Surya Grahan 2018, Solar Eclipse 2018 on Friday 13 July 2018 Timings in India: साल 2018 का दूसरा सूर्य ग्रहण 13 जुलाई को लग रहा है। ज्योतिष शास्त्र की मानें तो ग्रहण(सूर्यग्रहण या चंद्रग्रहण) का लगना अशुभ माना जाता है। कहते हैं कि ग्रहण के दौरान खुले आसमान के नीचे नहीं रहना चाहिए। इसके साथ ही मंदिर के दरवाजे बंद कर देने की बात भी कही गई है। इन सबके अलावा भी सूर्य ग्रहण को लेकर कई तरह की मान्यताएं प्रचलित हैं। बता दें कि कि पृथ्वी अपनी धुरी पर निरंतर घुमते रहने के साथ-साथ सौरमंडल में सूर्य का चक्कर भी लगाती है। वहीं, चंद्रमा पृथ्वी का उपग्रह है और वह पृथ्वी के चारों ओर घुमता रहता है। ऐसे में कई बार चंद्रमा घुमते-घुमते सूर्य और पृथ्वी के बीच में आ जाता है। ऐसी दशा में पृथ्वी से सूर्य आंशिक या पूर्ण रूप से दिखाई नहीं देता। इसी घटनाक्रम को सूर्य ग्रहण कहा जाता है।
विज्ञान के अनुसार सूर्य ग्रहण के दौरान खतरनाक सोलर रेडिएशन निकलता है। कहते हैं कि यह सोलर रेडिएशन आंखों के नाजुक टिशू को नुकसान पहुंचा सकता है। इससे आंखों में विजन-इशू आ सकता है। इससे देखने में दिक्कत आने लगती है। यह समस्या कुछ समय के लिए या फिर हमेशा के लिए भी हो सकती है। बताया जा रहा है कि 13 जुलाई को सुबह के समय सूर्य ग्रहण पड़ेगा। सूर्य ग्रहण सुबह 7 बजकर 18 मिनट 23 सेकंड से शुरू होगा, जो कि 8 बजकर 13 मिनट 5 सेकंड तक रहेगा। वहीं, सूर्य ग्रहण का माध्यम काल 8 बजकर 13 मिनट 5 सेकंड पर होगा और मोक्ष 9 बजकर 43 मिनट 44 सेकंड पर होगा।
Sanju Box Office Collection Day 14: ‘संजू’ का जलवा बरकरार, इतने करोड़ हुई फिल्म की कमाई
हमारे ऋषि-मुनियों ने सूर्य ग्रहण लगने के समय भोजन के लिए मना किया है, क्योंकि उनकी मान्यता थी कि ग्रहण के समय में कीटाणु बहुलता से फैल जाते हैं। खाद्य वस्तु, जल आदि में सूक्ष्म जीवाणु एकत्रित होकर उसे दूषित कर देते हैं। इसलिए ऋषियों ने पात्रों के कुश डालने को कहा है, ताकि सब कीटाणु कुश में एकत्रित हो जाएं और उन्हें ग्रहण के बाद फेंका जा सके।
ग्रह नक्षत्रों की दुनिया की यह घटना भारतीय महर्षियों को अत्यन्त प्राचीन काल से ज्ञात रही है। चिर प्राचीन काल में महर्षियों ने गणना कर दी थी। इस पर धार्मिक, वैदिक, वैचारिक, वैज्ञानिक विवेचन धार्मिक एवं ज्योतिषीय ग्रन्थों में होता चला आया है। महर्षि अत्रिमुनि ग्रहण के ज्ञान को देने वाले प्रथम आचार्य थे। ऋग्वेदीय प्रकाश काल अर्थात वैदिक काल से ग्रहण पर अध्ययन, मनन और परीक्षण होते चले आए हैं।
वैदिक काल से पूर्व भी खगोलीय संरचना पर आधारित कलैन्डर बनाने की जरूरत महसूस की गई। सूर्य ग्रहण चन्द्र ग्रहण तथा उनकी पुनरावृत्ति की पूर्व सूचना ईसा से चार हजार पूर्व ही उपलब्ध थी। ऋग्वेद के अनुसार अत्रिमुनि के परिवार के पास यह ज्ञान उपलब्ध था। वेदांग ज्योतिष का महत्त्व हमारे वैदिक पूर्वजों के इस महान ज्ञान को प्रतिविम्बित करता है।
