के सीएम समेत लखनऊ उतरते हैं, जहां छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल धरने पर हैं। मीडिया की मार से दबाव में आई सरकार शाम तक हर दल के पांच जनों को लखीमपुर दर्शन की इजाजत दे देती है!

पहले तो दो मुख्यमंत्रियों और प्रियंका के साथ राहुल ‘हमदर्दी टूर’ करते हैं, फिर अखिलेश और बसपा के सतीश मिश्रा ‘हमदर्दी टूर’ करते हैं! सब न्याय की मांग करते नजर आते हैं, सरकार भी न्याय की गारंटी देती रहती है!

इस सबके बीच प्रधानमंत्री जी अपने पूर्वनिश्तित कार्यक्रम के तहत दो दिन गरीबों को मकान दान करते हैं, लेकिन लखीमपुर के बारे में एक वाक्य बोलते नजर नहीं आते! विपक्ष को इस चुप्पी पर गुस्सा आता है!

सारी कहानी वीडियो बनाते हैं : पहले तीन, फिर छह और फिर दस वीडियो आते हैं। स्मार्टफोनी युग में भीड़ का हर बंदा पत्रकार है, इस तरह अनगिनत वीडियो संभव हैं, जो शायद जांच में सामने आएं!

पहली बार एक वीडियो ‘थार एसयूवी’ के ‘सच’ को दिखाता है! ‘आप’ के सांसद संजय सिंह द्वारा शाया किया गया यह वीडियो साफ दिखाता है कि एक तेज रफ्तार काली ‘थार’ एक वृद्ध को पीछे से टक्कर मारती है, फिर ‘पकड़ो… रोको… पलट दो…’ का शोर उठता है।

गाड़ी रुकती है, एक आदमी गाड़ी से उतर कर भागता है। गाड़ी पलटा दी जाती है। जला दी जाती है! फिर खेतों में चार लोगों की सरेआम ‘लिंचिग’ के वीडियो दिल दहलाते हैं!

पांच दिन बाद भी हत्या के मामले में नामजद मंत्री पुत्र पकड़ा नहीं जाता! जब सुप्रीम कोर्ट से यूपी सरकार कहती है कि समन भेजा है, आज वह नहीं आया, अब उसे कल हाजिर होने को कहा है। अगर कल न आए तो कार्रवाई की जाएगी!

सरकार की इस ढिलाई पर सुपीम कोर्ट कस कर फटकार लगाता है! फिर भी मंत्री कहते रहते हैं कि कानून अपना काम करेगा? यह कैसा काम हुआ सर जी!

हर बहस में कांग्रेस हावी रहती है। भाजपा प्रवक्ताओं का हर प्रत्याक्रमण भोथरा नजर आता है! दो विपक्षी नेता लखीमपुर कांड को दूसरा ‘जलियांवाला बाग’ बताते हैं! एक विपक्ष शासित राज्य एक दिन के बंद का ऐलान करता है, दूसरे से कई सौ गाड़ियां लखीमपुर के लिए कूच करती हैं और सहारनपुर में रोक दी जाती हैं! लाइव दृश्यों में तनाव जरूर दिखता है, लेकिन कुछ खास नहीं होता!

इसी बीच कश्मीर में कुछ ‘इस्लामी जिहादी’ तीन-चार दिन में पांच हिंदुओं को ‘चुन कर’ उड़ा देते हैं। इनमें एक केमिस्ट, एक टैक्सी स्टैंडवाला, एक गोलगप्पे वाला और दो अध्यापक होते हैं! स्वतंत्रता दिवस पर अध्यापकों का तिरंगा लहराना जिहादियों की नजर में ‘अपराध’ बना!

एक एंकर ने इसे ‘अल्पसंख्यकों की सफाई’ बताया! एक ने इसे ‘जिहाद’ बताया! एक कश्मीरी नेता ने एक चैनल पर इसे ‘सन नब्बे की वापसी’ कहा, लेकिन जिहादियों के खिलाफ एक शब्द न कहा!

बहरहाल, सप्ताह की सबसे चर्चित खबरें ‘बड़े बाप के बेटों’ ने ही बनाईं! एक के बेटे की एसयूवी ने किसानों को रौंदा, दूसरे बेटे (जो एक फिल्मी सुपर स्टार का बेटा रहा) को क्रूज पर नशे का सुट्टा मारते पकड़ा गया! लेकिन अफसोस कि ग्लैमर के मारे हमारे रिपोर्टर नशे के आरोपित इस लड़के को किसी ‘सुपर स्टार’ की तरह दिखाते रहे!