वे बड़ी लकीर खींचते हैं तो ये लकीर छोटी करते हैं। वे आतंकियों को ललकारते हैं, ये ‘ललकार’ को ही ‘ड्रामा’ बताते हैं और अपनी ‘तुकबंदी’ पर ‘आत्ममुग्ध’ हुए जाते हैं। ‘नरेंद्र’ को पहले ‘नरेंदर’ बनाते हैं, फिर ‘नरेंदर’ की तुक में ‘सरेंडर’ लगाते हैं। जवाब में अन्यथा एक शांत भाव के भाजपा प्रवक्ता कुछ क्षुब्ध होकर कांग्रेस के अब तक के इतिहास को ही सर्वाधिक ‘सरेंडरों’ का आंकड़ा बताते हैं।
इस सप्ताह भी सारी बहसें संघर्ष विराम पर अटकी रहीं कि जब हमारी सेना पाकिस्तान के सैनिक अड्डे तबाह कर रही थी, तभी बीच में क्यों कर दिया ‘संघर्ष विराम’? डोनाल्ड ट्रंप ने क्यों कहा कि ‘करा दिया संघर्ष विराम!’ पाक अधिकृत कश्मीर को तो ले आते..! भारत की विदेश नीति एकदम ‘फेल’। कोई देश हमारे साथ नहीं आया, जबकि पाकिस्तान के साथ कई देश आए… ये डरपोक हैं..! ऐसी बातें सुन कर लगता है कि सारे सूरमा विपक्ष में हैं! लेकिन विदेश जाने वाले प्रतिनिधमंडलों के सांसदों ने कमाल किया।
विपक्ष के सांसदों ने अपने दलीय हितों से उठकर भारत का जम कर पक्ष लिया
विपक्ष के सांसदों ने अपने दलीय हितों से उठकर भारत का जम कर पक्ष लिया। कांग्रेस के थरूर, खुर्शीद तो भारत के प्रवक्ता बने ही ,‘एमआइएम’ के ओवैसी भी एक बड़े भारत भक्त के रूप में दिखे। पाकिस्तान को लेकर जिस तरह की खरी-खोटी उन्होंने सुनाई, वैसी शायद किसी ने न सुनाई हो। इसीलिए कई चैनलों ने उनसे सीधे बातचीत की। साफ हुआ कि अंदर कुछ हो, बाहर विपक्षी नेता एक सुर में बोलते हैं।
इस बीच ‘सीडीएस’ के इस बयान, कि ‘असली बात नुकसान की नहीं, हमने जो किया उसकी है’ ने विपक्ष के आक्षेपों को कुछ ‘इज्जत बख्शी’। वह फिर आक्रामक हुआ कि देश को गुमराह किया गया… स्वतंत्र जांच होनी चाहिए..! विपक्ष के सोलह दलों ने तुरंत संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की, जिसका जवाब सरकार ने यह कह कर दिया कि ‘आपरेशन सिंदूर’ अभी जारी है..!’ फिर आगामी नियमित सत्र की तिथियां बता कर ‘विशेष सत्र’ की मांग को भोथरा कर दिया गया।
लेकिन विपक्ष भला कहां माने? एक नेता ने तो यह तक कह दिया कि हमारे पांच जेट गिरे। यह तो बच्चा भी जानता है कि युद्ध में सबका कुछ न कुछ नुकसान होता है, लेकिन इससे न हमारी जीत कम हो जाती है, न वह हार में बदल जाती है। ऐसी बहसों के बीच एक दिन विपक्ष के ‘फ्री-स्पीच वाद’ पर से बुरी तरह पर्दा उठा। सोशल मीडिया पर खासी चर्चित शर्मिष्ठा पेनोली की एक समुदाय को लक्षित एक पोस्ट के अपराध पर बंगाल की पुलिस ने उसे गुरुगाम से गिरफ्तार किया।
फिर आया भारत के ग्रांड मास्टर गुकेश द्वारा दुनिया के जाने माने कार्ल मेग्नस को नार्वे की ‘क्लासिकल शतरंज चेंपियनशिप’ में हराने का वह सीधा प्रसारण वाला दृश्य, जब आसन्न हार को देख मेग्नस ने ‘चैस टेबिल’ पर जोर से चीखते हुए दुहत्थड़ मारा और उठ गया। फिर गुकेश से हाथ मिलाया, जबकि गुकेश एकदम शांत अपनी दाईं हथेली से अपना मुंह बंद कर टहलते दिखे! इसे कहते हैं खामोशी की जीत!
इस खुशी के विपरीत एक बड़ी दुखद खबर बनाई आइपीएल प्रतियोगिता जीतने वाली ‘रायल चैलेंजर्स बंगलुरु’ की जीत के जश्न समारोह के सीधा प्रसारण ने! स्टेडियम की क्षमता पैंतीस हजार, लेकिन प्रशंसक आए करीब तीन लाख। न पुलिस की इजाजत थी, न प्रशासन की, लेकिन फिर भी होने दिया गया समारोह। रायल चैलेंजर्स वाले घोषित करते रहे जश्न के बारे में और बांटते रहे ‘पास’, जिसका नतीजा यह हुआ कि इधर स्टेडियम में जश्न मनता रहा, उधर बाहर लोग मरते रहे।
खबरें बताती रहीं कि पर्याप्त एंबुलेंस का इंतजाम तक नहीं, भीड़ को संभालने के लिए अपर्याप्त पुलिस। इतनी भगदड़, इतनी चीख-पुकार, लेकिन जश्न को जनसंपर्क में बदलने पर आमादा बंदों को जरा-सी दूर मचती चीख-पुकार तक न सुनाई दी, तो क्यों? और कैसी निर्लज्जता कि कुछ ने तो मृतकों को ही अपनी मौत का जिम्मेदार बता दिया।
चर्चा में एंकरों का सारा क्रोध पुलिस, प्रशासन, क्लब और आइपीएल की ‘धन लोलुपता’ पर न्योछावर होता रहा। कइयों की मांग रही कि आइपीएल के चीफ को पकड़ो… क्लब के मालिक को अंदर करो। विपक्ष ने मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री के इस्तीफे तक की मांग कर दी!
इसी बीच एक दिन कमल हासन ने अपनी नई फिल्म की रिलीज के अवसर पर कह दिया कि ‘कन्नड़ तमिल से निकली है’। फिर क्या था… कन्नडिगों ने उनको साफ कर दिया कि ‘कोई माफी नहीं, कोई फिल्म रिलीज नहीं’! बहरहाल, सप्ताह की सबसे सकारात्मक खबर रही प्रधानमंत्री द्वारा कश्मीर की चिनाब नदी पर दुनिया के सबसे ऊंचे और सबसे लंबा व इंजीनियरिंग के कमाल ‘केबल पुल’ का उद्घाटन और उसका सीधा प्रसारण!