डाभ को शास्त्रों में कुशा नाम दिया गया है। मान्यता है कि जब इन खाद्य और पेय पदार्थों को कुशा पर रख दिया जाता है तो उनका दूषित तत्व समाप्त हो जाता है। माना जाता है कि कुशा तमोगुण के लिए कुचालक का काम करती है। ऐसे में सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण से एक घंटे पहले कुशा को खान-पान की वस्तुओं के ऊपर रख देने की बात कही गई है।
अब दूसरा चंद्र ग्रहण 27 जुलाई को पड़ेगा। जो भारत के साथ यूरोप, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, नोर्थ अमेरिका और अटलांटिक में दिखाई देगा। इसे सदी का सबसे लंबा चंद्र ग्रहण बताया जा रहा है।
2018 में चंद्र ग्रहण
31 जनवरी 2018
27-28 जुलाई
2018- ये दोनों पूर्ण चंद्र ग्रहण हैं
2018 में सूर्य ग्रहण: इस साल में 3 सूर्य ग्रहण हैं। हालांकि ये तीनों ही ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देंगे।
16 फरवरी 2018
13 जुलाई 2018
11 अगस्त 2018
ग्रहण के बाद मेष राशि के लोगों के लिए यह ग्रहण कई सारे सकारात्मक परिणाम लेकर आया है। इन राशि के लोगों को गमले की मिट्टी में कुमकुम लगाने से फायदा मिलेगा।
अपनी जिम्मेदारियों को मन लगाकर निभाएंगे। सिंदूर में चमेली का तेल मिलाकर हनुमान जी को लगाने से फायदा मिलेगा।
दक्षिणी महासागर के किनारे स्थित देशों में इस सूर्यग्रहण को बिल्कुल साफ देखा गया। इस 13 तारीख और शुक्रवार के मेल को लोकप्रिय संस्कृति में 'बुरी किस्मत' का सूचक माना जाता है, लेकिन ऐसा मानना या इन सब बातों पर विश्वास करना अंधविश्वास मांत्र है।
पूर्ण सूर्य ग्रहण उस समय होता है जब चन्द्रमा पृथ्वी के काफी पास रहते हुए पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है और चन्द्रमा पूरी तरह से पृ्थ्वी को अपने छाया क्षेत्र में ले लेता है। इसके फलस्वरूप सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक पहुंच नहीं पाता है और पृथ्वी पर अंधकार जैसी स्थिति हो जाती है तब पृथ्वी पर पूरा सूर्य दिखाई नहीं देता। इस प्रकार बनने वाला ग्रहण पूर्ण सूर्य ग्रहण कहलाता है।
वलयाकार सूर्य ग्रहण में जब चन्द्रमा पृथ्वी के काफी दूर रहते हुए पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है अर्थात चन्द्रमा सूर्य को इस प्रकार से ढकता है, कि सूर्य का केवल मध्य भाग ही छाया क्षेत्र में आता है और पृथ्वी से देखने पर चन्द्रमा द्वारा सूर्य पूरी तरह ढका दिखाई नहीं देता बल्कि सूर्य के बाहर का क्षेत्र प्रकाशित होने के कारण कंगन या वलय के रूप में चमकता दिखाई देता है। कंगन आकार में बने सूर्यग्रहण को ही वलयाकार सूर्य ग्रहण कहलाता है।
यह आंशिक सूर्यग्रहण भारत में नहीं दिखाई दिया। यह दुनिया के कुछ ही इलाकों में देखा गया। यह सूर्यग्रहण अंटार्कटिका के उत्तरी हिस्से, न्यूजीलैंड के स्टीवर्ट आइलैंड, आस्ट्रेलिया के सुदूर दक्षिणी भागों, तस्मानिया, प्रशांत और हिंद महासागर में देगा गया।
इससे पहले इस दिन और तारीख पर 44 साल पहले ग्रहण लगा था। 13 दिसंबर 1974 के बाद ऐसा पहली बार है जब कोई सूर्यग्रहण शुक्रवार और 13 तारीख के मेल पर पड़ रहा हो। इसके बाद इस मेल पर 13 सितंबर 2080 में सूर्यग्रहण लगेगा।
