एक चैनल यूपी की जनता का दैनिक राजनीतिक मूड बताता जा रहा था और अगली सुबह उसका ‘रिपीट शो’ दे रहा था, जो कहता था कि भाजपा अब भी आगे, बाकी पीछे! यह जनमत ‘ट्रैकर’ था, जो मूड बताने से अधिक मूड बनाता लगता था! इसी बीच नगालैंड में सैन्य बलों द्वारा ‘गलतफहमी’ में कुछ मजदूरों के मार दिए जाने की खबर ‘अफस्पा’ के हटाने की मांग की ओर मुड़ती नजर आई! सोमवार को गृहमंत्री ने संसद में बयान और जांच के आदेश देकर मामले को कुछ शांत किया था!

एक रोज डब्ल्यूएचओ के मुखिया ओमीक्रान के बढ़ते खतरे से दुनिया को सावधान करते दिखे और बूस्टर शाट लगे कि न लगे- कई विशेषज्ञ इस पर उलझते दिखे। इस बीच पुतिन ने भारत आकर भारत को ‘बड़ी शक्ति’ बता कर देशभक्त एंकरों के डोले चैड़ा दिए, जिनमें एक तो चीन से बीच बहस में ही दो-दो हाथ करने को मचलता दिखा!

बुधवार से पहले तक सब नेता अपनी ‘फार्म’ में थे। सपा के एक मुसलिम नेता बाबरी को हजार बरसों तक याद करने की बात कह कर कई बहसों में ‘मुसलिम कार्ड बरक्स हिंदू कार्ड’ खेलवा चुके थे! एक शाम कुछ चैनलों ने एसडीपीआई के कार्यकर्ताओं के उस नारे को दिखाया, जिसमें वे आवाहन करते दिखते थे कि ‘पेस्ट: आइ ऐम बाबरी’! इस पर भी देर तक कई चैनलों में देशद्रोह बरक्स देशभक्ति की कुश्ती होती रही!

फिर एक दिन लाल टोपी बरक्स काली टोपी बरक्स सफेद टोपी की टक्कर होती रही और अखिलेश के यह कहने पर कि हनुमान का रंग भी लाल है- टोपियों की कुश्ती बराबरी पर छूटी! किसान आंदोलन का अवसान समीप था! खबर थी कि सरकार ने किसानों की मांगें मानते हुए एक पत्र लिखा है! किसान मीटिंग करने वाले हैं, इसलिए हर चैनल ‘जंपिग द गन’ की हरकत कर रहा था कि किसान आंदोलन अब खत्म हुआ, लेकिन वे जितना ऐसा कहते, उतने ही किसान जिद पकड़ते दिखते!

यह बुधवार की सुबह थी! एक ओर प्रियंका गांधी लखनऊ में अपना ‘स्त्रीवादी घोषणापत्र’ जारी कर रही थीं, दूसरी ओर लगभग उसी समय योगी मथुरा के लिए बहुत सारी योजनाओं की घोषणा करने वाले थे, कि इन तमाम चीख-चिल्ली मचाती खबरों पर बिजली-सी गिरी! खबरों का मिजाज बदल गया! चैनलों में आ-आकर नित्य फ्री स्टाइल कुश्ती लड़ते नेता अचानक शिष्ट और सभ्य हो गए! कैसे दिन आ गए हैं कि शिष्ट और सभ्य होने के लिए भी किसी दुर्घटना और शोक की खबर जरूरी होने लगी है!

बुधवार की दोपहर यही हुआ! इधर जैसे दक्षिण के ‘कुन्नूर’ इलाके में भारत के सेनाधिपति (सीडीएस) बिपिन रावत और उनकी पत्नी समेत चौदह सेनाधिकारियों को ले जा रहे एक बेहद सुरक्षित हेलिकाप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने की खबर चैनलों में टूटी, वैसे ही एक से एक जिद्दी धरना-प्रदर्शन करने वाले अचानक शिष्ट और सभ्य हो गए और कुछ देर के लिए अच्छे बच्चे बन गए! धरनाधिकारी कहने लगे कि शोक की इस घड़ी में धरना खत्म!

एंकरों के चेहरे गंभीर होते दिखे। राष्ट्रीय शोक की खबर में एंकर पूछने लगे कि इतना समर्थ और सबसे सुरक्षित सैन्य हेलिकाप्टर अचानक दुर्घटनाग्रस्त कैसे हो गया? कैसे आग की लपटों में समा गया और भारत के तेरह बड़े सेनाधिकारी मारे गए! फिर खबरें बताने लगीं कि शवों का पता लगाने को इलाका छाना जा रहा है! बिपिन रावत को अस्पताल ले जाया गया है, इसके साथ बुरी तरह से घायल एक सेनाधिकारी के जीवित होने की खबर भी आती रही!

एंकर बार-बार अपने आप को सावधान करते कि जब तक जांच नहीं हो जाती, कुछ नहीं कहा जा सकता कि दुर्घटना कैसे हुई और इस मामले में किसी को कयास नहीं लगाने चाहिए, क्योंकि यह देश की सुरक्षा से जुड़ा मामला है! फिर संदेश, बहुत से शोक संदेश सामने आते रहे! पाक के एक बड़े सेनाधिकारी ने भी शोक जताया। साथ ही श्रीलंका, नेपाल और भूटान के सेनापतियों ने अंतिम संस्कार की घड़ी में शामिल होने को कहा! वृहस्पति की शाम को पीएम तथा अन्य गणमान्यों ने बिपिन रावत तथा अन्य वीरों को श्रद्धांजलि अर्पित की! सब लाइव लाइव रहा!

चैनलों पर आ-आकर बहुत से पूर्व सेनाधिकारी बताते रहे कि सीडीएस बिपिन रावत कैसे थे? वे दो टूक बोलने वाले और हमेशा युद्ध के मोर्चे पर मौजूद रहने वाले वीर योद्धा थे और वे सेना का आधुनिकीकरण कर रहे थे।… शुक्रवार को सुबह से अपराह्न तक दिल्ली कैंट से इन वीरों के अंतिम संस्कार का सीधा प्रसारण आता रहा! शोक ने सबको कुछ दिन के लिए शिष्ट कर दिया, यही क्या कम है?