ओम संसद संसद संसद! ओम बारह सांसद निलंबित! हंगामा पिछले सत्र में और सजा इस सत्र में! हाय हाय हाय हाय! यह लोकतंत्र की हत्या है! ओम जनतंत्र अब गया कि तब गया, कि बच गया कि बच गया, कि सजा सजा, कि मजा मजा।
ओम चैनल चैनल चर्चा कुचर्चा। बहस रहस कि किसने पहले हत्या की लोकतंत्र की, कि लोकतंत्र ने बताया कि मेरी तो भैया सबने ही हत्या की है, लेकिन मैं ठहरा कठजीव, इसलिए मर कर भी नहीं मरा! एक कहिन, वीर सांसदो! ‘चेयर’ से माफी मांग लो और पहले की तरह अंदर आकर लोकतंत्र करो। माफी मांगे मेरी जूती… हम जनता की आवाज हैं! न बोलने देते हो, न सवाल उठाने देते हो! तानाशाही! हाय हाय हाय हाय! गांधीजी का बुत सुनता है- हाय हाय हाय हाय।
फिर शुरू हुआ हल्ला कोरोना के नए वारिस ‘ओमीक्रान वेरिएंट’ का, और होने लगा ओम ओमीक्रान ओमीक्रान ओमीक्रान, शांति: शांति: शांति:! देखना, आने न पाए ओमीक्रान! देखना, जाने न पाए ओमीक्रान! और फिर वही डाक्टर, वही विशेषज्ञ कि सावधानी हटी और दुर्घटना घटी! ओमीक्रान ने बढ़ाई बूस्टर की मांग! सब कहने लगे : बूस्टर बूस्टर और देने लगे आश्वासन कि एक अरब पच्चीस करोड़ को टीका लग चुका! हम बेहतर हैं! ओमीक्रान से निपटने के लिए सब राज्य सावधान सावधान सावधान…
ओम तीनों कृषि कानून वापस! लेकिन हाय री शिकायत कि न बहस, न बातचीत यह कैसी वापसी? कोई कान में कहिन कि जिस रफ्तार से बनाए, उसी रफ्तार से वापस लिए! न तब बहस की जरूरत रही, न अब रही! इससे बढ़िया जनतंत्र क्या होगा?
ओम विपक्ष विपक्ष विपक्ष! ओम किसान किसान। किसान सोचें : ईब के? ओम किसान दो फाड़! एक नेता ‘हम छोड़ चले हैं बार्डर को, याद आए कभी तो मत रोना’। दूजा नेता : ‘अभी न जाओ छोड़ कर अभी ये दिल भरा नहीं!’ हाय री ‘कुलक-क्रांति’! तू एक बार फिर होते होते रह गई!
किसान कहें कि ‘सात सौ’ और एक ही दिन में साढ़े सात सौ किसान शहीद! जवाब में एक चैनल पर एक लाइन चिढ़ाने लगी कि बार्डरों पर कोई नहीं मरा, सरकार के पास आंकड़े नहीं! एक रिपोर्टर करती है एक किसान नेता से किसानों के दो फाड़ पर सवाल, तो नेताजी उसे डांट देते हैं! यह है किसानों का जनतंत्र!
दूसरे चैनल पर एक किसान नेता सरकारी प्रवक्ता की प्रतिक्रिया को विधवा विलाप कह उठते हैं और फिर इस स्त्री-विरोधी टिप्पणी के लिए एंकर से फटकार खाते हुए फ्रेम से निकल जाते हैं! यह कैसा सबाल्टर्न जनतंत्र है प्यारे लाल? फिर एक दिन चैनलों में ‘क्रिप्टो करेंसी’ ने चैनलों में दस्तक दी! ज्ञानी कहिन कि ‘क्रिप्टो करेंसी’ (छद्म करेंसी) बड़ी छलिया! पल में मालामाल! पल में कंगाल! शुद्ध हवा हवाई सट्टा, लेकिन बेचारी प्रतिबंधित करने लायक नहीं! यानी पहले लोगों को लुटने दो, जब जनता लुट-पुट जाए, तो प्रतिबंध की सोचना!
फिर एक दिन यूपी के एक मंत्री ट्वीट कर दिए कि अयोध्या, काशी भव्य मंदिर निर्माण जारी है, अब मथुरा की तैयारी है! जय श्री राम! जय शिवशंभू जय श्री राधे कृष्ण… राधे! राधे!! इसके बाद वही हुआ जो होना था, यानी ओम मंदिर मंदिर मंदिर! ओम मथुरा मथुरा मथुरा! ओम यूपी यूपी यूपी!
ओम चुनाव चुनाव चुनाव! ओम यूपी को जो जीता, वह इंडिया जीता और दो हजार चौबीस जीता! सो, भज प्यारे दो हजार चौबीस दो हजार चौबीस, दो हजार चौबीस! अखिलेश बोलते भए कि मंदिर मंदिर करना हार मानना है! बाबा जी हार गए, लेकिन बाबाजी की कैच लाइन जारी रही : यूपी सरकार काम दमदार!
फिर एक रोज ममता दीदी ने मुंबई जाकर कांग्रेस के संग सीधे ‘खैला हौबे’ कर दिया कि यूपीए है कहां? वह तो आधे टाइम विदेशी टूर पर ही रहता है… राजनीति कुलवक्ती काम होता है! इस पर भाजपा प्रवक्ता चहकने लगे कि कांग्रेस की हालत अब ये हो गई है कि जो चाहता है, दो लात लगा कर चल देता है!
दो एंकरों ने दीदी की लक्षणार्थों को खोलने की कोशिश की! एक बोला कि दीदी भाजपा का विकल्प बनाना चाहती हैं! उनने दो हजार चौबीस के लिए अभी से नेतृत्व ले लिया है! दूजा बोला कि दीदी अखिल भारतीय नेता बनना चाहती हैं! इस पर भाजपा प्रवक्ता इतने खुश कि बंगाल की ताजा पिटाई को भी भूल गए!