चंद्रमा पृथ्वी का उपग्रह है और वह लगातार पृथ्वी के चक्कर लगाता रहता है। ऐसे में कई बार चक्कर लगाते हुए जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है तो ऐसी स्थिति में सूर्य पूरी तरह से या आंशिक रूप से दिखाई नहीं देता है। इसी स्थिति को सूर्य ग्रहण कहा जाता है।
पूरी दुनिया पर पड़ सकता है इस ग्रहण का असर। विशेषज्ञों की मानें तो, जगह-जगह इससे कारोबार प्रभावित हो सकता है। जहां ग्रहण लगेगा, वहां बुरे प्रभाव होंगे। सूर्य ग्रहण की वजह से ग्रीन हाउस इफेक्ट और बाढ़ की आशंका हो सकती है।
विज्ञान के अनुसार, सूर्य ग्रहण के दौरान खतरनाक सोलर रेडिएशन निकलता है। यह सोलर रेडिएशन आंखों के नाजुक टिशू को नुकसान पहुंचा सकता है। इससे आपकी आंखें खराब भी हो सकती हैं। इसे रेटिनल सनबर्न के नाम से जाना जाता है।
शास्त्रों में सूतक काल के दौरान कोई भी शुभ कार्य करने को मना किया गया है। सूतक काल में पूजा पाठ और भगवान की मूर्तियों को स्पर्श करना वर्जित है। वहीं खाना खाना, मल-मूत्र त्याग करना भी वर्जित है। साल का दूसरा सूर्यग्रहण करीब 1 घंटे तक रहा। भारतीय समयानुसार ग्रहण 7 बजकर 18 मिनट से शुरू हुआ और 8 बजकर 13 मिनट तक रहा।
1. ग्रहण के दौरान इसके असर से बचने के लिए भगवान शिव के मंत्रों और नामों का जप करना चाहिए।
2. गरीबों को दान और तुलसी का पत्ता खाना चाहिए लेकिन तुलसी के पत्ते को ग्रहण के एक दिन पहले से तोड़कर रख लेना चाहिए।
3. ग्रहण के दौरान खाने-पीने की चीजों में तुलसी के पत्ते डाल कर रखना चाहिए।
4. ग्रहण में गर्भवती महिला को खास ध्यान रखना चाहिए। ग्रहण में महिलाओं को बाहर नहीं निकालना चाहिए क्योंकि बच्चे पर इसका बुरा असर पड़ सकता है।
5. ग्रहण में मंत्रों का जाप और ग्रहण के बाद पूरे घर में गंगाजल से छिड़काव करना चाहिए।
1. मान्यता है कि ग्रहण के तुरंत बाद किसी भी काम को करने से पहले नहाना चाहिए।
2. सिर्फ खुद को ही नहीं बल्कि घर में मंदिर में मौजूद सभी भगवानों की मूर्तियों को भी नहलाना या फिर गंगाजल छिड़कना चाहिए।
3. मूर्तियों और खुद को नहलाने के बाद पूरे घर में धूप-बत्ती कर शुद्धीकरण किया जाना चाहिए।
4. घर में या बाहर मौजूद तुलसी के पौधे को भी गंगाजल डालकर स्वच्छ करना चाहिए।
5. कुछ लोग तो अपने घरों को भी पानी से धो डालते हैं।
6. मान्यता है कि ग्रहण के बाद मन की शुद्धी के लिए दान-पुण्य भी करना चाहिए।
अब साल का तीसरा सूर्य ग्रहण 11 अगस्त को लगेगा जो पूर्वी यूरोप, एशिया, नोर्थ अमेरिका और आर्कटिक में दिखाई देगा। 11 अगस्त के बाद 6 जनवरी 2019 को सूर्य ग्रहण लगेगा जो एशिया में दिखेगा। इस सूर्य ग्रहण के शुभ प्रभाव की बात करें तो मेष, मकर, तुला और कुंभ राशि पर पड़ेगा।
यह साल का दूसरा सूर्य ग्रहण है। इसके अलावा पहला सूर्य ग्रहण 15 फरवरी को पड़ा था, जो भारत में दिखाई नहीं दिया था। यह सूर्य ग्रहण सिर्फ साउथ अमेरिका, अटलांटिक में ही दिखाई दिया था। वहीं साल का पहला चंद्र ग्रहण 31 जनवरी को पड़ा था जो भारत के साथ-साथ यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, साउथ अफ्रीका और नोर्थ अमेरिका में दिखाई दिया था।
