बिहार विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए एनडीए विजय सिन्हा को अपना उम्मीदवार बनाएगी। ऐसा कहा जा रहा है कि विजय सिन्हा मंगलवार को विधायकों की शपथ ग्रहण प्रक्रिया के पूरा होने के बाद अपना नामांकन दाखिल करेंगे। विजय सिन्हा बीजेपी के विधायक हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक लखीसराय से MLA विजय सिन्हा को उम्मीदवार बनाने का फैसला पार्टी की शीर्ष कमेटी ने सोमवार की देर रात एक बैठक के बाद किया है।पार्टी ने इस फैसले के जरिए किस तरह सामाजिक समीकरण को दुरुस्त करने की कोशिश की है उस पर हम आगे चर्चा करेंगे लेकिन उससे पहले हम आपको बताते हैं कि विजय सिन्हा कौन हैं?

विजय सिन्हा पिछले कई बरसों से भारतीय जनता पार्टी से जुड़े हुए हैं। राजनीतिक हलको में कहा जाता है कि वो राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के काफी करीबी भी हैं। लखीसराय में विजय सिन्हा की पकड़ काफी मजबूत मानी जाती है। इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वो तीन बार विधायक रह चुके हैं। इतना ही नहीं जब साल 2015 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को जदयू और राजद गठबंधन ने चित किया था तब उस वक्त भी विजय सिन्हा विजयी रहे थे। विजय सिन्हा राज्य की पिछली सरकार में श्रम संसाधन मंत्री भी रहे। मंत्री बनने से पहले विजय सिन्हा प्रदेश प्रवक्ता के अलावा जिले से लेकर प्रदेश संगठन में अलग-अलग पदों पर भी अपनी सेवा दे चुके हैं।

सामाजिक समीकरण सेट करने की कोशिश: कई राजनीतिक विशलेषकों का मानना है कि विजय सिन्हा को विधानसभा अध्यक्ष पद का उम्मीदवार बना कर बीजेपी सामाजिक समीकरण को दुरुस्त करना चाहती है। भारतीय जनता पार्टी ने राज्य में उपमुख्यमंत्री के दोनों पद पिछड़ी और अति पिछड़ी जाति से आने वाले नेताओं को दिया। विजय सिन्हा सवर्ण हैं।

अब पार्टी विजय सिन्हा को विधानसभा अध्यक्ष बना कर सवर्णों को भी साधने की कोशिश कर रही है। कई विषलेषकों का मानना है कि इस पद के लिए इससे पहले पूर्व पथ निर्माण मंत्री नंद किशोर यादव ही पार्टी के पहले पसंद थे। नंद किशोर यादव के अलावा पूर्व मंत्री नीतीश मिश्र का नाम भी इस रेस में शामिल था। लेकिन आखिरी समय में पार्टी ने विजय सिन्हा का नाम फाइनल किया।