दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Delhi CM Arvind Kejriwal) ने मंगलवार शाम को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) से मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह, राघव चड्ढा और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान भी मौजूद रहे। वहीं मुलाकात के बाद दोनों नेताओं ने बयान जारी किया।
अरविंद केजरीवाल से मुलाकात के बाद ममता बनर्जी ने कहा, “हम राज्यसभा में केंद्र सरकार के अध्यादेश का विरोध करेंगे और हम सभी विपक्ष से अपील करते हैं कि वह सभी इसका विरोध करें, ताकि एक मैसेज भी जाए। अगर सभी विपक्ष एक हो जाते हैं तो राज्यसभा में ऑर्डिनेंस पास नहीं हो पाएगा।”
अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि लोकतंत्र का मजाक बना दिया है। केजरीवाल ने कहा, “जहां बीजेपी सरकार नहीं बना पाती, वहां विधायक खरीद कर सरकार बनाती है। जहां बीजेपी की सरकार नहीं बनती, वहां ईडी को भेजकर विधायकों को डराया जाता है। गैर बीजेपी सरकार को काम नहीं करने दिया जाता है। हमने पंजाब, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और तेलंगाना में इसका उदाहरण देखा है। जो दिल्ली में हुआ, वह जनतंत्र के खिलाफ है।”
रविवार को अरविंद केजरीवाल ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की थी। इस दौरान नीतीश कुमार ने अरविंद केजरीवाल को भरोसा दिलाया था कि वह उनके साथ खड़े हैं और संसद में उनकी पार्टी केंद्र के आदेश का विरोध करेगी।
जब से केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ अध्यादेश लेकर आई है, उसके बाद से अरविंद केजरीवाल के निशाने पर बीजेपी है। वह लगातार मोदी सरकार पर निशाना साध रहे हैं और कह रहे कि देश में तानाशाही का माहौल चल रहा है और लोकतंत्र खतरे में है।
कोलकाता में अरविंद केजरीवाल ने यह भी कहा कि 8 साल तक दिल्ली के लोगों ने संघर्ष किया और 8 साल बाद दिल्ली की जनता जीत गई, लेकिन इन्होंने अध्यादेश लाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया। साथ ही उन्होंने कहा कि उनके दिल में काला था, क्योंकि इन्होंने अध्यादेश उस दिन लाया, जब सुप्रीम कोर्ट छुट्टी पर जा रहा था। वैसे इस समय अध्यादेश के खिलाफ केजरीवाल को अभी और दलों का समर्थन चाहिए। अभी भी राज्यसभा में पर्याप्त नंबर मौजूद नहीं है।
असल में राज्यसभा में अभी 120 पर बहुमत है और एनडीए के पास 110 सदस्य मौजूद हैं। ऐसे में अगर एनडीए को कुछ और सदस्यों का समर्थन मिल जाता है, वो आसानी से वहां भी अध्यादेश को पास करवा सकती है। दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी को हर कीमत पर बीजेडी और YSR का समर्थन चाहिए। अगर ये दोनों दल साथ आ जाते हैं, उस स्थिति में अध्यादेश का पास होना चुनौती हो जाएगा। लेकिन अगर इन दोनों दलों ने वॉकआउट किया या खिलाफ में वोट डाल दिया, उस स्थिति में केजरीवाल को अपने सियासी करियर का एक बड़ा झटका लगेगा।