साल 1851 में पहली बार सूर्य ग्रहण की तस्वीर ली गई थी। उस वक्त फोटोग्राफी शुरुआती दौर में थी। तस्वीरें क्लिक करने के लिए उस वक्त देग्युरोटाइप नाम की तकनीक का इस्तेमाल होता था। इसी के जरिए तस्वीरें क्लिक की जाती थीं। खगोल शास्त्री उस वक्त चाहते थे कि वे पूरे सूर्य ग्रहण को अपने कैमरे में कैद कर लें, जिससे वे सूर्य के बारे में अध्ययन कर सकें। लेकिन देग्युरोटाइप तकनीक से सूर्य ग्रहण को कैमरे में कैद करना थोड़ा मुश्किल काम था।
ज्योतिष के अनुसार ग्रहण के समय घर पर ओम् नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करना चाहिए। ग्रहण काल समाप्त होने के बाद नहा धोकर अपने वजन के बराबर सात अनाज दान करना चाहिए। इसके अलावा आप महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। ग्रहण के समय घर में बैठकर धार्मिक ग्रंथ का पाठ करना चाहिए।
शास्त्रों में ऐसे तथ्य सामने आते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण का संबंध भी सूर्य ग्रहण से रहा है। जिस दिन श्रीकृष्ण की द्वारका नगरी डूबी, उस दिन सूर्य ग्रहण था। साथ ही जब यह नगरी कृष्ण के प्रपौत्र ने दोबारा बसाई थी, उस दिन भी सूर्य ग्रहण था।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, एक साल में तीन या तीन से अधिक ग्रहण शुभ नहीं माने जाते हैं। बताया जाता है, अगर ऐसा होता है तो प्राकृतिक आपदाएं और सत्ता परिवर्तन देखने को मिल सकता है। ग्रहण से राजा तथा प्रजा में से किसी एक को काफी नुकसान होता है।
आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें. सूर्य को जल देना शुरू करें. रविवार को अनाज का दान देना शुरू करें. बुजुर्गों को प्रणाम कर उनसे सलाह-मशविरा लें. जो लोग आपसे बुद्धी, कुशलता और सामाजिक प्रतिष्ठा में बेहतर है उनके साथ रहना शुरू करें. मंगल को प्रभावित करेगा.
सुबह 08.13 बजे तक पड़ेगा ग्रहण। सूर्यग्रहण के दौरान खतरनाक सोलर रेडिएशन निकलता है. जो हमारे शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है. वहीं मान्यताओं के अनुसार, सूर्यग्रहण के दौरान हमें कई जरूरी बातों का ख्याल रखना होता है. ग्रहण के समय कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता है।
सुबह 7ः18 बजे से लगने वाला ग्रहण 8ः13 बजे पर खत्म होगा। यह इस साल का दूसरा ग्रहण है। इसके बाद 11 अगस्त को साल का तीसरा सूर्य ग्रहण लगेगा। 13 तारीख और शुक्रवार के मेल का यह ग्रहण 44 साल बाद लगा है। इसके बाद 13 सितंबर 2080 को फिर ऐसा योग होगा। इस योग को शुभ नहीं माना जाता।
पूरी दुनिया पर पड़ सकता है इस ग्रहण का असर। विशेषज्ञों की मानें तो, जगह-जगह इससे कारोबार प्रभावित हो सकता है। जहां ग्रहण लगेगा, वहां बुरे प्रभाव होंगे। सूर्य ग्रहण की वजह से ग्रीन हाउस इफेक्ट और बाढ़ की आशंका हो सकती है।
कुंभ: आपकी सेहत में सुधार आने के संकेत हैं। आप आर्थिक रूप से कुछ परेशान हो सकते हैं। आय के स्रोत सीमित हो सकते हैं। मन कुछ परेशान रहेगा। मीन: सूर्य ग्रहण का प्रभाव आपके लिए अच्छा रहेगा। पदोन्नति होने के योग हैं। घर में खुशियों भरा माहौल रहेगा। कोई खुशखबरी सुनने को भी मिल सकती है।
