कांग्रेस पार्टी ने सोमवार को ऐलान किया कि राहुल गांधी रायबरेली लोकसभा सीट से सांसद रहेंगे और प्रियंका गांधी वायनाड लोकसभा सीट से उपचुनाव लड़ेंगी। कांग्रेस पार्टी ने यह फैसला पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे पर हुई बैठक के बाद लिया।
कांग्रेस के लिए अब सेफ सीट माने जानी वाली वायनाड से अगर प्रियंका गांधी जीतने में सफल रहती हैं तो ऐसा पहली बार होगा कि नेहरू-गांधी। परिवार के तीन सदस्य एक साथ संसद का हिस्सा होंगे। इससे कांग्रेस पार्टी पर परिवारवाद और सिर्फ एक परिवार को बढ़ावा देने का आरोप लगना लाजिमी है। सोनिया गांधी इस समय राज्यसभा की सदस्य हैं।
यूपी को क्या मैसेज देने चाहते हैं राहुल गांधी?
हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने पहले से बेहतर प्रदर्शन किया है। कांग्रेस ने रायबरेली अमेठी सहित कुल छह सीटों पर जीत दर्ज की। 2019 में कांग्रेस पार्टी यूपी में सिर्फ एक सीट जीतने में सफल रही थी जबकि राहुल गांधी खुद अमेठी हार गए थे। कांग्रेस का वोट शेयर भी 6.36% पर पहुंच गया था।
इससे पहले 2014 में कांग्रेस को सिर्फ दो सीट मिली थीं और उसका वोट शेयर 7.53% था। हालांकि इस बार कांग्रेस ने यूपी में 17 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा और वो छह पर जीत दर्ज करने में सफल रही। इस बार कांग्रेस के वोट शेयर में इजाफा हुआ और उसे 9.46% वोट हासिल हुए।
अब जब यूपी में कांग्रेस को सकारात्मक परिणाम मिले हैं, ऐसे में पार्टी यह मैसेज देने की पूरी कोशिश कर रही है कि राहुल गांधी अपनी सीट नहीं छोड़ रहे हैं। कांग्रेस के इस फैसले की एक वजह यूपी में ‘दो लड़कों की जोड़ी’ को मिला पॉजिटिव रिस्पांस है। यूपी चुनाव परिणाम बता रहे हैं कि राज्य में मूड बीजेपी के खिलाफ है। यहां बीजेपी को सिर्फ 33 सीटों से संतोष करना पड़ा।
अब कांग्रेस की पूरी कोशिश है कि वो 2027 लोकसभा चुनाव में अपना खोया हुई जमीन हासिल करे। साल 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सभी 403 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन उसे सिर्फ दो सीटों पर जीत मिली थी औऱ उसका वोट 2.33% रहा था। तब प्रियंका गांधी ने यूपी में पार्टी को लीड किया था। कांग्रेस और सपा के बीच गठबंधन के चलते, राहुल का रायबरेली पर कब्जा बनाए रखना रणनीतिक रूप से समझदारी भरा कदम है।
प्रियंका गांधी को क्यों भेजा गया वायनाड?
राहुल गांधी लगातार कहते हैं कि उनका वायनाड से भावनात्मक रिश्ता है। जब 2019 में कांग्रेस को यूपी में झटका लगा था, तब वायनाड से राहुल संसद पहुंचे थे। उस समय केरल में कुछ कांग्रेस नेताओं ने राज्य में लोकसभा चुनावों में यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट की मिली जीत का सेहरा राहुल गांधी के सिर बांधा था।
हालांकि इसके दो साल बाद केरल में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बड़ा झटका था। तब केरल की जनता ने हर पांच साल में सत्ता बदलने की रिवायत न कायम रखते हुए LDF के पिनाराई विजयन को लगातार दूसरी बार सरकार बनाने का मौका दिया। कांग्रेस पार्टी की केरल यूनिट का मानना है कि विजयन सरकार के खिलाफ लोगों में आक्रोश है, ऐसे में वो चाहते थे कि राहुल गांधी वायनाड सीट बरकरार रखें। सीपीआई एम उनपर हमलावर न हो इसलिए कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को वायनाड लोकसभा सीट से उपचुनाव लड़ाने का फैसला किया है।
क्या इस फैसले के कारण कांग्रेस की आलोचना नहीं होगी?
शायद यही एक वजह थी कि प्रियंका गांधी ने लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा और परिणाम के बाद उपचुनाव के जरिए अपना संसद पहुंचने का प्लान किया। कांग्रेस का मानना था कि प्रियंका गांधी चुनाव लड़ें या न लेकिन बीजेपी उसपर परिवारवाद का आरोप लगाएगी ही… अब ये हमले और बढ़ जाएंगे। कुछ पार्टी नेताओं का मानना है कि अगर बीजेपी 300 से ज्यादा सीटें जीतकर सत्ता में वापसी करती तो वो शायद ही चुनाव लड़तीं।
अब कांग्रेस का मानना है कि बीजेपी बैकफुट पर है और चुनावी राजनीति में प्रियंका गांधी को उतारने का इससे बेहतर मौका नहीं हो सकता। कांग्रेस पार्टी ने 2022 में उदयपुर चिंतन शिविर से पहले “एक परिवार, एक टिकट” नियम को लागू करने पर गहन चर्चा की थी, लेकिन इसमें यह शर्त भी जोड़ दी थी कि जो नेता चुनाव लड़ना चाहते हैं, उनके बेटे, बेटियां और अन्य रिश्तेदार पार्टी को कम से कम पांच साल संगठन के लिए पांच साल काम करना जरूरी है। प्रियंका ने जनवरी 2019 में राजनीति में प्रवेश किया।