West Bengal Panchayat Polls: पश्चिम बंगाल में आगामी पंचायत चुनाव (West Bengal Panchayat Polls) को लेकर सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (TMC) का मुकाबला करने के लिए भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने खास रणनीति अपनाई है। भाजपा ने पंचायत चुनाव में अपनी छाप छोड़ने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (BJP national president JP Nadda) पर दांव लगाया है।
बंगाल बीजेपी के अनुसार, शाह और नड्डा आने वाले दिनों में पंचायत चुनाव से पहले राज्य में कई सार्वजनिक रैलियां करने वाले हैं। हालांकि ये रैलियां भगवा पार्टी की 2024 लोकसभा चुनाव की तैयारियों के हिस्से के रूप में आयोजित की जाएंगी, लेकिन इन रैलियों को पंचायत चुनाल से भी जोड़कर देखा जा रहा है। क्योंकि अमित शाह इस दौरान पंचायत चुनाव का भी बिगुल फूंक सकते हैं।
बंगाल बीजेपी अपने लोकप्रिय भरोसेमंद चेहरे की कमी, गुजबाजी और अंदरूनी कलह से जूझ रही है। ऐसे में भाजपा बंगाल राज्य में ग्रामीण मतदाताओं से जुड़ने के लिए शाह और नड्डा जैसे शीर्ष नेताओं का सहारा लेगी। पार्टी के नेताओं का कहना है कि उनका ध्यान 2024 के लोकसभा चुनावों में राज्य से अधिक से अधिक सीटें जीतने पर रहेगा।
2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा 18 सीटों पर जीती थी
बीजेपी ने 2019 के चुनावों में बंगाल की कुल 42 लोकसभा सीटों में से 18 पर जीत हासिल की थी। पार्टी नेतृत्व ने फैसला किया है कि शाह और नड्डा इस साल उन 24 निर्वाचन क्षेत्रों में 12 रैलियां करेंगे, जहां पार्टी 2019 में जीतने में नाकाम रही थी।
बंगाल भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा कि केंद्रीय मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा पंचायत चुनाव से पहले बंगाल का दौरा करेंगे और जनसभाएं करेंगे। इस साल वे लोकसभा क्षेत्रों में रैलियां करेंगे, जिन्हें पार्टी के लिए कमजोर माना गया है। हालांकि राज्य में अप्रैल में होने वाले पंचायत चुनाव को लेकर भाजपा को अपने अभियान के लिए अंतिम रूप देना अभी बाकी है।
मजूमदार ने कहा किबीजेपी केवल चुनाव होने पर पार्टी की गतिविधियों में शामिल होने में विश्वास नहीं करती है। हमारी पार्टी की गतिविधियां साल भर चलती हैं। हमारे कार्यकर्ता प्रतिदिन लोगों के बीच पहुंच रहे हैं। हम उन मुद्दों को उजागर कर रहे हैं जो उन लोगों के लिए प्रासंगिक हैं, जो हमसे संपर्क कर रहे हैं। वे सत्तारूढ़ दल के नेताओं के भ्रष्टाचार से थक चुके हैं और वे बदलाव चाहते हैं।