धनु: मानसिक रूप से कुछ परेशान हो सकते हैं। संतान को लेकर चिंता सताएगी। आपको धार्मिक कार्यों में मन लगाने की जरूरत है। मकर: इस राशि के लोगों को धनलाभ होने के योग हैं। आपका रुका हुआ धन वापस मिलेगा। इसके साथ ही आप आज के दिन धन खर्च भी करने वाले हैं।
तुला: पार्टनर के साथ विवाद हो सकता है। आपको अपनी जुबान पर नियंत्रण रखना होगा। दोस्तों का साथ मिलेगा। वृश्चिक: सेहत में गिराट आ सकती है। आपको थकान की अनुभूति होगी। किसी परिजन से बहस हो सकती है। विदेश यात्रा पर भी जाने के योग हैं।
सिंह राशि: इस राशि के जातकों के घर का माहौल अच्छा रहेगा। नौकरी या बिजनेस के क्षेत्र में प्रगति होगी। काम में व्यस्तता बढ़ सकती है। कन्या राशि: बिजनेस में मुश्किल हालात का सामना करना पड़ सकता है। वहीं, कानूनी मामलों के निपटने की उम्मीद है। कानूनी फैसले आपके पक्ष में आ सकते हैं।
मेष: इस राशि के जातकों को दोस्तों का साथ मिलेगा। आप दोस्तों के बीच घिरे रहेंगे। किसी महिला दोस्त से कोई जरूरी मदद भी मिल सकती है।
वृषभ: इस राशि के लोगों की सेहत खराब हो सकती है। इसलिए आपको इसके प्रति पहले से ही सावधान रहने की जरूरत है। धनहानि होने के भी संकेत हैं।
मिथुन: आप मानसिक रूप से कुछ परेशान हो सकते हैं। आपको बेकार के विवादों से बचना होगा। इसके साथ क्रोध पर भी नियंत्रण रखें। कार्यक्षेत्र में लाभ मिल सकता है।
कर्क: आपको कोई खुशखबरी सुनने को मिल सकती है। हालांकि वाहन चलाते समय सावधान रहना होगा। किसी परिजन के साथ रिश्ता खराब हो सकता है।
13 जुलाई को पड़ने वाला सूर्य ग्रहण इस साल का दूसरा सूर्य ग्रहण है। इससे पहले 15 फरवरी को इस साल का पहला सूर्य ग्रहण पड़ा था। वहीं, साल 2018 का तीसरा सूर्य ग्रहण 11 अगस्त को होगा। बता दें कि 13 जुलाई को सूर्य ग्रहण सुबह 7 बजकर 18 मिनट 23 सेकंड से शुरू होगा, जो कि 8 बजकर 13 मिनट 5 सेकंड तक रहेगा। इस बार सूर्य ग्रहण का माध्यम काल 8 बजकर 13 मिनट 5 सेकंड पर होगा और मोक्ष 9 बजकर 43 मिनट 44 सेकंड पर होगा।
सूर्य ग्रहण को देखने के लिए वैज्ञानिक पिन होल का इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं। इसके अलावा सूर्य ग्रहण देखने के लिए बाजार में कई सर्टिफाइड चश्में उपलब्ध हैं। सूर्य ग्रहण के दौरान सर्टिफाइट चश्मों का इस्तेमाल भी खूब किया जाता है। इसके साथ ही सूर्य ग्रहण देखने के लिए पनहोल कैमरे भी बनाए गए हैं।
भारतीय समय के अनुसार, सूर्य ग्रहण सुबह 7 बजकर 18 मिनट पर शुरू होगा और 8 बजकर 13 मिनट तक रहेगा। साल 2017 के अगस्त में आखिरी पूर्ण सूर्य ग्रहण देखने को मिला था, जिसे अमेरिकी इतिहास में 99 साल बाद देखा गया था। सूर्य ग्रहण को देखने के लिए विशेष सावधानी की जरुरत होती है। सोलर फिल्टर ग्लास का प्रयोग करने के बाद ही ग्रहण को देखना चाहिए। ज्योतिष विद्या के अनुसार आंशिक या पूर्ण किसी भी ग्रहण को शुभ नहीं माना जाता है।