वे सड़क पर खाना खा रहे हैं। वे नारे लगा रहे हैं। वे बातचीत करने जा रहे हैं। वे बेरीकेड तोड़ रहे हैं। वे छह महीने का राशन-पानी लेकर चले हैं और सिंघू बार्डर, टीकरी बार्डर, गाजीपुर बार्डर, चिल्ला बार्डर पर जमे हैं।

एक एंकर कहता है, लगता है यह ‘शाहीन बाग टू’ है! एक चैनल पर शाहीनबाग की एक दादी भी दर्शन दे जाती हैं ।
रिपोर्टरों के सवाल भी स्टाक सवाल और किसानों के जवाब भी स्टाक जबाव! ये हरित क्रांति वाले खाते-पीते राजनीति-सजग किसान हैं। रिपोर्टर उनके दो-टूूकपन पर चकित होते हैं।
– अगर सरकार नहीं मानी तो आप क्या करेंगे?
– हम यहीं डटे रहेंगे। न माने तो दिल्ली कूच कर देंगे, संसद घेर लेंगे।
– अगर एमएसपी की बात मान ली जाए तब तो हट जाएंगे?
– जब तक तीन कानून वापस नहीं लेते, हम नहीं जाने वाले!

हरियाणा का एक युवा किसान ट्राली भर के गोभी लाकर किसानों को बांट रहा है!
वृहस्पतिवार को सरकार-किसान वार्ता सात घंटे चली। कृषिमंत्री बाहर आकर पत्रकारों को बताते हैं कि कानूनों के कई बिंदुओं पर चर्चा हुई है। एंकर कहता है, सरकार कुछ नरम हुई लगती है, लेकिन दूसरे चैनल पर एक भाजपा प्रवक्ता दनदनाता दिखता है कि जो काननू पास हो गए, सरकार उनको वापस नहीं लेने वाली!

सरकार कानून हटाएगी नहीं, किसान हटवाए बिना हटने के नहीं! एक ओर सरकार-हठ दूसरी ओर किसान-हठ! फिर आग में घी डालने वालों के ठाठ!
ऐसे गाढ़े समय में भी अपने खुंदकिया एंकर का अहं योेगेंद्र यादव से ही टकरा जाता है और वह चीख-चीख कर कहने लगता है : कौन है ये योगेंद्र यादव? कौन है ये आदमी? क्या किसान है? कौन है ये आदमी? उसकी शह पाकर दो पैनलिस्ट भी कहने लगते हैं : कौन है योगेंद्र यादव? जब इतने से पेट नहीं भरता को एक ज्ञानी योगेंद्र यादव का मजाक उड़ाते कहता है- ये आदमी गोंविंदा की तरह है, जो कभी कुछ बन जाता है, कभी कुछ। इस पर एंकर अपना ज्ञान बघारता है कि वह ‘मैं झूठ नहीं बोलता’ फिल्म का गोविंदा है। एंकर पैनलिस्ट सब बच्चों की तरह हंसते हैं, लेकिन यह भूल जाते हैं कि इस फिल्म में वकील बना गोविंदा अंतत: सच ही बोलता है!

और हम इन अज्ञानियों को क्या बताएं कि बावलो! तुल्य फिल्म तो नवीन निश्चल की ‘मैं वो नहीं’ थी, जिसमें नवीन बहुत से रूप धरता है, लेकिन इन बालखिल्यों को इसका क्या पता?

किसानों के इस आंदोलन के बीच भी, हमारे चैनल वैक्सीनों के सेल्समैनों को बिठा कर वैक्सीन बेचने लगे। एंकर चहक-चहक कर बोलते : आ गया आ गया फाइजर वाला वैक्सीन आ गया! एक देसी विशेषज्ञ ने एक चैनल पर फाइजर की बिक्री में फंसट डाली कि यह बेहद महंगा है, फिर अपने यहां माइनस सत्तर सेंटीगे्रड पर उसे सुरक्षित रखना बेहद कठिन है!

कोई बात नहीं। फाइजर नहीं लेना, तो मडर्ना वाला ले लो। ये रहा सस्ता और टिकाउ। वो नहीं तो रूसी वाला ले लो…
एक एंकर ने एक देसी वैक्सीन वाले से पूछ लिया कि अपना देसी वाला कब तक आ रहा है? वे बोले कि पीएम विजिट कर चुके हैं। स्वास्थ्यमंत्री कह चुके हैं कि ट्रायल चल रहे हैं। फरवरी तक आ सकता है।

शुक्रवार को चैनलों ने खबर दी कि पीएम ने कोविड और वैक्सीन की तैयारियों को लेकर सर्वदलीय बैठक बुलाई है।
इसके बाद ‘वापसी ब्रिगेड टू’ ने खबर बनाई। किसानों के साथ सरकार के व्यवहार विरोध में अकाली दल के सबसे बड़े नेता प्रकाश सिह बादल ने पद्मविभूषण लौटाया, तिस पर भी एक ने चुटकी ली कि इतनी देर से क्यों लौटाया? तो भी वापसी की लाइन लग गई। हॉकी खिलाड़ी परगट सिंह समेत कइयों ने सम्मान लौटाने को कहा। फिर पंजाबी के गायक रब्बी शेरगिल समेत कई पॉप गायक भी किसानों के पक्ष में बोलते दिखे।

इस बार के किसान आंदोलन का ‘अंतरराष्टीयकरण’ कुछ जल्दी ही हो गया। किसानों की चिंता में एक दिन कनाडा के पीएम त्रूदू के पेट में दर्द हुआ, फिर एक दिन अमेरिका की नई चयनित उपराष्ट्रपति कमला हैरिस जी के भी पेट में दर्द हुआ!
इसे कहते हैं ‘सूप बोले तो बोले छलनी भी बोेल पड़ी’!

इस बीच रजनीकांत ने फिर घोषणा की कि जनवरी में राजनीति में आऊंगा और सब कुछ बदल डालूंगा। एक चैनल पर एक चर्चक बोला : रजनी के आने से एआइडीएमके को नुकसान होगा, लेकिन स्वामी के हवाले से एक चैनल ने लाइन लगाई कि रजनी को हिंदुत्व से परहेज नहीं है।

शुक्रवार को चैनलों ने खबर तोड़ी कि हैदराबाद के स्थानीय चुनावों के पहले रुझानों में भाजपा चैरासी सीटों पर आगे है। दोपहर तक टीआरएस आगे आने लगी। इसे देख एक बोला : भाजपा को खोने को कुछ नहीं, पाने को हैदराबाद पड़ा है!