Lok Sabha Elections: बसपा प्रमुख मायावती ने 2024 को लोकसभा चुनाव में बिना किसी गठबंधन के अकेले ही चुनाव में उतरने का फैसला किया है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बुधवार को हुए बैठक में मायावती के भाई आनंद कुमार और भतीजे आकाश आनंद भी मौजूद रहे। इस दौरान मायावती ने भतीजे आकाश आनंद के कंधे पर हाथ रखकर सियासी संदेश भी दे दिया। महत्वपूर्ण बात यह है कि आकाश आनंद लखनऊ की बैठक में राजस्थान की यात्रा छोड़कर शामिल हुए थे। आकाश इन दिनों बसपा को जिताने के लिए राजस्थान में पूरी दमदारी से लगे हुए हैं। उनके भाषण में अक्सर बीजेपी और कांग्रेस पार्टी रहती है।

बसपा प्रमुख मायावती ने बुधवार को संगठन को कैडर और छोटी-छोटी बैठकों के आधार गांव-गांव में मजबूत बनाने और अपने जनाधार को बढ़ाने के लिए निर्देश दिए। सर्वसमाज में जनाधार बढ़ाने के लिए पार्टी के वरिष्ठ अधिकारियों, प्रभारियों व अन्य जिम्मेदार लोगों के साथ मिलकर पुरानी कमियों को दूर करने को कहा है। बसपा सुप्रीमो ने आम चुनाव में गठबंधन को लेकर भी अपना पक्ष एकदम साफ कर दिया है। बसपा प्रमुख ने कहा कि पार्टी को अपने उम्मीदवारों के चयन में सावधानी बरतनी होगी। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में पार्टी अपने दम पर चुनाव लड़ेगी।

गठबंधन की वजह से पार्टी को नुकसान उठाना पड़ा: मायावती

मायावती ने कहा, ‘गठबंधन की वजह से लाभ की बजाय पार्टी को नुकसान ज्यादा उठाना पड़ा है। बसपा का वोट तो स्पष्ट तौर पर गठबंधन वाली दूसरी पार्टी को ट्रांसफर हो जाता है, लेकिन दूसरी पार्टियां अपना वोट बसपा उम्मीदवारों को ट्रांसफर कराने की न सही नीयत रखती हैं और न ही क्षमता, जिससे बसपा के लोगों का मनोबल प्रभावित होता है, इसलिए बसपा सत्ता या विपक्ष दोनों गठबंधनों से दूर रहती है।’

बसपा सुप्रीमो ने इस दौरान भाजपा और कांग्रेस पर भी जमकर निशाना साधा। मायावती ने कहा कि भाजपा की संकीर्ण जातिवादी, सांप्रदायिक राजनीति, द्वेषपूर्व और अराजकता की वजह से सभी लोगों की जीवन त्रस्त है। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी अब अपना प्रभाव ही नहीं, बल्कि जनाधार भी खो रही है। इसकी वजह से इस बार का लोकसभा चुनाव एकतरफा नहीं रह गया है।

बीजेपी-कांग्रेस की कथनी-करनी में जमीन-आसमान का अंतर

बसपा चीफ ने कहा कि इस बार का चुनाव देश की राजनीति को नई करवट देने वाला होगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की तरह भाजपा की भी कथनी-करनी में जमीन-आसमान का अंतर है। इनके राज में आमदमी अठन्नी और खर्चा रुपये हो गया है। कुछ लोगों को छोड़कर खासकर बहुजन समाज के लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा रहा है। उन्होंने कहा कि इन सबका असर आगामी लोकसभा चुनाव में पड़ेगा।

मायावती ने चुनाव को देखते हुए संगठन में फेरबदल भी किया है। उन्होंने कहा कि यूपी जैसे बड़े राज्य में राजनीतिक बदलाव होते रहते हैं। इस लिहाज से फेरबदल की भी जरूरत पड़ती रहती है। जिसे जो भी जिम्मेदारी दी जाती है उसे कम ने आंका जाए, बल्कि पार्टी हित सर्वोपरि मानकर अपनी जिम्मेदारी ईमानदारी से निभाते रहें।

मायावती ने दिल्ली बैठक में आकाश आनंद की दी थी चार राज्यों की जिम्मेदारी

हाल ही में दिल्ली में हुई बैठक में मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को चार राज्यों की जिम्मेदारी दी थी। यूपी की बैठक में 2024 के लिए रणनीतिक कदम मिलने की उम्मीद जताई जा रही थी। बसपा, यूपी पर फोकस करने की तैयारी में है। मायावती भी मंडलवार संगठन के विस्तार को लेकर लगातार फीडबैक ले रही हैं।

पिछला लोकसभा चुनाव (2019) में मायावती की पार्टी बसपा ने सपा और आरएलडी के साथ मिलकर चुनाल लड़ा था, जबकि 2014 के चुनाव में बसपा का खाता तक नहीं खुला था। 2019 में गठबंधन में चुनाव लड़ने पर बसपा के 10 सांसद चुने गए थे।

उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटें हैं। मायावती ने सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। वहीं यूपी में बीजेपी की अगुवाई में इस बार एनडीए होगा तो दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी के नेतृत्व में इंडिया गठबंधन होगा, जबकि बसपा चीफ मायावती इस बार दलित-मुस्लिम के फॉर्मूले पर मैदान में आने को तैयार हैं। वहीं सपा प्रमुख अखिलेश यादव बसपा प्रमुख मायावती पर बीजेपी की ‘B’ टीम होने का आरोप लगाते रहे हैं।