Som Pradosh Vrat: प्रदोष व्रत पर भगवान शिव की पूजा करने का विधान है। वहीं सोमवार को जब त्रयोदशी तिथि लगती है तो इसे सोम प्रदोष व्रत कहते हैं। मान्यता है जो पूरे दिन व्रत रखकर भोलेनाथ की पूजा- अर्चना करता है, भगवान शिव उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। इतना ही नहीं सोम प्रदोष व्रत से कुंडली में चंद्रमा की स्थिति भी मजबूत होती है। आपको बता दें कि चैत्र सोम व्रत 3 अप्रैल को है। आइए जानते हैं तिथि और शुभ मुहूर्त…
सोम प्रदोष का तिथि 2023 (Som Pradosh Vrat 2023 Tithi)
त्रयोदशी तिथि का आरंभ: 3 अप्रैल सुबह 6 बजकर 24 मिनट
त्रयोदशी तिथि का अंत: 4 अप्रैल सुबह 8 बजकर 7 मिनट
सोम प्रदोष पूजा मुहूर्त (Som Pradosh Vrat 2023 Shubh Muhurat)
प्रदोष व्रत में पूजा का विधान शाम को होता है। इसलिए त्रयोदशी तिथि में पूजा का मुहूर्त शाम में सूर्यास्त से 45 मिनट पहले और 45 मिनट बाद का होता है। इसी समय को प्रदोष काल कहते हैं। इसलिए सोम प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त 3 अप्रैल शाम 5 बजकर 56 मिनट से 7 बजकर 31 मिनट तक है। इस बीच में भोलेनाथ की पूजा करना श्रेष्ठ है।
सोम प्रदोष व्रत पूजा- विधि
इस दिन सुबह जल्दी उठकर, साफ सुथरे वस्त्र धारण कर लें। इसके बाद भगवान शिव को एक चौकी पर विराजित करें। साथ ही सबसे पहले दीपक और धूप जलाएं। इसके बाद भगवान शिव पर बेलपत्र, धूतरा, भांग और फूल अर्पित करें। साथ ही भगवान शिव को दूध से बनी चीज का भोग लगाएं। साथ ही शाम को शिवलिंग का दूध, दही, धी और गन्ने के रस से अभिषेक करें। इसके बाद आरती करें। भगवान शिव की पूजा या अभिषेक करते समय हल्दी, केतकी के फूल, तुलसी की पत्तियां, रोली और शंख का जल नहीं अर्पित करना चाहिए। ऐसा करने से भगवान शिव नाराज हो सकते हैं। साथ ही भगवान शिव की पूजा में काले रंग के वस्त्र नहीं पहनने चाहिए।
सोम प्रदोष व्रत का महत्व
ज्योतिष शास्त्र अनुसार जिन लोगों की कुंडली में चंद्रमा नीच या अशुभ विराजमान हो, उन लोगों को सोम प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की विशेष पूजा करनी चाहिए। साथ ही सोम प्रदोष व्रत के बारे में कहा जाता है कि इस दिन भगवान भोलेनाथ प्रदोष काल में बड़े ही प्रसन्न रहते हैं नृत्य करते हैं। वहीं सोम प्रदोष व्रत रखने से व्यक्ति को सुख- शांति की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में सुख- समृद्धि बनी रहती है।