महाकुंभ निर्बाध चलता रहा। जाम लगता रहा। छप्पन-सत्तावन करोड़ ने नहाने का रेकार्ड बना। दिल्ली के एक स्टेशन पर हुआ हादसा और उसमें कई लोगों की मृत्यु के बाद भी चैनलों में ‘महाकुंभ’ बड़ी खबर बना रहा। दिल्ली हादसे को देख एक विपक्षी नेताजी कहिन कि इंतजाम ठीक नहीं। रेलवे मंत्री इस्तीफा दें। रपट आई कि संगम का पानी नहाने लायक नहीं है। एक नेता जी कहिन कि महाकुंभ ‘मृत्युकुंभ’ है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा कि संगम का पानी न केवल नहाने योग्य है, पीने के भी योग्य है। चैनल चर्चा में श्रद्धालु कहिन कि ऐसे लोग सनातन संस्कृति के दुश्मन हैं। महाकुंभ में आए सनातनियों की भीड़ देख ये हिल गए हैं। एक चर्चक कहिन कि अगले चुनावों में इसका फायदा सनातनवादियों को मिल सकता है, सारी आफत इसी कारण है।

एक दिन खबर रही कि डोनाल्ड ट्रंप के एक प्यादे ने सऊदी में बैठक कर ‘रूस यूक्रेन युद्ध’ का मामला निपटा दिया है। इस बात पर अमेरिका का पुराना प्यादा इतना नाराज हुआ कि उसने ट्रंप को ‘ब्लाक’ कर दिया। अपने कई चैनल ट्रंप से एकदम अभिभूत! उधर ट्रंप भी मोदी से अभिभूत! ट्रंप ‘टेरिफ’ पर ‘टफ’ तो मोदी ‘टफ’। एक अमेरिकी कहिन कि ट्रंप ‘दोधारी तलवार’। एक एंकर मुग्धभाव में कहिन कि ट्रंप ट्रंप हैं। कोई नहीं जानता… शायद वे भी नहीं जानते कि कब क्या कर दें।

फिर एक दिन स्वयं ट्रंप का कथन कि कोई कोशिश कर रहा था कि भारत में कोई और चुना जाए… मैं ‘यूएसएड’ लेने वालों के नाम बताऊंगा। यह एक ‘संपूर्ण ब्रेक थ्रू’ है। यानी 2024 के चुनावों में ‘मतदाताओं की संख्या बढ़ाने के लिए ‘यूएसएड’ के अंतर्गत इक्कीस मिलियन डालर दिए गए। किस-किस व्यक्ति या संस्था को कितने डालर मिले… यह बताएंगे..! इस खबर के कुछ पहले ट्रंप के प्रशासन द्वारा ‘यूएसएड’ के दफ्तर पर ताला लगाने की खबर आ चुकी थी। इसे देख अपने कई एंकर ‘ताल ठोंक’ मुद्रा में कि देखा… हम न कहते थे!

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ऐसी ‘सनसनीखेज’ खबर के बाद अधिकांश एंकरों की दो टूक मांग कि दलालों के नाम जल्द बताओ… ऐसे देशद्रोहियों का खुलासा करो… सजा दो… जांच बिठाओ… जल्दी करो… इनको जाने मत देना… हर दर्शक/श्रोता उत्सुक कि अब आए… अब आए उन नामी ‘पत्रकरों’, ‘एक्टिविस्टों’, नेताओं’, ‘संस्थाओं’ और ‘डीप स्टेट’ के नाम जो ‘यूएसएड’ के ‘एजंट’ रहे,‘डालर’ लेकर दुश्मनों का साथ दिए..!

एक एंकर चीखता दिखा कि ऐसे सभी ‘मीरजाफरों’ के नाम का ‘खुलासा’ करो… ऐसे तत्त्वों की जांच करो और सख्त से सख्त सजा दो..!
इस कहानी को सात दिन हो चुके हैं, लेकिन कहानी एक इंच आगे नहीं बढ़ी कि 2024 के आम चुनाव में मतदाताओं की संख्या बढ़ाने के लिए किन किनको कितना मिला? एक चर्चक कहिन कि इतना पैसा कुछ भी कर सकता है। बांग्लादेश में इससे भी ज्यादा मिलियन डालर खर्च किए गए और वहां जो हुआ सबने देखा, लेकिन भारत में भाजपा/ राजग की सरकार फिर से आ गई। कई एंकर खुश कि अब ऐसे दलालों को डालर मिलना बंद!

एक बार फिर ‘इलाहाबादी एंड कंपनी’ की ‘लफंग कथा’ चर्चा में आई। जैसे ही इस ‘लफंग कथा’ के कथाकारों को देश की बड़ी अदालत ने फटकारा और कहा है कि दिमाग में गंदगी भरी है। हम इसे ऐसे ही नहीं जाने दे सकते… सरकार को कुछ करना चाहिए..! बाद में अदालत ने उनको जमानत भी दे दी।

कहने की जरूरत नहीं कि कहानी की जान यहीं निकल गई। बहरहाल, सप्ताह की सबसे बड़ी कहानी भाजपा की ‘दिल्ली विजय’ की ही रही, जिसे देख कवि भूषण का वह छंद याद आया जिसकी अंतिम पंक्ति कहती है कि‘साहि के सपूत शिवराज समसेर तेरी दिल्ली दल दाबि कै दिबाल राखी दुनी में’। ‘आप’ का ऐसा ‘पराभव’ अगर आप वालों को ‘अवाक्’ कर गया तो ‘इंडिया’ वालों को भी ‘निराश’ कर गया, लेकिन इस ‘निराशा’ में ‘भाजपा’ का वही नारा ‘इंडिया’ का सहारा बना कि ‘एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे..!’

जीत के बाद भाजपा ने दिल्ली के मुख्यमंत्री का नाम इतनी फुरसत से तय किया कि चैनल तक ऊब गए और जब ‘रेखा गुप्ता’ को चुना तो किसी न किसी को रोज मुख्यमंत्री बनाने वाले चैनल तक चकित रह गए! लेकिन वाह रे संघ-भाजपा का ‘अनुशासन’ कि नाखुश हो सकने वाले भी कहते दिखे कि रेखा गुप्ता हम सबकी मुख्यमंत्री हैं… सब मिलकर काम करेंगे..! दिल्ली को विकसित देश की विकसित राजधानी बनाएंगे, जो कहा है, वह करेंगे।

एक महिला को मुख्यमंत्री चुन कर भाजपा ने अपनी एक बड़ी कमी पूरी की। सबने बधाई दी। कुछ ने मुख्यमंत्री के पूर्वकालीन ‘ट्वीेट’ पर कटाक्ष भी किए। एक चर्चक ने कहा कि यह सब संघ की ‘एकचालकानुर्वतते’ की ताकत है कि एक बार तय हो जाने के बाद भाजपा में सब ‘फाल इन लाइन’ हो जाते हैं। शपथ ग्रहण समारोह भी उसी रामलीला मैदान में एक बड़े ‘शो’ की तरह से कराया गया, जिससे ‘आप’ कभी उगी थी। दोपहर में मुख्यमंत्री का दफ्तर जाना और शाम को यमुना आरती करना ‘भाजपा ब्रांड’ राजनीति का नया नमूना रहा।