भारतीय वायु सेना का मिग-21 बाइसन 24 दिसंबर को राजस्थान के जैसलमेर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। उसमें एक विंग कमांडर की मौत हो गई। 2021 में मिग-21 बाइसन से जुड़ी यह पांचवीं दुर्घटना है। इससे पहले इसी साल अगस्त में मिग राजस्थान के बाड़मेर, मार्च में ग्वालियर एयरबेस तथा अरुणाचल प्रदेश में दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं। भारतीय वायु सेना फिलहाल मिग-21 के चार स्क्वाड्रन को संचालित कर रहा है। इसमें एक स्क्वाड्रन में सोलह से अठारह फाइटर जेट रहते हैं। सोवियत संघ (रूस) द्वारा निर्मित सिंगल इंजन वाला मिग-21 भारत को 1963 से वायु सेना में सेवा दे रहा हैं। इसका लाभ भारत को 1971 तथा 1999 के पाकिस्तान युद्ध में मिला और भारत विजयी रहा। मगर अब स्थिति बदल चुकी है। इसके अधिकांश कलपुर्जे पुराने हो चुके हैं।

मीडिया रिपोर्ट के आधार पर पिछले छह दशकों में चार सौ से अधिक मिग-21 दुर्घटनाग्रस्त हुए हैं और इसमें दो सौ से अधिक पायलटों की जान गई है। मिग-21 को उड़ता ताबूत भी कहा जाता हैं। भारत सरकार तथा सर्वोच्च न्यायालय को इस विषय पर विचार करना चाहिए। जहां दिल्ली में दस वर्ष पुरानी डीजल कार न चलाने के लिए कहा जा रहा है, वहीं वायुसेना में पचास वर्ष से भी पुराने लड़ाकू विमान उड़ाए जा रहे हैं।
’अंकित सिंह, भोपाल</p>

जातिवाद का सबक

क्या अब देश में जातिवाद सिर्फ चुनाव के समय दिखता है? हमारे समाज में जातिवाद की जड़ें इतनी गहरी हैं कि अगर आप इसे नई पीढ़ी को शिक्षित करके खत्म करने की सोच रहे हैं तो यह सिर्फ एक सुखद कल्पना मात्र है। हाल ही में जातिवाद की एक ऐसी घटना हुई, जो यह सुनिश्चित करती है कि जिनसे समाज आज यह उम्मीद कर रहा है कि भारत का भविष्य जातिवाद से मुक्त होगा, शायद कहीं हमें निराश होना पड़ेगा।

यह घटना उत्तराखंड के चंपावत जिले के एक सरकारी स्कूल की है, जहां सवर्ण परिवारों के बच्चों ने दलित महिला रसोइया (भोजनमाता) के हाथ का खाना खाने से इनकार कर दिया। दलित भोजनमाता की नियुक्ति पर भी काफी बवाल मचा था। स्कूल के अध्यापकों के बीच भी रसोइया को लेकर एक मत नहीं बन रहा था। तो क्या उन शिक्षकों, जिनके हाथ में देश का भविष्य है और उन बच्चों से हम यह उम्मीद कर सकते हैं कि वे शिक्षा के दम पर देश में जातिवाद जैसी कुरीतियों को खत्म कर सकते हैं?

ऐसे अनेक उदाहरण मौजूद हैं। आखिरकार बच्चों की भी गलती नहीं है। वे जो पढ़ते-सुनते, देखते-समझते हैं, वही अपने व्यवहार का हिस्सा बना लेते हैं। और जातिवाद का पाठ सीखने के लिए चुनाव से अच्छी किताब कहां है।
’शिवम सिंह, दिल्ली विश्वविद्यालय

जरूरी कदम

उत्तर प्रदेश सरकार ने ओमीक्रान के बढ़ते खतरे को देखते हुए रात के ग्यारह बजे से सुबह पांच बजे तक रात्रि कर्फ्यू लगाकर दूरदर्शिता का परिचय दिया है। शुरुआत में ही कदम उठा कर योगी सरकार ने संक्रमण रोकने का प्रयास किया है। ऐसे में यह आवश्यक हो जाता है कि हम भी एक जिम्मेदार नागरिक की तरह अपने दायित्वों को समझें और सरकार के दिशानिर्देशों का पालन करें। ‘नो मास्क-नो इंट्री’ महज दिखावा न होकर उस पर अमल होना चाहिए। जिनका टीकाकरण पूरा हो चुका है, उनको भी सावधानी बरतनी चाहिए। नियमों पर चल कर ही समस्या से निपट सकते हैं।
’मंगल सिंह, आजमगढ़