बीते 20 अगस्त को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने विपक्षी दलों के नेताओं के साथ बैठक की थी और भाजपा के खिलाफ एकजुट होने की अपील की थी। इस बैठक में करीब 19 दलों के नेता शामिल हुए थे। हालांकि सपा, बसपा और आम आदमी पार्टी ने इस बैठक में हिस्सा नहीं लिया था। विपक्षी दलों की बैठक में जब कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया ने माकपा नेता सीताराम येचुरी को बड़ी इज्जत बख्शी तो बैठक में मौजूद रहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आपत्ति जताते हुए कहा कि यह मौका शरद पवार को मिलना चाहिए।
हमारे सहयोगी अख़बार द इंडियन एक्सप्रेस में पत्रकार कूमी कपूर के इनसाइड ट्रैक कॉलम के अनुसार पिछले महीने हुई विपक्षी दलों की बैठक में जब कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने माकपा नेता सीताराम येचुरी को बातचीत शुरू करने के लिए कहा था तो ममता बनर्जी ने इसपर आपत्ति जताई और कहा कि शरद पवार जैसे अनुभवी नेता को यह चर्चा शुरू करनी चाहिए।
ममता बनर्जी के अलावा सीताराम येचुरी और सोनिया गांधी की बढ़ती नजदीकियां ना तो कांग्रेस को पसंद और ना ही माकपा को। आमतौर पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ही सोनिया गांधी के लिए भाषणों और पार्टी ज्ञापन को तैयार करते हैं। इसलिए वे भी किसी बाहरी व्यक्ति के द्वारा उनके कामों को साझा करना पसंद नहीं कर सकते हैं। हालांकि माकपा को भी यह लगता है कि कांग्रेस की बजाय येचुरी को पहले अपनी पार्टी भी ज्यादा ध्यान देना चाहिए।
बता दें कि पिछले 20 अगस्त को हुई बैठक में सोनिया गांधी ने विपक्षी दलों से भाजपा के खिलाफ एकजुट होने का आह्वान किया था। उन्होंने कहा था कि इस समय विपक्षी दलों की एकजुटता राष्ट्रहित की मांग है और कांग्रेस अपनी ओर से कोई कमी नहीं रखेगी। साथ ही उन्होंने कहा था कि निश्चित तौर पर हमारा लक्ष्य 2024 का लोकसभा चुनाव है। हमें देश को एक ऐसी सरकार देने के उद्देश्य के साथ व्यवस्थित ढंग से योजना बनाने की शुरुआत करनी है जो स्वतंत्रता आंदोलन के मूल्यों और संविधान के सिद्धांतों एवं प्रावधानों में विश्वास करती हो।
विपक्षी दलों की बैठक में बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने भी हिस्सा लिया था। इसके अलावा राजद, सीपीआई, जेएमएम, नेशनल कांफ्रेंस, एआईयूडीएफ के नेताओं ने भी हिस्सा लिया था। हालांकि बसपा, सपा और आम आदमी पार्टी ने इस बैठक से दूरी बनाए हुए रखी थी।
